परिवर्तन प्रकृति का प्रावधान है। हर इंसान, हर समुदाय और हर धर्म को समय के साथ बदलना पड़ता है। जो लोग नहीं बदल पाते वे पिछड़ जाते हैं। आउटडेटेड हो जाते हैं। अपनी कुछ परंपराओं के चलते इस्लाम भी पूरी दुनिया में हाशिए पर रहा है। लेकिन अब इस्लाम भी रिफॉर्म की ओर बढ़ रहा है। इसकी शुरूआत हो रही सबसे पवित्र इस्लमी मुल्क सऊदी अरब से। सऊदी अरब तेल की निर्भरता से स्वयं को निकालकर पर्यटन और वैश्विक निवेश का हब बनाने की दिशा में काम कर रहा है। इसे ही विजन 2030 नाम दिया गया है।
शरिया कानूनों के सख्त पालन के लिए पूरी दुनिया में मशहूर पाक इस्लामिक देश सऊदी अरब अब अपने इतिहास में पहली बार सार्वजनिक रूप से शराब बिक्री की अनुमति देने की ओर बढ़ रहा है। यह फैसला टूरिज्म को बढ़ावा देने और वर्ल्ड एक्सपो 2030 जैसे अंतरराष्ट्रीय आयोजनों के लिए देश को तैयार करने के उद्देश्य से लिया जा रहा है। 1932 में सऊदी अरब के गठन के साथ ही शराब पर प्रतिबंध लगाया गया था, लेकिन 1952 में इस पर और कठोर कानून बनाए गए थे। हालांकि अब 73 साल बाद, सऊदी अरब के इतिहास में यह एक बड़ा सामाजिक बदलाव माना जा रहा है।
क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (MBS) ने सत्ता में आने के बाद देश में कई ऐसे सुधार किए हैं जो सउदी अरब जैसे देश के लिए अकल्पनीय माने जाते थे। उनके शासन में महिलाओं को वाहन चलाने की अनुमति दी गई। सार्वजनिक मनोरंजन जैसे सिनेमा और संगीत कार्यक्रम को बढ़ावा मिल रहा है। अब विदेशी पर्यटकों के लिए वीजा मुहैया करवाने की प्रक्रिया आसान बनाई गई। इसके बाद शराब पर आंशिक छूट देना बड़ा फैसला माना जा रहा है। शराब को लेकर MBS का दृष्टिकोण यह है कि संस्कृति और धार्मिक मूल्यों को बरकरार रखते हुए वैश्विक सामंजस्य स्थापित करने की दिशा में बड़ा कदम है।
सऊदी सरकार के प्रस्ताव के अनुसार शुरूआत में शराब सिर्फ़ 600 पर्यटक स्थलों पर मिलेगी। केवल लाइसेंस प्राप्त 5-स्टार होटल, रिसॉर्ट और विदेशी ज़ोन में ही बिक्री होगी। 20 फ़ीसदी से अधिक अल्कोहल वाली ड्रिंक्स पर अब भी प्रतिबंध रहेगा। स्थानीय नागरिकों के लिए अब भी बैन जारी रहेगा। सार्वजनिक स्थानों, दुकानों, या घरों में शराब रखना या पीना अभी भी अपराध होगा। यह नीति सिर्फ गैर-मुस्लिम विदेशी पर्यटकों के लिए है, जो दुबई, बहरीन जैसे प्रतिस्पर्धी देशों की तरह अनुभव पाना चाहते हैं।
सऊदी अरब शरीयत को मानने वाला देश हैं। वहां शराब पर प्रतिबंध है। यदि कोई शराब का आयात व पीते हुए पकड़ा जाता है तो उसके लिए कठोर सजा देने का कानून है। प्रतिबंध तोड़ने पर आरोपी को कोड़े मारने, देश से निकालने, जुर्माना और कैद की सजा का प्रावधान है। इस कठोर कानून के चलते सऊदी में कोई शराब के सेवन के बारे में सोच भी नहीं सकता है।
सऊदी अरब 2030 में वर्ल्ड एक्सपो और 2034 में फीफा फुटबॉल वर्ल्ड कप की मेज़बानी करने जा रहा है। ऐसे अंतरराष्ट्रीय आयोजनों में विदेशी पर्यटकों और विभिन्न देशों के प्रतिनिधियों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए, सऊदी सरकार ने सुधार की दिशा में कदम उठाया है। वर्ल्ड एक्सपो 2030, जो 1 अक्टूबर 2030 से 31 मार्च 2031 तक सऊदी अरब की राजधानी रियाद में होगा। यह एक ऐसा मंच है, जहां दुनिया भर के देश अपनी संस्कृति, तकनीक और विकास को प्रदर्शित करते हैं। शराब पर ढील, इसी वैश्विक मंच की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए की जा रही है।
2024 में रियाद के डिप्लोमैटिक जोन में पहली शराब की दुकान खोली गई थी। ये केवल गैर-मुस्लिम विदेशी राजनयिकों के लिए खोली गई थी। इसके लिए ग्राहकों की पहचान और खरीद मोबाइल ऐप से नियंत्रित किए जाते थे। हालांकि, दुकान में मोबाइल फोन ले जाना प्रतिबंधित था। यह सऊदी की नई नीति का एक नियंत्रित और सीमित प्रयोग था, जिससे पता लगाया गया कि सुधार कैसे लागू किए जा सकते हैं वह भी बिना धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाए।
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