‘अल्फ़ाज़’ में तीन घंटे हॉल लगातार तालियों से गूंजता रहा…

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चंदन पानी स्टूड़ियोज़, इंडी फिल्मस और इंशाद फाउंडेशन का मुशायरा

संवाददाता
मुंबई। कोई भी मुशायरा हो सभी शायर दर्शकों पर समान असर नहीं छोड़ते। कोई शायर ज़्यादा दाद हासिल करता है तो कोई शायर कम। कभी किसी शायर के आने पर मुशायरा अपने शबाब पर पहुंच जाता तो कभी किसी शायर के माइक संभालने से ख़ामोशी छा जाती है। लेकिन रविवार की शाम ‘अल्फ़ाज़’  मुशायरा इतना शानदार रहा कि दर्शकों के दिलों-दिमाग़ पर अमिट छाप छोड़ गया। आलम यह था कि ग़ज़ल की दुनिया की नामचीन हस्तियों की मौजूदगी में बांद्रा पश्चिम के बॉम्बे आर्ट सोसाइटी का सभागार पूरे तीन घंटे तालियों और वाह-वाह से गूंजता रहा।

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युवा शायरों और शायराओं समेत सभी दस के दसों शायरों ने एक से बढ़कर एक उम्दा रचाएं पेश करके वहां मौज़ूद सभी लोगों को विस्मित कर दिया। दर्शकों को यह मुशायरा इतना पसंद आया कि जब सबसे अंत में इंशाद फाउंडेशन के प्रवर्तक नवीन जोशी नवा ने जब समापन किया तो हॉल में मौजूद सभी लोग उनके सम्मान में खड़े हो गए और खड़े होकर उनकी शानदार रचना के लिए बधाई दी।

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‘अल्फ़ाज़’ मुशायरे का आयोजन चंदन पानी स्टूड़ियोज़, ओटीटी प्लेटफॉर्म इंडी फिल्मस और इंशाद फाउंडेशन ने मिल कर किया था। सबसे पहले रितिका ‘रीत’ आई उन्हें सुनकर लगा कि नहीं कि इस नवोदित शायरा ने तो शुरुआत में ही महफ़िल लूट लिया। लेकिन उनके बाद आए शिवम सोनी ने भी अपनी रचनाओं से समां बांध दिया और लगा कि उन्होंने भी मुशायरा अपने नाम कर लिया। उनके बाद माइक संभाला तारीक़ जमाल अंसारी ने और उन्होंने जो शेर और ग़ज़लें पढ़ी कि लोगों ने दांतों तले उंगली दबा ली।

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इसके बाद पधारे नवोदित शायर ज़ीशान ‘साहिर’। उन्होंने भी इतनी उम्दा रचनाएं पेश किया लगा उन्होंने भी मुशायरा लूट लिया, लेकिन उनके बाद आई पूनम विश्वकर्मा ने भी असाधारण ग़ज़लें पेश करके दर्शक-दीर्घा में बैठे नामचीन शायरों को हकबक कर दिया। उन्होंने जब तरन्नुम में ग़ज़लें पढ़ना शुरू किया तो पूरा हाल उनकी ग़ज़लों के साथ लय मिलाते हुए ताली बजाने लगा। पूरा माहौल ही ग़ज़लमय हो गया। ऐसा लगा कि पूनम ने मुशायरे को अपना नाम कर लिया।

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उनके बाद ग़ज़ल पढ़ने आए सोशल मीडिया स्टार अश्वनी मित्तल ‘ऐश’ ने अपनी रचनाओं से खूब वाहवाही लूटी। उनका ग़ज़ल पढ़ने का अंदाज़ सबको पसंद आया। ऐश के बाद माइक संभाला मुशायरे की निज़ामत कर रहे मशहूर शायर तनोज दाधिच। उन्होंने ऐसी ग़ज़लें पेश किया ऐसा लगा कि महफिल उनके नाम हुई। उनके बाद आए नवोदित शायर आमीर हमज़ा हलबे ने तो ऐसे-ऐसे कलाम पेश किए कि लोगों की ताली रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी।

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मंच पर चुपचाप बैठे मक़सूद आफ़ाक़ को जब माइक मिली तो उन्होंने भी कमाल कर दिया। अपनी धमाकेदार शायरी से दर्शकों का दिल जीत लिया। सबसे अंत में आए नवीन जोशी नवा। उन्हें सुनकर ऐसा लगा कि वह अपने बेस्ट फेज़ में हैं। उन्होंने ऐसे-ऐसे ख़यालात वाले शेर प्रस्तुत किए जिनके बारे में आम आदमी कल्पना भी नहीं कर सकता। उनके शेरों को सुनकर पूरे ऑडिटोरियम के दर्शकों ने खड़े होकर स्वागत किया।

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बॉम्बे आर्ट सोसाइटी के सभागार में दर्शक दीर्घा में दुबई के प्रसिद्ध शायर शादाब उल्फ़त, लखनऊ के ज़ुबैर अंसारी, शिमला के अभिषेक तिवारी, शायर माधव बर्वे ‘नूर’, शायर और आयोजक सिद्धार्थ शांडिल्य और अन्य गणमान्य लोग मौजूद थे। कार्यक्रम की धमाकेदार सफलता से सभी बहुत उत्साहित हुए। चंदन पानी संस्था के प्रशांत पांडेय और चंदन सिंह ने कहा कि उनके पहले ही प्रयत्न की इतनी बड़ी सफलता ने उन्हें बहुत प्रेरित किया है और अब वह शाइरी की दुनिया में कुछ बड़ा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

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इंशाद फाउंडेशन के प्रवर्तक नवीन ‘नवा’ ने कहा कि युवाओं पर उनके विश्वास को एक बार फिर युवाओं ने पूरी तरस सही साबित किया है। चंदन पानी की टीम के आयोजन कौशल्य से वह बहुत प्रभावित हुए हैं और भविष्य में भी इंशाद फाउंडेशन चंदन पानी को शायरी के क्षेत्र में कार्यरत रहने में सहयोग करेगा। इस समारोह के अंत में पूनम विश्वकर्मा के पहले ग़ज़ल संग्रह “सुब्ह शब भर…” की “मुंह दिखाई” की रस्म हुई।

 

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