आज से किसी धोखेबाज या ठग को 420 नहीं कह सकेंगे

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अगर आप भारत में रहते हैं तो आज से आपको अपनी क़ानून की भाषा बदल देनी होगी। जी हां, आज से आप किसी धोखेबाज या ठग को 420 नहीं कह सकेंगे, क्योंकि भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) यानी आईपीसी (IPC) आज से भारतीय न्याय संहिता (Bharatiya Nyaya Sanhita) यानी बीएनएस (BNS) में तब्दील कर दी गई है। नरेंद्र मोदी सरकार ने अंग्रेजों के जमाने से चल रहे तीन आपराधिक कानूनों, भारतीय दंड संहिता (1860), आपराधिक प्रक्रिया संहिता (1898) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (1872) को बदल दिया है। इनकी जगह भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम ने ले लिया है।

पिछले साल दिसंबर में संसद में पारित तीनों विधेयक पूरे देश में आज से कानून के रूप में प्रभावी हो गए है। आईपीसी में 511 धाराएं थीं, लेकिन NBS में केवल धाराएं 358 रह गई हैं। NBS में 20 नए अपराध शामिल किए हैं और 33 अपराधों में सजा की अवधि बढ़ा दी गई है। 83 अपराधों में जुर्माने की रकम भी बढ़ा दी गई है। 23 अपराधों में अनिवार्य न्यूनतम सजा का प्रावधान है। 6 अपराधों में सामुदायिक सेवा की सजा का प्रावधान किया गया है।

भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को 12 दिसंबर 2023 को केंद्र सरकार ने लोकसभा में तीन संशोधित आपराधिक विधियकों को पेश किया था। इन्हें 20 दिसंबर, 2023 को लोकसभा और 21 दिसंबर, 2023 को राज्यसभा ने मंजूरी दी थी। 25 दिसंबर, 2023 को राष्ट्रपति से मंजूरी के बाद विधेयक कानून बन गए लेकिन इनके प्रभावी होने की तारीख 1 जुलाई, 2024 निर्धारित की गई थी। कानूनों में प्रभावी होने के साथ ही इनमें शामिल धाराओं का क्रम भी बदल गया है। अब रेप के किसी आरोपी को अब धारा 376 नहीं बल्कि धारा 101 के तहत सज़ा दी जाएगी।

अहम धाराओं में बदलाव
धारा 376: नए कानून के अस्तित्व में आने से रेप से जुड़े अपराध में सजा को पहले आईपीसी (IPC) की धारा 376 में परिभाषित किया गया था। बीएनएस (BNS) में इसे अध्याय 5 में महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध अपराध की श्रेणी में जगह दी गई है। नए कानून में दुष्कर्म से जुड़े अपराध में सजा को धारा 63 में परिभाषित किया गया है। वहीं सामूहिक दुष्कर्म को आईपीसी की धारा 376 डी को नए कानून में धारा 70 में शामिल किया गया है।

धारा 302: IPC में किसी की हत्या करने वाला धारा 302 के तहत आरोपी बनाया जाता था। BNS में ऐसे अपराधियों को धारा 101 के तहत सजा मिलेगी। नए कानून के अनुसार, हत्या की धारा को अध्याय 6 में मानव शरीर को प्रभावित करने वाले अपराध कहा जाएगा।

धारा 307: IPC में हत्या करने के प्रयास में दोषी को आईपीसी की धारा 307 के तहत सजा मिलती थी। BNS में ऐसे दोषियों को भारतीय न्याय संहिता की धारा 109 के तहत सजा सुनाई जाएगी। इस धारा को भी अध्याय 6 में रखा गया है।

धारा 420: IPC में धोखाधड़ी या ठगी का अपराध धारा 420 में दर्ज होता था। BNS में इस अपराध को धारा 316 के तहत दर्ज किया जाएगा। इस धारा को भारतीय न्याय संहिता में अध्याय 17 में संपत्ति की चोरी के विरूद्ध अपराधों की श्रेणी में रखा गया है।

धारा 124: IPC की धारा 124 राजद्रोह से जुड़े मामलों में सजा का प्रावधान रखती थी। BNS में ‘राजद्रोह’ को एक नया शब्द ‘देशद्रोह’ मिला है यानी ब्रिटिश काल के शब्द को हटा दिया गया है। BNS में अध्याय 7 में राज्य के विरुद्ध अपराधों कि श्रेणी में ‘देशद्रोह’ को रखा गया है।

धारा 144: IPC की धारा 144 घातक हथियार से लैस होकर गैरकानूनी सभा में शामिल होना के बारे में थी। इस धारा को BNS में के अध्याय 11 में सार्वजनिक शांति के विरुद्ध अपराध की श्रेणी में रखा गया है। अब भारतीय न्याय संहिता की धारा 187 गैरकानूनी सभा के बारे में है।

धारा 399: IPC मानहानि के मामले में आईपीसी की धारा 399 इस्तेमाल की जाती थी। BNS में अध्याय 19 के तहत आपराधिक धमकी, अपमान, मानहानि, आदि में इसे जगह दी गई है। मानहानि को भारतीय न्याय संहिता की धारा 356 में रखा गया है।

आपराधिक प्रक्रिया संहिता और साक्ष्य अधिनियम में क्या बदलाव?
आपराधिक प्रक्रिया संहिता यानी CrPC की जगह अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता ने ले ली है। CrPC की 484 धाराओं के बदले भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में 531 धाराएं हैं। नए कानून के तहत 177 प्रावधान बदले गए हैं जबकि नौ नई धाराएं और 39 उपधाराएं जोड़ी हैं। इसके अलावा 35 धाराओं में समय सीमा तय की गई है।

वहीं, नए भारतीय साक्ष्य अधिनियम में 170 प्रावधान हैं। इससे पहले वाले कानून में 167 प्रावधान थे। नए कानून में 24 प्रावधान बदले हैं।