समय बलवान

0
369

समय बलवान

  • हरिगोविंद विश्वकर्मा

नहीं शाश्वत
यहां कुछ भी
निश्चित है अंत
हर चीज़ का
किसी को भी नहीं
समझना चाहिए
ख़ुद को स्थायी
यहां जब
मानव नहीं हरा पाता
जिस व्यक्ति को
तब उसे एक न एक दिन
करता है पराजित समय
रह जाता है
सारा वैभव और ऐश्वर्य
सारी शक्ति और सत्ता
धरा का धरा यहीं पर
क्योंकि
समय करता है सबके साथ न्याय
इसलिए
किसी भी को भी
विजेता और सर्वशक्तिमान को भी
नहीं पालना चाहिए
तनिक भी अहंकार
नहीं बघारनी चाहिए शेख़ी
और
नहीं करनी चाहिए
मनमानी
क्योंकि
जो भी आया यहां
मानव काया में
वह अंततः हो गया नष्ट
चाहे वह
अत्याचारी रावण हो
या
कंस हो
या फिर
मर्यादा पुरुषोत्तम राम
या
गीता के प्रवर्तक कृष्ण
***

 

Share this content: