चित्रनगरी संवाद मंच में सोशल मीडिया पर चर्चा
मुंबई, समाज, मनोविज्ञान और विश्व सिनेमा पर दस किताबें लिख चुकी मराठी की प्रतिष्ठित लेखिका नीलांबरी जोशी (Neelambari Joshi) का मानना है कि सारी बीमारियों मानसिक अस्वस्था की उपज होती हैं, इसलिए हर किसी को अपनी व्यक्तिगत समस्याएं, परेशानी या मन की उलझन किसी अंतरंग दोस्त जो उसे अच्छी तरह से समझता हो, के साथ अवश्य शेयर करना चाहिए, क्योंकि कोई भी असहज करने वाला मुद्दा दिमाग़ में कचरे की तरह बैठ जाता है, इसलिए उसकी सफाई तभी हो सकती है, जब आप उसके बारे में किसी से चर्चा करें।
कई अवार्ड से नवाज़ी जा चुकी नीलंबरी रविवार चित्रनगरी संवाद मंच मुम्बई में रचनात्मक संवाद के लिए ख़ास तौर को पुणे से पधारी थीं। मराठी के वरिष्ठ लेखक अशोक राजवाड़े (Ashok Rajwade) ने कार्यक्रम के आरंभ में नीलांबरी जोशी का विस्तार से परिचय प्रस्तुत किया और उनकी ख़ूबियों से उपस्थित लोगों को अवगत करवाया।
नीलांबरी जोशी के एक घंटे लंबे रोचक, सार्थक और ज्ञानवर्धक वक्तव्य को सारे श्रोता मंत्रमुग्ध होकर सुनते रहे। उन्होंने अपने वक्तव्य की शुरुआत विश्व सिनेमा की कुछ चर्चित फ़िल्मों से की। मानव मनोविज्ञान पर अपने वक्तव्य में नीलांबरी ने आर्थर मिलर, मर्लिन मुनरो और चार्ली चैपलिन को भी याद किया। कुछ रोचक प्रसंगों का ज़िक्र करने के बाद उन्होंने सोशल मीडिया से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों का खुलासा किया।
मराठी लेखिका ने कुछ घटनाओं के हवाला देकर विस्तार से बताया कि कैसे लोग फेसबुक पर दूसरों की फोटो या दूसरे पोस्ट को मिले असंख्य लाइक्स, कमेंट्स और शेयर देखकर अवसाद ग्रस्त हो जाते हैं। उनमें हीनता का बोध होता है। वे सोचने लगते हैं कि हमारा मित्र गोवा तो घूम रहा है और हम यूं ही घर में बेकार बैठे हैं। वस्तुतः सोशल मीडिया पर किसी के जीवन का एक ख़ास पहलू ही देख पाते हैं।
नीलंबरी जोशी ने आगाह किया कि हमें अपने 24 घंटों में से सोशल मीडिया को एक घंटे से ज़्यादा नहीं देना चाहिए। उनका कहना था कि फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम जैसे ऐप्स अगर मोबाइल में न रखकर सिर्फ लैपटॉप या कंप्यूटर में रखे जाएं तो बेहतर होगा। नीलंबरी जोशी के वक्तव्य के बाद अभिनेता शैलेंद्र गौड़, सुधाकर पांडेय और राजेश ऋतुपर्ण ने कुछ महत्वपूर्ण सवाल उठाकर चर्चा को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की।
इस बैठक में देश में हो रहे साहित्य उत्सवों यानी लिट फेस्ट का भी ज़िक्र हुआ और उनके पीछे की राजनीति पर चर्चा हुई। कुल मिलाकर आपसी सम्वाद की यह एक सार्थक शाम थी जिसमें साहित्य से लेकर सिनेमा और सोशल मीडिया के विविध पहलुओं पर बातचीत हुई। चर्चा के बाद चुनिंदा रचनाकारों ने कविता पाठ किया, जिनमें डॉ दमयंती शर्मा, डॉ रोशनी किरण, पूनम विश्वकर्मा, पीयूष पराग, तारिक जमाल, अभिजीत सिंह, शिवम सोनी, विशु, राजेंद्र वर्मा, केपी सक्सेना और अभिनेता राजकुमार कनौजिया शामिल थे।
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