यूक्रेन की संप्रभुता की रक्षा की जानी चाहिए – मार्गरेट मैकलियोड

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सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता का प्रबल दावेदार है भारत

मुंबई। यूएस डिपार्टमेंट ऑफ स्टेट के तहत कार्यरत लंदन इंटरनेशनल मीडिया हब की हिंदुस्तानी प्रवक्ता मार्गरेट मैकलायड ने कहा कि अमेरिका चाहता है कि रूस का आक्रमण झेल रहे यूक्रेन की संप्रभुता की रक्षा की जानी चाहिए। अमेरिकी नीति का मुख्य उद्देश्य रूस के आक्रामक रवैये को रोकना और यूक्रेन की संप्रभुता की रक्षा करना है, क्योंकि यूक्रेन के स्कूलों, अस्पतालों और रिहायशी इलाकों पर रूस के हमले से न केवल यूक्रेन में विनाश हुआ है, बल्कि यूरोप की स्थिरता के लिए भी खतरा पैदा हो गया है।

मुंबई स्थित बीकेसी में अमेरिकी वाणिज्य दूतावास में पत्रकारों से चर्चा करते हुए मैकलायड ने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान अमेरिका ने एक स्पष्ट और सख्त रुख अपनाया है। वाशिंगटन ने यूक्रेन को सैन्य, आर्थिक और मानवीय सहायता देने के लिए प्रतिबद्धता जताई है। इन परिस्थितियों में अमेरिका ने वैश्विक लोकतंत्र और अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था की रक्षा के लिए यूक्रेन को हर संभव समर्थन देने का निर्णय लिया है।

सुश्री मैकलियोड ने कहा कि अमेरिका ने रूस पर प्रतिबंध लगाकर और यूक्रेन को सैन्य आपूर्ति बढ़ाकर इस संघर्ष में अपना पक्ष स्पष्ट कर दिया है। अमेरिका का मानना है कि यूक्रेन की हार केवल एक देश की हार नहीं होगी, बल्कि यह लोकतांत्रिक मूल्यों और अंतरराष्ट्रीय कानून के लिए बड़ा झटका होगा। साथ ही, बाइडन प्रशासन ने यह चेतावनी दी है कि अगर इस युद्ध को नजरअंदाज किया गया, तो यह अन्य तानाशाही शक्तियों को प्रोत्साहित कर सकता है। अमेरिकी नीति का यह दृष्टिकोण युद्ध को केवल क्षेत्रीय विवाद न मानकर एक वैश्विक संघर्ष के रूप में देखता है, जो पूरी दुनिया की स्थिरता और शांति को प्रभावित कर सकता है।

सुश्री मैकलियोड का मानना है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का विस्तार होता चाहिए और अमेरिका चाहता है कि नई दिल्ली को सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता मिले, जिससे दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश भारत जटिल अंतरराष्ट्रीय समस्याओं को हल करने और शांति स्थापित करने में योगदान करे। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि भारत का दुनिया में प्रभाव तेजी से बढ़ रहा है और अब नई दिल्ली सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता का प्रबल दावेदार है। गौरतबल है कि 1945 में जब संयुक्त राष्ट्र संघ सुरक्षा परिषद का गठन केवल 51 देश थे अब 193 देश हैं। इस लिहाज से सुरक्षा परिषद के विस्तार की जरूरत है।

मार्गरेट मैकलियोड ने गाजा संघर्ष मुद्दे पर बाइडन प्रशासन के रुख का जोरदार तरीके से समर्थन करते हुए कहा कि अमेरिका इजरायल की सुरक्षा का समर्थन करता है, लेकिन उसने मानवीय सहायता के लिए गाजा में राहत सामग्री की पहुंच बढ़ाने और नागरिकों के लिए स्थिति को सुधारने की अपील की है। उन्होंने हमास को संघर्षविराम वार्ता को बाधित करने के लिए जिम्मेदार ठहराया है।

कोलंबिया विश्वविद्यालय से सतत विकास में डॉक्टरेट की उपाधि, जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय से अंतर्राष्ट्रीय अर्थशास्त्र में स्नातक की डिग्री और रोटरी स्कॉलर के रूप में दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स  में अध्ययन कर चुकी मार्गरेट मैकलियोड अमेरिकी विदेश विभाग की हिंदुस्तानी प्रवक्ता हैं। वह दुनिया भर में हिंदी और उर्दू बोलने वालों को अमेरिकी विदेश नीति की प्राथमिकताओं के बारे में बताती हैं। कैरियर विदेश सेवा अधिकारी के रूप में, वह भारत, पाकिस्तान और जापान में अमेरिकी मिशन में काम कर चुकी हैं। उनके घरेलू कार्यों में अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा और परमाणु अप्रसार, अंतर्राष्ट्रीय संगठन और कैपिटल हिल में फेलो के रूप में काम करना शामिल है।

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