काशी के साधु संतों की डिब्बाबंद खाद्यपदार्थों पर चेतवानी लेवल वाले FOPL की मांग

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अखिल भारतवर्षीय ब्राह्मण महासभा, विश्व हिंदू परिषद, पातालपुरी सनातन धर्म रक्षा परिषद उतरे मैदान में

संवाददाता
वाराणसी, भारत में अब पैकेटबंद खाद्य पदार्थों पर अनिवार्य चेतावनी फ्रंट ऑफ पैकेज लेबलिंग (FOPL) की व्यवस्था शुरू करने की मांग ज़ोर राष्ट्रीय आंदोलन का रूप लेती जा रही है, क्योंकि देश के कोने-कोने से पैकेट फ़ूड पर स्टार लेवल की जगह चेतवानी लेवल वाले फ्रंट ऑफ पैकेट लेबलिंग की मांग होने लगी है। अब तो प्राचीन नगरी काशी के साधु-संत भी इस आंदोलन में कूद पड़े हैं। ऐसी व्यवस्था होने के बाद डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों में वसा, नमक या चीनी की मात्रा अधिक हो तो पैकेट के ऊपर साफ़ और मोटे शब्दों मे ‘वसा/नमक/चीनी ज्यादा है’ (high-in fat/salt/sugar) लिखा होना चाहिए।

अखिल भारतवर्षीय ब्राह्मण महासभा, विश्व हिंदू परिषद, पातालपुरी सनातन धर्म रक्षा परिषद सहित कई साधु-संतों ने भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) की ओर से हाल ही में बहुप्रतीक्षित स्टार रेटिंग फूड लेबल आधारित FOPL विनियम को लेकर प्रधानमंत्री को पत्र लिख करके पैरवी की है, कि सरकार अपने निगरानी में चेतावनी वाला फ्रंट ऑफ पैक लैबलिंग लाना सुनिश्चित करें, जिससे कि उपभोक्ताओं को स्वस्थ विकल्प चुनने के अधिकार मिल सके, क्यों कि यह लोगों की सेहत से जुड़ा हुआ मसला है।

प्रधानमंत्री को लिखे पत्र के साथ-साथ ही साधु-संतों ने FSSAI के मुख्य-कार्यकारी को भी पत्र लिखा और उन्हें सूचित किया है कि इस दिशा में जनमानस के पक्ष में कदम उठाए, क्योंकि किसी भी सरकार को नागरिकों की जान को जोखिम में डालने की कोई हक़ नहीं है और अगर सरकार ने त्वरित क़दम नहीं उठाया तो बड़ा आंदोलन शुरू किया जाएगा अखिल भारतवर्षीय ब्राह्मण महासभा के अध्यक्ष नवीन गिरि ने कहा, “चेतावनी लेवल वाला एफओपीएल सबसे कारगर साबित हो सकता है, जो उपभोक्ता को स्वस्थ विकल्प चुनने में मदद करता है, कि डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ में कितना चीनी, वसा एवं नमक की मात्रा है। जिससे गंभीर बीमारी खासकर गैर-संचारी रोगों को रोकने में मदद मिल पाएगी।”

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पातालपुरी सनातन धर्म रक्षा परिषद् के पीठाधीश्वर महंत बालक दास ने कहा, “हमारे देश में जहां कुपोषण के शिकार की संख्या बहुत अधिक साथ ही आज के समय डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ के अत्यधिक चलन के चलते लोग अनगिनत बीमारियों से ग्रसित होते जा रहे हैं। इसीलिए जनमानस को पौष्टिक आहार के बारे में एफओपीएल विनियम के मार्फत पूर्ण जानकारी मिलनी चाहिए।” विश्व हिंदू परिषद के अनुराग त्रिवेदी प्रधानमंत्री को पत्र में निवेदन करते हुए कहा, “पैकेट बंद खाद्य पदार्थ की गुणवत्ता और उसके पैकेजिंग के लिए कड़े नियम बनाए जाए। जैसे डिब्बाबंद खाद्यपदार्थ के सामने चेतावनी लेबल लगे ताकि उपभोक्ता को मालूम हो सके, कि जो वो खाना खाने जा रहा है उससे उसे किन तत्वों की कितनी प्राप्ति होगी।”

भैरव ज्योतिष एवं अनुष्ठान केंद्र के याज्ञिक सम्राट आचार्य महेंद्र पुरोहित ने पत्र में लिखते हुए प्रधानमंत्री से नवीनतम राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5) के परिणामों का हवाला देते हुए कहा “भारत जल्द ही मधुमेह और बच्चों में मोटापे की वैश्विक राजधानी बनने का वांछनीय उपलब्धि हासिल करने वाला है, इसलिए केंद्र सरकार को अविलंब पैकेट फूड पर विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक के अनुसार वार्निंग लेवल लाना चाहिए।”

पत्र में सुझाव देते हुए आचार्य महंत विवेक दास पीठाधीश्वर कबीर मठ मुलगादी एवं अखिल भारतवर्षीय ब्राह्मण महासभा ने जनमानस को ध्यान में रखते हुए इस मसौदे को और मजबूत बनाने के लिए कहा कि रेगुलेशन में फ्रंट ऑफ पैक न्यूट्रीशनल लैबलिंग (FOPNL) में स्पष्ट तौर पर उच्च वसा, उच्च चीनी, एवं उच्च नमक की अधिकता को लेकर आसान तरीके से समझ में आने वाली चेतावनी जारी करें। साथ ही साथ खाद्य पदार्थ बनाने वाले कंपनियों को 4 साल के बजाय 1 से 2 साल का समय दे ताकि वह जल्द से जल्द जनमानस के हक में काम कर सकें।

गौरतलब है कि वर्ष 2021 की ग्लोबल न्यूट्रीशन रिपोर्ट में कहा दया था कि असंतुलित और अस्वस्थकर भोजन के साथ-साथ गैर-संचारी रोगों (NCD) से जुड़े जोखिम वाले आहार की वजह से वर्ष 2018 में लगभग 1.2 करोड़ लोगों की अकाल मौत हुई थी। भारत भी डायबिटीज़ और मोटापे सहित एनसीडी में खतरनाक वृद्धि का सामना कर रहा है। यह देश की स्वास्थ्य प्रणाली पर बहुत अधिक बोझ बढ़ा रहा है। फिलहाल भारत के लगभग 1.5 करोड़ बच्चे मोटापे से पीड़ित हैं।

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विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, भारत में सालाना लगभग 58 लाख लोगों की मौत निवारक गैर संक्रामक रोगों (जिसे होने से रोका जा सकता है) की वजह से हो जाती है. डब्ल्यूएचओ भी इस बात के समर्थन में है कि फ्रंट ऑफ पैक लेबल को अनिवार्य बनाया जाए। डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों पर ऐसे लेबल लगाए जाएं जो समझने में सरल और पढ़ने लायक दिखने वाले हों। IGPP की ओर से “स्वास्थ्य पर पैकेज्ड फूड्स का प्रभाव और चेतावनी व्यवस्था” विषय पर पिछले सितंबर महीने में आयोजित गोलमेज चर्चा में शामिल अधिकांश संसद सदस्यों और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), नई दिल्ली के कई डॉक्टरों ने स्वीकार किया कि भारत में एनसीडी को कम करने में सही एफओपीएल की रणनीतिक भूमिका हो सकती है।

साधु-संतों एवं विशेषज्ञों की यह भी निवेदन किया है कि FSSAI और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय को प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में सार्वजनिक रूप से परामर्श करना चाहिए ताकि नए नियमों के बारे में पर्याप्त जागरूकता पैदा हो सके। इस मुहिम को साधु–संतो के साथ मिल कर अखिल भारतवर्षीय ब्राह्मण महासभा के प्रदेश महामंत्री (संगठन) राकेश रंजन त्रिपाठी ने शुरू किया। विदित हो कि इस महासभा की स्थापना पंडित मदन मोहन मालवीय ने सन 1939 में किया था। इसके मुख्य संरक्षक जगद्गुरु शंकराचार्य भारती तीर्थ श्रृंगेरी है।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के काशी प्रांत के संपर्क प्रमुख दीनदयाल पांडेय ने पैकेट भोजन पर हाल के मसौदा विनियमन पर टिप्पणी पर हस्ताक्षर किए। उन्होंने स्टार रेटिंग के बजाय चेतावनी लेबल वाले एफओपीएल की वकालत की। डॉ लेनिन रघुवंशी ने उनका सत्कार किया। संस्कार भारती द्वारा आयोजित रानी लक्ष्मीबाई की जयंती में वे मुख्य अतिथि थे।

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