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व्यंग्य : हे मतदाताओं! तुम भाड़ में जाओ!!

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हरिगोविंद विश्वकर्मा हे मतदाताओं! मैं तुम्हें जनता-जनार्दन नहीं कहूंगा। मैं तो कहूंगा, तुम भाड़ में जाओ! मैं तुम्हारे आगे हाथ नहीं जोड़ने वाला। मैं तुम्हें इस...

व्यंग्य – मेरे देश के कुत्ते….. मेरे देश के कुत्ते !!!

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हरिगोविंद विश्‍वकर्मा सुबह-सबेरे घर से बाहर निकलकर मैं सड़क पर आया। स्टेशन तक पैदल जाने के मूड में था। उसी समय भौंकते कुत्तों का एक...