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गाय की सेहत को दुरुस्त रखने के लिए बीएचयू में कार्यशाला

गाय की सेहत को दुरुस्त रखने के लिए बीएचयू में कार्यशाला

राजीव गाँधी दक्षिणी परिसर में उन्नाव के किसानों को दिया प्रशिक्षण

संवाददाता
वाराणसी। कृषि और पशुओं के बारे में अनुसंधान करने में अग्रणी रहे काशी हिंदू विश्वविद्यालय की ओर से अब गाय की सेहत को दुरुस्त रखने के लिए विशेष पहल की जा रही है ताकि गाय पालक गायों से ज़्यादा दूध प्राप्त कर सकें और गाय-पालन के लिए प्रेरित हो सकें। इसी क्रम में बीएचयू के बरकछा स्थित राजीव गाँधी दक्षिणी परिसर में किसानों की तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें विशेषज्ञों ने कार्यशाला में भाग लेने वाले उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के पशुपालक किसानों को पशुओं के आहार एवं खनिज मिश्रण नियमन के संदर्भ में प्रशिक्षण दिया।

दरअसल, गाय समेते सभी दुग्ध-पशुओं को उनकी शारीरिक गतिविधियों, वृद्धि, दूध उत्पादन, प्रजनन और स्वास्थ्य के लिए खनिज की आवश्यकचा होती हैं। पशु अपने शरीर के अंदर खनिजों को संश्लेषित नहीं कर सकते हैं और आमतौर पर डेरी पशुओं को खिलाए जाने वाले आहार एवं चारे में आवश्यक मात्रा में सभी खनिज उपलब्ध नहीं होते हैं। इसलिए पशु को पर्याप्त मात्रा में अच्छी गुणवत्ता के खनिज मिश्रण के साथ संपूरक आहार दिया जाना चाहिए।

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किसानों की इसी समस्या के निराकरण करने और उन्हें प्रशिक्षण देने के लिए पशु पोषण विभाग, पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान संकाय, कृषि विज्ञान संस्थान, द्वारा “पशु आहार एवं खनिज मिश्रण नियमन प्रशिक्षण” विषय पर 12 से 14 दिसंबर के दौरान त्रिदिवसीय दिवसीय कार्यशाला का आयोजन सफल आयोजन किया गया। यह कार्यशाला मुख्यरूप से उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के पशुपालक किसानो के लिए थी। कार्यशाला का उद्घाटन और समापन संकाय के प्रो अमितराज गुप्ता की अध्यक्षता में हुआ। कार्यशाला के समापन समारोह के संबोधन में प्रो गुप्ता ने कार्यशाला सचिव डॉ अभिषेक कुमार सिंह और सभी पशुपालकों को प्रशिक्षण सफलतापूर्वक समाप्त होने पर ख़ुशी जताई और बधाई दी।

डॉ अभिषेक कुमार सिंह ने बताया कि कार्यशाला में प्रशिक्षण के दौरान प्रशिक्षुओं को दुग्ध उद्पादन के विभिन्न आयामों पर जानकारी दी गई। डॉ. सिंह ने कहा कि पशुओं से अधिकतम उत्पादन के लिए उनके आहार में कैल्शियम, फास्फोरस, मैग्नीशियम, सोडियम, पोटाशियम, तांबा, लोहा, जस्ता, मैगनीज, कोबाल्ट आयोडीन होना जरूरी है। खनिज मिश्रण ऐसे ही खनिज तत्वों का मिश्रण है। यह तत्व पशु को बहुत कम मात्रा में चाहिए। सूखे चारे में जरूरत के अनुसार दाना, खनिज लवण मिलाकर मशीन से ब्लॉक के रुप में बदला जाता है, यह आहार कई प्रकार से उपयोगी होता है।

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प्रशिक्षण का मुख्य केंद्र बिंदु पशुओं हेतु भारतीय मानक के अनुसार खनिज मिश्रण बनाने की बनाने की विधि पर था जिसके लिए विशेष व्याख्यान डॉ महिपाल चौबे और डॉ संदीप कुमार चौधरी द्वारा दिया गयाl खनिज मिश्रण बनाने की के प्रायोगिक बिंदुओं को दर्शाते हुए पशुपालकों द्वारा खनिज मिश्रण भी बनवाया गया। दोनों विशेषज्ञों ने कहा कि खनिज तत्वों की कमी खेत की गहन जुताई, अधिक फसल लेना, मिट्‌टी में खनिजों की कमी बढ़ रही है। मिट्‌टी पानी में खनिज तत्वों की कमी से चारे में भी इन तत्वों की कमी हो जाती है। इसकी कमी से पशु के दुग्ध उत्पादन में कमी हो जाती है। उसे भूख कम लगती है और प्रजनन शक्ति क्षीण होने से पशु बांझपन की शिकार हो जाती है। इसके अलावा पशु मिट्‌टी, कपड़ा और कागज खाने लगते हैं। इसलिए पशु को पर्याप्त मात्रा में अच्छी गुणवत्ता के खनिज मिश्रण के साथ संपूरक आहार दिया जाना चाहिए।

इस अवसर पर विभागीय संकाय सदस्यों द्वारा तैयार किए गए किसानों के लिए फोल्डर का विमोचन किया गया तथा विभाग द्वारा निर्मित खनिज मिश्रण का वितरण भी किया गया। कार्यशाला में डॉ उत्कर्ष त्रिपाठी, डॉ जयंत गोयल, डॉ महेश एम एस, डॉ अंशुमन कुमार, डॉ धनंजय कुमार ने पशुपालन सम्बंधित अपने व्याख्यान दिए। इस अवसर पर संकाय के डॉ मनीष कुमार, डॉ अनुराधा कुमारी, डॉ अजय चतुर्वेदानी, डॉ जिज्ञासा राणा, डॉ प्रियंजन कुमार, डॉ अजीत कुमार और डॉ सौरभ करुणामय भी उपस्थित रहे।

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Harigovind Vishwakarma is basically a Mechanical Engineer by qualification. With an experience of over 30 years, having worked in various capacities as a journalist, writer, translator, blogger, author and biographer. He has written two books on the Indian Prime Minister Narendra Modi, ‘Narendra Modi : Ek Shakhsiyat’, detailing his achievements as the Gujarat chief minister and other, ‘Narendra Modi: The Global Leader’. ‘Dawood Ibrahim : The Most Wanted Don’ is another book written by him. His satires are regularly published in prominent publications.

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