देवेंद्र फडणवीस हो सकते हैं नरेंद्र मोदी के सबसे योग्य उत्तराधिकारी
हरिगोविंद विश्वकर्मा
देश को स्वतंत्र हुए लगभग-लगभग आठ दशक बीतने को हैं, लेकिन अब तक कोई मराठीभाषी नेता प्रधानमंत्री पद को सुशोभित नहीं कर सका है। महाराष्ट्र के गौरवशाली राजनीतिक इतिहास में कई नेता हुए, जिन्होंने राष्ट्रीय राजनीति में बड़ी भूमिका निभाई। संविधान के शिल्पी डॉ. बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर भी प्रधानमंत्री बनने की कूवत रखते थे, लेकिन सवर्ण डिमिनेटड भारतीय राजनीति में उनका दलित बैकग्राउड आड़े आ गया। कालांतर में यशवंतराव चव्हाण और शरद पवार जैसे दिग्गजों ने प्रधानमंत्री बनने का सपना देखा और प्रयास भी किए, लेकिन वे उस सर्वोच्च पद तक नहीं पहुंच सके। शिवसेना के संस्थापक हिंदू हृदय सम्राट बालासाहेब ठाकरे में भी देश का प्रधानमंत्री बनने की क्षमता थी, लेकिन न तो उन्होंने चुनाव लड़ा और न ही चुनावी राजनीति में सक्रिय हुए। अब यानी 2024 में इस पृष्ठभूमि में, महाराष्ट्र के नेता देवेंद्र फडणवीस का नाम उभर रहा है, जो आने वाले समय में इस स्थिति को बदल सकते हैं।
महाराष्ट्र के जनमानस में यह भावना गहराई तक बसी हुई है कि कभी तो किसी मराठी मानुस को देश के सर्वोच्च पद पर आसीन होना चाहिए। हालांकि, राजनीतिक समीकरण और समय के साथ बदलते समीकरणों ने अब तक यह अवसर नहीं दिया। महाराष्ट्र के रामटेक से सांसद पीवी नरसिंह राव प्रधानमंत्री जरूर बने, लेकिन वह मराठीभाषी नहीं, बल्कि तेलुगूभाषी नेता थे। ऐसे में, मराठी समाज की दबी इच्छा है कि एक नेता तो ऐसा उभरना चाहिए, जो न केवल उनकी आकांक्षाओं को समझे, बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में मजबूत प्रभाव भी डाल सके। ऐसे समय जब मराठी लीडरशिप पर नज़र दौड़ाते हैं तो केवल एक ही नाम संभावनाशील नज़र आता है और वह नाम है देवेंद्र फडणवीस का। फडणवीस का नाम महाराष्ट्र की राजनीति में स्थिरता और सशक्त नेतृत्व के लिए जाना जाता है। इसलिए निकट भविष्य में मराठी जनता की आकांक्षा को वही साकार कर सकते हैं। यक़ीन मानिए यदि मौजूदा विधानसभा चुनावों में वह भारी जनादेश के साथ मुख्यमंत्री बनते हैं, तो उनका कद राष्ट्रीय राजनीति में और बढ़ सकता है।
भारत की राजनीतिक परंपरा में मुख्यमंत्रियों का प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचना कोई नई बात नहीं है। ख़ुद नरेंद्र मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में अपनी सशक्त प्रशासनिक छवि बनाकर राष्ट्रीय राजनीति में जगह बनाई और प्रधानमंत्री बने। इसी तरह एचडी देवेगौड़ा प्रधानमंत्री बनने से पहले कर्नाटक के मुख्यमंत्री थे। और पहले जाएं तो विश्वनाथ प्रताप सिंह और चौधरी चरण सिंह भी एक समय में उत्तर प्रदेश के चीफ मिनिस्टर थे। तो देवेंद्र फडणवीस भी इस परंपरा के अगले प्रतिनिधि हो सकते हैं। फडणवीस का प्रशासनिक अनुभव, भ्रष्टाचार-मुक्त छवि, और जनता के बीच उनकी स्वीकार्यता उन्हें इस पद के लिए एक मजबूत दावेदार बनाती है।
बेशक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नेतृत्व भारतीय राजनीति के इतिहास में अद्वितीय है। कश्मीर से जुड़े अनुच्छेद 370 और 35-ए को समाप्त करने के उनके कदम ने उन्हें इतिहास-पुरुष बना दिया है। उनकी लोकप्रियता और कार्यशैली ने भाजपा को राष्ट्रीय स्तर पर अजेय शक्ति बना दिया है। लेकिन यह सर्वविदित है कि हर नेता का एक युग होता है। मोदी का भी एक युग है। ऐसे में यह चर्चा स्वाभाविक है कि मोदी के बाद भाजपा का नेतृत्व कौन करेगा। इस दौड़ में फिलहाल मुख्य रूप से तीन नाम सामने आते हैं— गृहमंत्री अमित शाह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस। इन तीनों नेताओं की ताकत, राजनीतिक सूझबूझ, और राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार्यता की तुलना करने पर यही लगता है कि ओवरऑल परफॉर्मेंस में तीनों में देवेंद्र फडणवीस बेहतर साबित हो सकते हैं।
अमित शाह को भाजपा के चाणक्य के रूप में जाना जाता है। उन्होंने पार्टी संगठन को मजबूत करने और देशभर में भाजपा के विस्तार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा की जीत में उनकी अहम भूमिका रही। लेकिन उनका की सबसे बड़ी कमजोरी उनकी जनस्वीकार्यता है। शाह का जनता के साथ सीधा जुड़ाव बहुत सीमित है। उनके बेटे जय शाह को लेकर उन पर आरोप लगते रहते हैं। लिहाज़ा, उनकी मौजूदा योग्यता प्रधानमंत्री पद के लिए पर्याप्त नहीं है। इसी तरह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहचान एक मज़बूत, सख़्त और धर्मपरायण नेता की रही है। यूपी में उन्होंने क़ानून-व्यवस्था सुधारने और प्रशासनिक ढांचे को मज़बूत करने के लिए कई क़दम उठाए। उनका हिंदुत्व-प्रेरित राजनीतिक दृष्टिकोण भाजपा के कोर वोट बैंक को मज़बूती देता है। लेकिन योगी की छवि ध्रुवीकरण करने वाले नेता की है। यह उनके प्रधानमंत्री पद के दावेदार के रूप में बड़ी बाधा बन सकती है।
वस्तुतः भारतीय राजनीति में प्रधानमंत्री पद के लिए आवश्यक है कि नेता सभी समुदायों, वर्गों और विचारधाराओं को साथ लेकर चल सके। प्रधानमंत्री के रूप में एक ऐसे नेता की आवश्यकता होती है, जो न केवल पार्टी के भीतर, बल्कि देशभर में हर वर्ग के लोगों को प्रेरित कर सके। इस सांचे में फडणवीस एकदम फिट बैठते हैं। उनकी सबसे बड़ी ताकत उनकी सौम्य संतुलित छवि और प्रशासनिक कुशलता है। एक मध्यमार्गी नेता के रूप में, वे विभिन्न वर्गों और समुदायों में स्वीकार्य हैं। मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने महाराष्ट्र को स्थिर नेतृत्व प्रदान किया और कई महत्वपूर्ण विकास योजनाओं को लागू किया। उनकी छवि भ्रष्टाचार-मुक्त और प्रशासनिक दक्षता वाली है। राष्ट्रीय स्तर पर, फडणवीस का कोई विवादास्पद इतिहास नहीं है, जो उन्हें अमित शाह और योगी की तुलना में सर्वस्वीकार्य और समावेशी नेता के रूप में स्थापित करता है। महाराष्ट्र जैसे प्रमुख राज्य से आने के कारण उनका राष्ट्रीय कद भी बड़ा है।
देवेंद्र फडणवीस की राजनीति कट्टरता से दूर रही है। उनकी छवि प्रगतिशील, विकास-उन्मुख और समावेशी नेता की है। यह उन्हें योगी के मुक़ाबले अधिक व्यापक जनसमर्थन दिलाने में मदद करता है। महाराष्ट्र जैसे आर्थिक और राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण राज्य का नेतृत्व करना फडणवीस के अनुभव को और गहरा एवं प्रभावी बनाता है। उनकी योजनाएं और नीतियां किसानों, युवाओं और शहरी वर्ग को साथ लेकर चलती हैं, जो उन्हें अमित शाह से अलग बनाती हैं, जिनकी भूमिका मुख्यतः संगठनात्मक रही है। फडणवीस की छवि एक आधुनिक और प्रगतिशील नेता की है, जो उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी स्वीकार्य बनाती है। प्रधानमंत्री के रूप में यह गुण महत्वपूर्ण है, क्योंकि भारत को वैश्विक स्तर पर प्रतिनिधित्व करने के लिए एक संतुलित और दूरदर्शी नेता की जरूरत है। इसीलिए मोदी के बाद भाजपा के संभावित उत्तराधिकारियों की चर्चा में फडणवीस का नाम बार-बार सामने आता है। अगर महाराष्ट्र के मतदाता उन्हें भारी समर्थन देते हैं, तो यह उनके राष्ट्रीय कद को और मजबूत करेगा।
यह मराठी समाज पर निर्भर करता है कि वह देवेंद्र फडणवीस जैसे समर्थ नेता का समर्थन करे या उन नेताओं को चुने, जिनकी पहचान राज्य के बाहर सीमित है। शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे ने एक बार कांग्रेस की प्रतिभा पाटिल को राष्ट्रपति पद के लिए समर्थन दिया था, सिर्फ़ इसलिए क्योंकि वह मराठी थीं। क्या मराठी समाज अब वही एकजुटता फडणवीस के लिए दिखाएगा? मराठी जनता को यह समझने की जरूरत है कि फडणवीस का प्रधानमंत्री बनना केवल उनके व्यक्तिगत कद को ही नहीं, बल्कि महाराष्ट्र की राष्ट्रीय राजनीति में भूमिका को भी नई ऊंचाई देगा। यह राज्य के लिए गर्व की बात होगी और मराठी अस्मिता को एक नई पहचान देगा।
फडणवीस की सबसे बड़ी ताकत उनकी राजनीतिक सूझबूझ, शालीनता, और जमीनी स्तर पर काम करने की क्षमता है। उन्होंने मुख्यमंत्री रहते हुए राज्य के विकास के लिए कई महत्वपूर्ण योजनाएं शुरू कीं। उनका फोकस हमेशा युवाओं, किसानों, और उद्योगों पर रहा। इसके अलावा, उनकी भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के साथ मजबूत समीकरण उन्हें अन्य नेताओं से अलग बनाता है। नरेंद्र मोदी का उन पर भरोसा उनके लिए राष्ट्रीय राजनीति के दरवाजे खोल सकता है।
हर मज़बूत नेता के सामने चुनौतियां होती हैं, और फडणवीस के मामले में भी ऐसा ही है। महाराष्ट्र यानी उनके अपने राज्य में उनके विरोधियों की लंबी फेहरिस्त है, जिसमें राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार) और शिवसेना (यूबीटी) जैसे दल शामिल हैं। इसके अलावा, मराठी समाज के भीतर भी कई ऐसे वर्ग हैं, जो उनकी नीतियों से असहमत हो सकते हैं। इसलिए राष्ट्रीय राजनीति में उनकी स्थिति मजबूत होने के लिए जरूरी है कि फडणवीस राज्य में अपनी पकड़ बनाए रखें और सशक्त नेतृत्व प्रस्तुत करें। उन्हें यह भी सुनिश्चित करना होगा कि उनकी सरकार की योजनाएं आम जनता तक पहुंचें और उनका प्रभाव दिखाई दे।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भाजपा को बड़ी जीत दिलाने में सफल होते हैं, तो यह उनके प्रधानमंत्री बनने की संभावनाओं को और प्रबल करेगा। महाराष्ट्र जैसे बड़े और महत्वपूर्ण राज्य से आने वाले नेता के रूप में वे राष्ट्रीय राजनीति में एक बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। फडणवीस की राजनीति केवल सत्ता हासिल करने तक सीमित नहीं है, बल्कि उनकी दृष्टि में एक ऐसा भारत है, जो प्रगतिशील, सशक्त और एकजुट हो। यदि वे प्रधानमंत्री बनते हैं, तो यह महाराष्ट्र और देश दोनों के लिए एक नई शुरुआत होगी।
देवेंद्र फडणवीस की राजनीतिक यात्रा प्रेरणादायक है और उनकी भविष्य की संभावनाएं उत्साहजनक। मराठी समाज को इस बात पर गंभीरता से विचार करना होगा कि क्या वे फडणवीस जैसे सशक्त नेता को प्रधानमंत्री पद की दौड़ में देखना चाहते हैं। यदि मराठी जनता एकजुट होकर उनका समर्थन करती है, तो यह न केवल महाराष्ट्र के लिए एक गर्व का क्षण होगा, बल्कि भारत की राजनीति में भी एक नया अध्याय जोड़ेगा। फडणवीस का प्रधानमंत्री बनना मराठी मानुस के सपने को साकार करने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हो सकता है।
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