सुजाता बजाज ने कैनवास पर उकेरा सम्पूर्ण गैलेक्सी

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पेंटिंग बनाती सुजाता बजाज

अगर आपको गहरे नीले आसमान, टिमटिमाते तारों और अनंत ब्रह्मांड का दीदार पसंद है, तो मूर्धन्य कलाकार सुजाता बजाज की पेंटिंग्स में ये सभी नज़ारे जीवंत हो उठते हैं। उनकी कला प्रकृति की व्यापकता और रहस्यमय आकर्षण को अपने रंगों में समेटे हुए है। पिछले पाँच वर्षों में सृजित उनकी कृतियाँ सुरों और रंगों का ऐसा अनूठा संगम प्रस्तुत करती हैं, जिसे देखकर दर्शक सम्मोहित हुए बिना नहीं रह सकते।

पेंटिंग्स केवल रंगों और रेखाओं का खेल नहीं, बल्कि आत्मा की अभिव्यक्ति भी होती है। सुजाता बजाज का वर्क इसी अभिव्यक्ति का बेहतरीन उदाहरण है। दक्षिण मुंबई के प्रमुख कला केंद्र प्रतिष्ठित जहांगीर आर्ट गैलरी में उनकी पेंटिंग्स हर आगंतुक को मंत्रमुग्ध कर रही हैं। उनकी पेंटिंग्स में दिलचस्प पहलू यह है कि वे प्रत्येक पेंटिंग में अपना नाम हिंदी में उकेरती हैं, जो उनकी कला को और भी विशिष्ट बना देता है। यह न केवल उनकी कला को पहचान देने का कार्य करता है, बल्कि हिंदी भाषा के प्रति उनके गहरे लगाव को भी दर्शाता है।

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मुंबई की प्रतिष्ठित जहांगीर आर्ट गैलरी में 4 मार्च से 10 मार्च तक चल रही उनकी पेंटिंग प्रदर्शनी को देखने दुनियाभर से कला प्रेमी और प्रतिष्ठित कलाकार आ रहे हैं। उनकी कृतियों ने भारतीय दर्शकों के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय कला जगत का भी ध्यान आकर्षित किया है और चर्चा का केंद्र बनी हुई हैं।

भारतीय परंपरा और आधुनिकता का अद्भुत संगम
सुजाता बजाज की पेंटिंग्स में अब्स्ट्रैक्ट आर्ट का उत्कृष्ट प्रयोग देखने को मिलता है। उनकी शैली में भारतीय परंपरा और आधुनिकता का अद्भुत संतुलन है। रंगों के साहसिक और गतिशील प्रयोग से उनकी पेंटिंग्स में एक अलग ही ऊर्जा झलकती है। उनके चित्रों में भावनाओं और प्रतीकों का अद्भुत समावेश दिखता है। यही कारण है कि पेरिस, लंदन, न्यूयॉर्क और दुबई जैसी प्रतिष्ठित कला दीर्घाओं में उनकी पेंटिंग्स को सराहा गया है। उनकी शैली में पिकासो और मातिस जैसे महान कलाकारों की छवि तो दिखती है, लेकिन इसमें भारतीय पारंपरिक कलात्मकता की झलक भी स्पष्ट रूप से नजर आती है।

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‘स्पेसस्केप्स’ सीरीज़: ब्रह्मांड से प्रेरित कला
2019 में, सुजाता ने नासा के हबल टेलीस्कोप से ली गई एंड्रोमेडा गैलेक्सी की छवि देखी और इससे गहराई से जुड़ गईं। यह वह क्षण था, जब उनकी कला में अंतरिक्ष की झलक उभरने लगी। उन्होंने जेम्स वेब टेलीस्कोप से ली गई ब्रह्मांडीय छवियों का अध्ययन किया और अपनी कल्पना को नए रंगों और आकारों में ढालने लगीं। ‘स्पेसस्केप्स’ नामक यह अनूठी श्रृंखला उनके नवीन प्रयोगों का परिणाम है, जिसमें अंतरिक्ष की अनंतता और रंगों की ऊर्जा एक साथ सजीव हो उठती हैं।

कला और ब्रह्मांड का अद्भुत समन्वय
सुजाता बजाज की पेंटिंग्स समय और स्थान की पारंपरिक परिभाषाओं को चुनौती देती हैं। जब हम उनकी कला को निहारते हैं, तो ऐसा प्रतीत होता है कि समय कैनवास से निकलकर किसी अनंत यात्रा पर निकल पड़ा है। यह वैसा ही अहसास है, जैसा ट्रेन में सफर करते समय होता है—जहाँ हर कोई गतिशील है, परंतु यह समझ पाना कठिन होता है कि वास्तविक दिशा क्या है।

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यह सवाल खगोलशास्त्रियों और कलाकारों दोनों को समान रूप से आकर्षित करता है—हम कौन हैं? हम कहां से आए हैं? और हम कहां जा रहे हैं? खगोलशास्त्री इन प्रश्नों के उत्तर भौतिकी और गणित में खोजते हैं, जबकि कलाकार रंगों और आकृतियों के माध्यम से इन्हें व्यक्त करता है।

सुजाता की कृतियों में दिखने वाले लाल, नीले और हरे रंग केवल रंग भर नहीं हैं, बल्कि ये जीवन, ऊर्जा और पूरे ब्रह्मांड की कहानी कहते हैं। उनकी पेंटिंग्स केवल देखने की चीज़ नहीं, बल्कि अनुभव करने का माध्यम हैं। प्रत्येक चित्र एक नई कहानी कहता है, जो दर्शकों को उनकी कल्पनाओं की गहराइयों में ले जाता है।

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कला और विज्ञान के बीच सेतु
सुजाता की पेंटिंग्स वैज्ञानिक खोजों और मानवीय संवेदनाओं के बीच एक पुल का कार्य करती हैं, जहाँ वास्तविकता और अमूर्तता एक हो जाते हैं। यही कारण है कि उनकी कला में ब्रह्मांड की गहराई, रहस्य और अनंतता दिखाई देती है। उनकी पेंटिंग्स यह दर्शाती हैं कि ब्रह्मांड का सौंदर्य न केवल वैज्ञानिक खोजों में, बल्कि कलाकार की दृष्टि में भी समाहित है।

उनकी पेंटिंग्स को देखने के बाद यह एहसास होता है कि कला केवल सौंदर्य नहीं, बल्कि आत्मा से जुड़ने का एक माध्यम भी है। सुजाता बजाज की कला ब्रह्मांड के अनसुलझे रहस्यों और मानव कल्पना के बीच एक अद्भुत संवाद प्रस्तुत करती है। यही कारण है कि उनकी हर कृति ब्रह्मांड की तरह अनंत संभावनाओं से भरी हुई प्रतीत होती है।

लेख -हरिगोविंद विश्वकर्मा

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