अब तक महिलाओं को पितृसत्तात्मक समाज में ऑनर किलिंग का शिकार उनके ही परिजन बनाते थे। पिता, भाई या पति, चाचा, मामा अपनी झूठी ‘इज़्ज़त’ के नाम पर बेटी की जान ले लेते थे। लेकिन ऑनर किलिंग अब दूसरे रूप में समाज के सामने है। यानी यह सिलसिला अब केवल घर की चारदीवारी तक सीमित नहीं रहा, बल्कि समाज के तथाकथित संस्कृति के रखवाले और सोशल मीडिया के स्वयंभू नैतिक ठेकेदार भी महिलाओं की आवाज़ दबाने के लिए हिंसा और हत्या का सहारा लेने लगे रहे हैं। ‘सम्मान की हत्या’ का ख़तरनाक मोड़ पंजाब में देखने को मिला। इस भयावहता की शिकार हुई है कंचन कुमारी उर्फ़ कमल कौर।
दरअसल पंजाब के बठिंडा में रहने वाली यूट्यूबर और सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर कंचन कुमारी की हत्या सिर्फ एक लड़की की नहीं, बल्कि उसके विचारों, उसकी स्वतंत्रता, उसकी पहचान की हत्या है। अब सवाल यह उठता है कि क्या समाज के ये ठेकेदार तय करेंगे कि कौन औरत कैसी दिखे, क्या पहने, क्या बोले, क्या सोचे, और सोशल मीडिया पर क्या डाले? आज हालात यह बन चुके हैं कि कुछ मुट्ठी भर तथाकथित धार्मिक व नैतिक पहरेदार खुद को ‘जज’ मान बैठें हैं, और तय करने लगे हैं कि आम आदमी या औरत को कैसे रहना चाहिए, कैसे बोलना चाहिए, कैसे सोचना चाहिए और किस हद तक स्वतंत्रता लेनी चाहिए। यदि कोई उनकी सोच से अलग चलता है तो उसे धमकाया जाता है, शर्मिंदा किया जाता है, और जब ये हथकंडे नाकाम हो जाएं, तो हत्या कर दी जाती है।
कंचन कुमारी की 9-10 जून की रात गला घोंटकर निर्मम हत्या कर दी गई। उनका शव 11 जून को आदर्श यूनिवर्सिटी की पार्किंग में कार से बरामद हुआ। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में पुष्टि हो गई कि मौत का कारण गला दबाना (strangulation) है। हत्या ‘कमर बंद’ से की गई। हत्या के बाद आरोपियों ने सबूत मिटाने के लिए हत्या में इस्तेमाल पारंपरिक ‘कमर बंद’ को जला दिया। इस मामले में दो निहंग सिख, जसप्रीत सिंह और निम्रतजीत सिंह गिरफ्तार किए गए हैं, जबकि मुख्य आरोपी अमृतपाल सिंह मेहरों, हत्या के कुछ घंटों बाद ही अमृतसर से उड़ान भरकर यूएई फरार हो गया। बहरहाल, पुलिस ने उसके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया है और उसके प्रत्यर्पण की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
पुलिस के अनुसार, आरोपियों ने कंचन कुमारी को पकड़ने के बाद उसके मोबाइल फोन का पासवर्ड जानने के लिए उसे कई बार थप्पड़ मारे, फिर पासवर्ड मिलने के बाद अमृतपाल उसके दोनों फोन लेकर भाग गया। यह भी सामने आया है कि अमृतपाल ने कई अन्य महिला इंफ्लुएंसर्स को भी धमकाया था। मशहूर गायक मीका सिंह और निहंग समुदाय के प्रमुख बाबा हरजीत सिंह रसूलपुर ने इस हत्या की कड़ी निंदा की। बाबा ने कहा, “अगर कंटेंट आपत्तिजनक था तो उसे नज़रअंदाज किया जा सकता था, हत्या कायरता है, बहादुरी नहीं।” सूत्रों के अनुसार, कंचन पर दबाव डाला जा रहा था कि वह अपने नाम से ‘कौर’ शब्द हटा दे। उसके इनकार के बाद ही यह घृणित साजिश रची गई।
कुछ भी हो यह घटना केवल कंचन कुमारी की हत्या नहीं, बल्कि यह एक चेतावनी है—हर उस स्वतंत्र सोच रखने वाली महिला के लिए जो पितृसत्ता की सीमाओं को लांघकर अपने मन की बात करना चाहती है। सवाल यही है कि क्या हम एक ऐसे समाज की तरफ बढ़ रहे हैं जहां औरत की आज़ादी, उसकी पहचान, उसकी आवाज़ – सब कुछ ‘संस्कृति के रखवालों’ की मंज़ूरी का मोहताज होगा?
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