मोहब्बत की झूठी कहानी…

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हरिगोविंद विश्वकर्मा
लोग चाहे जो कहें, लेकिन अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की असामयिक मौत और उसके बाद के घटे घटनाक्रम में ले देकर केवल और केवल मोहब्बत की ही रुसवाई हुई है। मोहब्बत जो कभी चाहत, स्नेह, फिक्र, त्याग और समर्पण की प्रतीक हुआ करती थी। जिस मोहब्बत की एकदम सही परिभाषा आज तक किसी भी विशेषज्ञ, विद्वान या दार्शनिक द्वारा नहीं गढ़ी जा सकी, उसी मोहब्ब्त को अब तरह-तरह के नाम दिए जा रहे हैं। वही मोहब्बत इन दिनों बॉलीवुड में सबसे बड़ी विलेन बन गई है। लिहाज़ा, वह मोहब्बत अब सबके निशाने पर है। सुशांत की ख़ुदकुशी या हत्या (जो भी हो) के लिए केवल और केवल मोहब्बत को ही ज़िम्मेदार ठहराया जा रहा है।

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मोहब्बत बेचारी बन गई है। मोहब्बत की फ़ज़ीहत कुछ दिन पहले तब शुरू हुई। जब अचानक ख़बर आई कि सुशांत सिंह के पिता केके सिंह ने घटना के तक़रीबन डेढ़ महीने बाद अपने बेटे की गर्लफ्रेंड रही रिया चक्रवर्ती और उनके परिजनों को सुशांत की मौत के लिए ज़िम्मेदार ठहराते हुए उनके ख़िलाफ़ पटना के एक पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज कराई है। कहना न होगा कि उसी समय से पूरे देश के लोग बेचारी मोहब्बत की लानत-मलानत कर रहे हैं। लोग मोहब्बत की ऐसी की तैसी कर रहे हैं। मोहब्बत को कठघरे में खड़ा कर रहे हैं।

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यहां तो यही लग रहा है कि जैसे सुशांत सिंह राजपूत की मौत, आत्महत्या थी या हत्या, इसकी गहन तहक़ीकात की ज़रूरत है, वैसे ही सुशांत सिंह और अंकिता लोखंडे या फिर सुशांत और रिया चक्रवर्ती के बीच मोहब्बत थी या नहीं, इसकी भी गहन तहक़ीकात की जरूरत लग रही है। सबसे रोचक पहलू यह है कि जहां पहले सुशांत सिंह की मौत के लिए किसी बड़ी साज़िश और बॉलीवुड में माफ़िया का रूप ले चुके ‘नेपोटिज़्म’ को ज़िम्मेदार ठहराया जा रहा था और मामले की सीबीआई जांच की मांग ज़ोर-शोर से की जा रही थी, वहीं नई एफ़आईआर ने मामले का पूरा फ़ोकस ही बदल दिया है। सीबीआई जांच की मांग तो साइड में चली गई है, लोग यह जानने के लिए ज़्यादा उत्सुक लग रहे हैं कि क्या वाक़ई रिया प्रेमिका के रूप में सुशांत की मौत बन कर आई थी। अगर हां, तो कैसे। लोगों की यही उत्सुकता टीवी न्यू चैनलों को मसाला और टीआरपी दोनों दे रही है।

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सबसे चौंकाने वाला पक्ष है, सुशांत के पिता, उनके भाई, उनकी बहन और उनके परिजनों का स्टैंड। सुशांत राजपूत का परिवार महीने भर से ज़्यादा समय तक सुसुप्तावस्था में था। इस परिवार का हर सदस्य तब सक्रिय हुआ, जब उन्हें किसी सूत्र से जानकारी मिली कि सुशांत के बैंक खाते में तो 17 करोड़ रुपए की मोटी रकम थी और 15 करोड़ रुपए पर रिया ने हाथ साफ़ कर दिया और अपने किसी परिजन के नाम ट्रांसफ़र कर दिया। अगर सुशांत सिंह के परिजनों का आरोप सच साबित होता है तो इसका यही मतलब होगा कि इस अभिनेत्री ने अपनी मोहब्बत को केवल धोखा (बॉलीवुड की भाषा में डिच) ही नहीं दिया बल्कि उसकी बड़ी कीमत भी वसूल ली। लग तो यही रहा है कि इन नवोदित अभिनेत्री ने मोहब्बत को हानि-लाभ यानी सौदा बना दिया।

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दरअसल, 110 साल के इतिहास में फिल्मों में मोहब्बत केवल चाहत, स्नेह, फिक्र, त्याग या समर्पण ही बयां करती थी। ‘राजा हरिश्चंद्र’ से 1913 में फ़िल्मों का दौर शुरू होने, 1931 में ‘आलम आरा’ से उसे आवाज़ मिलने और 1937 में ‘किसन कन्हैया’ से चित्रों को रंग मिल जाने के बाद जिस भी फ़िल्म को देखिए, उसमें मोहब्बत के इसी चेहरे का दीदार होता है। ‘लैला मजनूं’ ने तो मोहब्बत को शहादत का दर्जा दे दिया था। फिल्मों में मोहब्बत के व्यापारित पक्ष की कल्पना पहली बार 1983 में देखने को मिली। यह फ़िल्म थी सहाबहार अभिनेता जीतेंद्र, राज बब्बर, रीना रॉय और परवीन बॉबी की ‘अर्पण’। फिल्म में एक लोकप्रिय गाना मोहब्बत अब तिजारत बन गई है, तिजारत अब मोहब्बत बन गई है था। आनंद बक्शी के लिखे इस गाने को लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल की म्यूजिक पर गाया था अनवर ने। इस फ़िल्म में पहली बार इस बात की परिकल्पना की गई थी, कि मोहब्बत आजकल तिजारत यानी व्यापार बनती जा रही है।

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रिया चक्रवर्ती के सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए इमोशनल थॉट्स और अंतरंग फोटोग्राफ यही कहानी कहते हैं कि यह अभिनेत्री कभी सुशांत से बेइंतहां मोहब्बत करती थी। उसके साथ इतनी गहराई तक इनवॉल्व हो गई थी, कि उसके बिना रह नहीं सकती थी। मगर सुशांत की मौत के बाद अब राज़ खुल रहा है कि वह तो मोहब्बत थी ही नहीं। वह तो तिजारत यानी व्यापार थी। अब अब तक सामने आई सूचनाएं सच हैं, तो यही लगता है, रिया लाभ अर्जित करने के लिए सुशांत के जीवन में आई थी। लाभ अर्जन बुरी बात नहीं, लेकिन लाभ अर्जन की दीवानगी इस कदर भी नहीं होनी चाहिए, कि जीवन की क़ीमत लाभ अर्जन से भी कम हो जाए। आप किसी से इतना लाभ लेने की उम्मीद पाल बैठें कि उसकी जान की कोई कीमत ही न रहे जाए, यह सोच या कार्य अमानवीयता है।

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यही वजह है कि उनकी मोहब्बत की कहानी सुशांत की मौत के बाद अब उस मोड़ पर पहुंच गई है, जहां उसी मोहब्बत के कारण अब रिया चक्रवर्ती के ऊपर गिरफ़्तारी की तलवार लटक रही है। कभी सुशांत के प्यार की गिरफ़्त में रही यह अभिनेत्री अब गिरफ़्तारी से डर रही है। लिहाज़ा, उसकी हवाइयां उड़ रही है। वह अपने बचाव के लिए ख़ूब हाथ-पैर मार रही है। सबसे महंगा वकील लेकर सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गई है। अब तक सुशांत की मौत की सीबीआई जांच कराने वाली रिया को अब बिहार पुलिस की जांच से भी शिकायत है। वह चाहती है पूरे प्रकरण की जांच वही मुंबई पुलिस करे, जिसके ऊपर लेट-लतीफ़ी और मामले को दबाने के गंभीर आरोप लग रहे हैं। बचाव के चक्कर में रिया वह बात कह रही है, जो बात रिलेशनशिप में रहने के दौरान कहने की कल्पना भी नहीं की होगी। यह मोहब्बत के तिजारत वाले पक्ष से भी बदसूरत और ख़तरनाक है।

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और, देश के टीवी न्यूज़ चैनलों ने तो मोहब्बत को पूरा का पूरा तमाशा बना दिया है। इस संपूर्ण प्रकरण पर तरह-तरह की ख़बरें चला कर पूरे मामले को ही मज़ाक़ में बदल दिया है। बेशक उनको बिज़नेस देने वाली टीआरपी मिल रही है, लेकिन यह बहुत ज़्यादा लग रहा है। लग तो यही रहा है कि सुशांत सिंह की मोहब्बत, जो निश्चित रूप से उसके लिए बहुत निजी रही होगी, उसकी प्राइवेसी रही होगी, अब वही मोहब्बत एक उत्सव बन गई है। केवल सुशांत की मोहब्बत ही नहीं, बल्कि सुशांत का पूरा जीवन ही तमाशा बन गया है। सुशांत सिंह राजपूत और रिया चक्रवर्ती भले कभी लवबर्ड रहे होंगे, लेकिन इन दिनों इनका संबंध चपचटा मसाला बन गया है। सुशांत की मौत और रिया का धोखा में ज़बरदस्त मसाला पैदा हो गया है। वह मसाला ख़बर बेचने का ज़रिया बन गया है।

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ट्रेजेडी केवल सुशांत-रिया की मोहब्बत के साथ नहीं हो रही है, बल्कि वही ट्रेजेडी सुशांत-अंकिता की मोहब्बत की भी हुई है। कभी सुशांत की हमनवा रहीं अंकिता लोखंडे आजकल घूम-घूम कर सारे टीवी चैनलों को ‘एक्सक्लूसिव लाइव इंटरव्यू’ दे रही हैं और दावा कर रही हैं कि सुशांत तो बहुत बहादुर लड़का था, वह ख़ुदकुशी कर ही नहीं सकता। यानी उसकी हत्या हुई अथवा उसका इतना मानसिक शोषण किया गया कि उसने मौत का आलिंगन कर लिया। सबसे बड़ी बात अंकिता के चेहरे पर मोहब्बत छिन जाने का ज़रा भी शिकन नहीं दिख रहा है। उलटे लाइव जवाब के दौरान वह हंस भी देती है। यह भी मोहब्बत का तमाशाई पक्ष हो सकता है। कहना न होगा कि तमाशा बेचने वाले तमाशबीनों के लिए मोहब्बत के सनसनीखेज़ तमाशे निकाल-निकाल कर बेच रहे हैं।

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इतना तो तय है कि इस हुआं-हुआं में सुशांत के मौत की असली वजह दब कर रह गई। यह बहुत दुखद है। महाराष्ट्र सरकार और बिहार सरकार राजनीति में उलझ गई हैं और इस पूरे प्रकरण से राजनीतिक लाभ लेने के चक्कर में राजनेता भी इसमें पिल पड़े हैं। ऐसे में यही कहना होगा कि अगर सुशांत की हत्या हुई या उसे इतना शोषित किया गया कि उसने मौत को गले लगा लिया तो इसकी उच्च स्तर पर जांच होनी चाहिए और सीबीआई इसके लिए सबसे उपयुक्त एजेंसी हो सकती है और अगर सुशांत ने बॉलीवुड की पॉलिटिक्स से तंग आकर मौत को गले लगा लिया तो उसने ग़लत किया। उसे हार मानने की बजाय लड़ना चाहिए था, संघर्ष करना चाहिए था।

पूरे प्रकरण पर बेग़म अख़्तर का गाया यह गाना बहुत सामयिक लग रहा है।
ऐ मोहब्बत तेरे अंजाम पे रोना आया…

और बेग़म अख़्तर का ही गया यह गाना भी।

Begum Akhtar – Aey mohabbat tere anajam
मेरे हमनफ़स मेरे हमनमा मुझे दोस्त बनकर दग़ा न दे…

Begum Akhtar Mere Hum nafas mere hum

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