प्रकृति के ख़ज़ाने में कई ऐसे पौधे हैं जो किसी वरदान से कम नहीं। ये पौधे ऐसे फल देते हैं जो फल तो हैं ही, उससे बढ़कर दवा है। पेड़-पौधों की इसी सीरीज़ में लीची आती है। गर्मी और बारिश के बीच आने वाली लीची से स्वाद तो मिलता ही है, तंदरुस्ती भी मिलती है। लीची का तो नाम सुनते ही मुंह मिठास से भर जाता है। देखने में ये जितनी ख़ूबसूरत लगती है, उतनी ही ज़्यादा मीठी और स्वादिष्ट होती है। तभी तो ये फल हरदिल अजीज है। अगर आम फलों का राजा है तो लीची भी फलों की रानी। गर्मियों की जान लीची बच्चे से लेकर बड़े-बढ़े की मनपसंद है।
पौष्टिक तत्वों की इसमें भंडार होता है। कार्बोहाइड्रेट, विटामिन ए, विटामिन बी, विटामिन सी, पोटैशियम, कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम और फॉस्फोरस जैसे खनिज प्रचुर मात्रा होते हैं। इसीलिए इसे रोगों का दुश्मन कहते है। सेहत का ख़ज़ाना लीची अपने अंदर समेटे इन गुणों के कारण ‘सुपरफ्रूट’ भी कहलाती है।
एक लीची हज़ार गुण
ब्लडप्रेशर की दुश्मन
लीची को ब्लडप्रेशर का दुश्मन कहा जाता है। दरअसल इसमें मौजूद पोटैशियम और कॉपर हार्ट की बीमारियों से बचाते हैं। दिल की धड़कन की अनियमितता या अस्थिरता और बीपी को नियंत्रित रखने में ये सहायक होती है। ये हार्ट अटैक के जोखिम को ख़त्म कर देती है।
डायजेशन में मददगार
डायजेशन समस्या का लीची रामबाण इलाज है। इसमें बीटा कैरोटीन, राइबोफ़्लेबिन, नियासिन और फ़ोलेट जैसे विटामिन बी प्रचुर मात्रा में होते हैं। विटामिन बी रेड ब्लड सेल्स का निर्माण होता है। कोलेस्ट्रॉल स्तर को फ़ोलेट कंट्रोल में रखता है। इसीलिए इसके सेवन से डायजेशन समस्या नहीं होती।
कैंसर से करे हिफ़ाजत
लीची में मौजूद विटामिन सी कैंसर से भी लड़ने की क्षमता रखते हैं। रिसर्चे से साबित हो गया है कि इसमें कैंसर, खासतौर पर स्तन कैंसर, से लड़ने के गुण मिलते हैं। नियमित रूप से इसे खाने से शरीर में कैंसरस सेल्स ज़्यादा नहीं बढ़तीं। ये बेहतर एंटीऑक्सीडेंट और आयरन का अवशोषण भी करती है।
मोटापा को करे कम
लीची में एंटीओबेसिटी गुण भी होते हैं। इसमें फ़ायबर बहुत ज़्यादा मात्रा में होता है, जो भोजन बहुत अच्छी तरह पचाता है और फ़ैट कम बनाता है। इसीलिए इसे मोटापा कम करने के लिए रामबाण माना जाता है। फ़ायबर बीमारियों लड़ने के लिए इम्यून सिस्टम को मज़बूत रखता है।
बच्चों की सच्ची सहेली
लीची बच्चों की सच्ची सहेली है। उनके विकास के लिए ज़रूरी हर तत्व लीची में पाए जाते हैं। मसलन- कैल्शियम, फॉस्फोरस और मैग्नीशियम। ये बच्चों के विकास में अहम किरदार अदा करते हैं। लीची में मौजूद मिनरल्स हड्डियों की बीमारी ऑस्टियोपोरोसिस को भी रोकने में सहायक होते हैं।
ऊर्जा का अच्छा स्रोत
लीची को ऊर्जा का बेहतरीन स्रोत माना जाता है। जिनको ज़्यादा थकान या कमज़ोरी महसूस होती है उनके लिए लीची ब्रम्हास्त्र है। इसमें मौजूद नियासिन स्टेरॉयड हार्मोन और हीमोग्लोबिन बनाता है, जो ऊर्जा के लिए आवश्यक है। इसीलिए, लीची नियमित खाने वाले तरोताज़ा और एनर्जेटिक लगते हैं।
एंटीइन्फ़ेक्शन फल
लीची सर्दी-जुकाम, बुखार, खांसी और गले के संक्रमण से बचाती है। दरअसल, इसमें एक ऑलिगनॉल रसायन होता है जो एन्फ्लूएंजा के वायरस से मज़बूती से लड़ता है और बुखार वगैरह से बचाता है। वैसे
बहुत गंभीर हो चुकी सूखी खांसी के लिए तो लीची रामबाण की तरह है।
पानी का अच्छा वाहक
प्रकृति ने लीची को पानी भरपूर दिया है। इसके अंदर के पौष्टिक तरल में पानी प्रचुर मात्रा में होती है। ये शरीर में पानी सप्लाई भी करती है। इसीलिए इससे डिहाइड्रेशन नहीं होता है। इसका सेवन करने से गर्मी की बीमारियों से भी दूर रहा जा सकता है। यह गर्मी दूर करके शरीर को ठंडक पहुंचाती है।
सुंदरता निखार दे
लीची सौंदर्य का चमकाने का भी काम करती है। दरअसल, ये सूरज की अल्ट्रावॉयलेट किरणों से त्वचा की रक्षा करती है। इसीलिए, इसके नियमित सेवन करने से तैलीय त्वचा को भरपूर पोषण मिलता है, जिससे चेहरे पर पड़ने वाले दाग-धब्बों में कमी तो आती ही है, सौंदर्य भी निखर आता है।
बीज-छिलका भी उपयोगी
बढ़िया लीची ही नहीं ख़राब लीची भी काम की है। इसके बीज का पाउडर शहद के साथ खाने पर पेट के कीड़े मर जाते हैं। डायजेशन प्रॉब्लम में पाउडर की चाय आराम देती है। पाउडर न्यूरो सिस्टम में दर्द से भी राहत दिलाता है। इसके गूदे और छिलके से हाइड्रोक्सीकट, लीची-60 सीटी और एक्सेंड्रीन बनाई जाती है, जिसका प्रयोग वेट लॉस, ब्लडप्रेशर नियंत्रण और हॉर्ट डिज़ीज़ की सप्लीमेंट्री दवा के रूप मे होता है। इससे बने स्किन क्रीम चेहरे की झुर्री घटाकर चमक भी बढ़ाती है।
बहुत ज़्यादा न खाएं
लीची हैं फ़ायदेमंद लेकिन ज़रूरत से ज़्यादा खा लेने से ये नुकसान भी कर सकती है। 10-12 लीची से ज़्यादा कतई न खाएं। अन्यथा नकसीर और सिरदर्द की समस्याओं हो सकती है। ज़्यादा लीची जीभ और होंठों में सूजन, सांस समस्या के साथ शरीर में खुजली भी पैदा कर सकती है।
भारत में लीची का उत्पादन बड़े पैमाने पर होता है। देहरादून की लीची बड़ी स्वादिष्ट मानी जाती है। बिहार भी लीची का बड़ा उत्पादक है। इसका वैज्ञानिक नाम लीची चिनेन्सिस है। जीनस इसका इकलौता सदस्य है। इस ट्रॉपिकल फ़ल का परिवार सोपबैरी है। इसका मूल चीन है। वहां प्राचीन काल में तंग वंश के राजा ज़ुआंग ज़ांग की प्रिय फल थी। वहां बड़े पैमाने पर उगाई जाती है। सामान्यतः मैडागास्कर, ताइवान, वियतनाम, इंडोनेशिया, थाईलैंड, फिलीपींस, लाऔस, कंबोडिया, जापान, बांग्लादेश, पाकिस्तान और दक्षिण अफ्रीका में पाई जाती है। अब कैलिफ़ोर्निया और फ्लोरिडा में भी पैदा होने लगी है। इसका सदाबहार पेड़ मध्यम ऊंचाई का यानी 15 से 20 मीटर लंबा होता है। इसकी अहमियत इसी बात से समझी जा सकती है कि मुजफ्फरपुर (बिहार) की लीची हर साल राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री सहित अन्य गणमान्य व्यक्तियों को भेजी जाती है।
Share this content: