सरोज कुमार लोगों की भागीदारी से बनने और चलने वाला तंत्र लोकतंत्र कहलाता है। तंत्र पर चंद लोगों का वर्चस्व कायम हो जाए, फिर तंत्र चंद लोगों के हित में चलने, काम करने लगे, तब इसे क्या कहेंगे? वर्चस्व का अंकुर तो कामना से ही फूटता है। कामना ही बलवती होकर लोभ का रूप लेती …