जौनपुर को भी ‘नोएडा’ की तरह विकसित करने की मोदी सरकार की योजना (Modi government’s plan to develop Jaunpur like ‘Noida’)
कार्य-योजना तैयार करने में जुटे हैं केंद्र और राज्य सरकार के कई विभाग
अरविन्द उपाध्याय
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी का कायाकल्प करने का बाद अब धार्मिक नगरी के 100 किलोमीटर के दायरे में आने वाले जौनपुर समेत समस्त पूर्वांचल विकास की मुख्य धारा में लाने की योजना पर काम कर रहे हैं। पूर्वांचल में भाजपा की मजबूती पर उनका ख़ास फोकस है।
वाराणसी को केंद्र में रखते हुए पूर्वांचल के विकास की योजना पर करीब एक साल से मंथन चल रहा है। प्रधानमंत्री चाहते हैं कि कोलकाता और नई दिल्ली के बीचो-बीच दिल्ली एनसीआर की तर्ज पर एक औद्योगिक क्षेत्र विकसित हो जो अत्यंत पिछड़े हुए पूर्वांचल के विकास को गति दे सके। प्रारंभ में वाराणसी और उसके अगल-बगल की 100 किलो- मीटर परिधि में आने वाले क्षेत्र को लिया जाना है। अमूल डेयरी प्लांट इसी योजना की एक कड़ी है।
समझा जा रहा है कि जौनपुर समेत वाराणसी के अगल-बगल स्थित जिलों में कई रेलवे स्टेशनों को अधिक सक्षम और आधुनिक बनाने की योजना इसी का हिस्सा है, जिस पर काम चल रहा है। वाराणसी में प्रस्तावित मेट्रो रेल परियोजना भी इन क्षेत्रों को आपस में जोड़ सकती है। इसके अलावा बाबतपुर में स्थित लाल बहादुर शास्त्री एयरपोर्ट का का पिछले कई वर्षों से निरंतर चल रहा विकास प्रस्तावित परियोजना का हिस्सा माना जा रहा है।
एग्रो पार्क में पैक हाउस स्थापित होने के बाद आसपास के क्षेत्रों की सब्जियां और फल विदेशों को निर्यात होने लगे हैं। हरी मिर्च और आम जैसे कृषि उत्पादों को अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में सीधे बेच कर इस क्षेत्र के कई किसानों ने अच्छा लाभ कमाया है और साथ ही वो क्षेत्रीय किसानों के लिए प्रेरणा स्रोत बने हैं। अच्छी बात यह है की वाराणसी प्रधानमंत्री का संसदीय क्षेत्र होने के कारण केंद्र और राज्य के सभी संबंधित विभाग इन योजनाओं के अच्छे नतीजों के लिए काफी हद तक तत्पर रहते हैं।
जौनपुर से मात्र 28 किलोमीटर दूर वाराणसी राजमार्ग पर स्थित करखियांव एग्रो पार्क (Karkhiyaon Agro Park) के पास बहुत तेजी से स्थापित हुए अमूल डेयरी प्लांट में काम शुरू हो गया है। देश में श्वेत क्रांति का अगुवा अमूल पूर्वांचल में दुग्ध एवं दुग्ध उत्पादों बढ़ाने और 100 किलोमीटर की परिधि के कार्यक्षेत्र की अर्थव्यवस्था सुधारने के काम में जुट भी गया है।
करखियांव में 475 करोड़ रुपये की लागत से स्थापित अमूल डेयरी प्लांट ने डेयरी से लोगों को जोड़ कर नौकरी और व्यवसाय के नए अवसर खोले हैं। उम्मीद की जा रही है कि इससे पलायन भी रुकेगा। वर्तमान लोकसभा चुनाव में अगर इन क्षेत्रों से विकास के प्रति संजीदा सांसद निर्वाचित हुए तो मोदी सरकार की संभावित अगली पारी में अच्छी उम्मीदें की जा सकती हैं।
अमूल प्लांट स्थापित करने वाली संस्था बनास डेयरी के चेयरमैन शंकर भाई चौधरी के मुताबिक इस प्लांट के खुलने से आने वाले समय में तीन लाख लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा। पशुपालकों की आय दोगुनी हो जाएगी। उचित मूल्य के साथ-साथ उन्हें कंपनी की ओर से वार्षिक बोनस भी दिया जाएगा।
अमूल का यह प्लांट वाराणसी, जौनपुर, चंदौली, भदोही,गाज़ीपुर, आज़मगढ़, मिर्ज़ापुर और आसपास के जिलों के किसानों के लिए एक बड़ा अवसर साबित होने वाला है। दूसरी तरफ क्षेत्र में तेजी से बिछाई जा रही गैस पाइपलाइनें विकसित हुए राजमार्गों के किनारे प्रस्तावित औद्योगिक कारीडोर के लिए काफी अहम साबित होने वाली हैं।
इसी वर्ष 23 फरवरी को प्रधानमंत्री के हाथों हुए उद्घाटन के बाद विधिवत शुरू होने वाले इस अमूल प्लांट की अधारशिला विधानसभा चुनाव से पहले 23 दिसंबर, 2021 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ही रखी थी। हालांकि अमूल के इस प्लांट को तैयार होने में निर्धारित समय डेढ़ वर्ष की जगह तीन वर्ष लग गये। वह भी जब निर्धारित समय पर काम पूरा न होने के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय से उनकी लगातार मॉनिटरिंग होने लगी।
प्लांट में उत्पादन शुरू होने के पहले से ही वाराणसी के अतिरिक्त जौनपुर, गाजीपुर, चंदौली और जौनपुर में मिल्क कलेक्शन सेंटर खोलने सहित अन्य व्यवस्थाएं प्रबंधन द्वारा की जा रही हैं। जौनपुर सहित पूर्वांचल के तकरीबन सभी जिलों में जगह-जगह खुले अमूल पार्लर पूर्वांचल को मिली अच्छी उपलब्धि की एक झलक है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। पिछले चार दशक से देश की शीर्ष पत्र-पत्रिकाओं में लिख रहे हैं।)
तरुणमित्र से साभार
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