मुंबई, 1980 के दशक की तीन संगीतकार जोड़ियों में से एक संगीतकार जोड़ी विजय सिंह सुधा सिंह के विजय सिंह ने कहा कि संगीत मनोरंजन नहीं, बल्कि ईश्वर की साधना है। बीते दौर के गीत-संगीत सही मायने में गीत-संगीत हुआ करते थे। लेकिन जब से इस क्षेत्र में कॉरपोरेट जगत की घुसपैठ हुई है तब से कॉरपोर्ट जगत गीत, संगीत ही नहीं बल्कि फिल्मों का भी कत्लेआम कर रहा है।
गायक-संगीतकार, निर्माता-निर्देशक और स्क्रीन राइटर विजय सिंह चित्रनगरी संवाद मंच मुम्बई की रविवार की शाम केशव गोरे स्मारक ट्रस्ट गोरेगांव में हुई साप्ताहिक अड्डेबाजी में मुंबई से शायरों एवं साहित्यकारों से रूबरू हुए और अपने दौर के कई प्रसंगों का जिक्र करते हुए कई दिलचस्प अनुभव साझा किए।
उन्होंने कहा कि जहां पैगंबरी ख़त्म होती है वहां शायरी शुरू होती है। जब स्वर के साथ गीत शामिल होता है तो संगीत बन जाता है। इसलिए वे अपनी गायकी में शब्द को बहुत महत्व देते हैं। एक अच्छे गायक होने के साथ ही विजय सिंह एक अच्छे संगीतकार भी हैं। उन्होंने सिने जगत के प्रमुख गायकों के लिए गीत ग़ज़लों को स्वरबद्ध किया।
उनकी कम्पोजीशन को शास्त्रीय संगीत के दिग्गज कलाकारों उस्ताद ग़ुलाम मुस्तफ़ा ख़ान, गिरिजा देवी, परवीन सुलताना, बाल मुरलीकृष्णन और दिलशाद ख़ान ने गाया। विजय सिंह ने बताया कि उन्होंने शायर कैफ़ अकरम से उर्दू सीखी। उनके उस्ताद यूनुस मलिक मुंबई में थे। उनसे संगीत सीखने के लिए विजय सिंह अक्सर कानपुर से मुंबई की यात्रा करते थे। गीतकार शकील बदायूंनी और इंदीवर से उनके बहुत अच्छे रिश्ते रहे।
सन् 1981 में पॉलीडोर कंपनी से विजय सिंह सुधा सिंह का पहला एलपी रिकॉर्ड जारी हुआ। उसके बाद उन्होंने लगातार लोकप्रियता का सफ़र तय किया। अपनी संगीत यात्रा पर प्रकाश डालते हुए विजय सिंह ने बताया कि सन् 1974 में जगजीत सिंह ने उन्हें जोड़ी बनाने के लिए प्रेरित किया। उस समय सुधा श्रीवास्तव से उनकी शादी नहीं हुई थी फिर भी उन्होंने अपने एलपी रिकॉर्ड पर उनका नाम सुधा सिंह डाला। घरवाले अंतर्जातीय विवाह के लिए राजी नहीं थे। अंततः आठ साल के इंतज़ार के बाद विजय सिंह और सुधा सिंह परिणय सूत्र में बंध गए। उसके बाद देश विदेश में इस जोड़ी ने काफ़ी शोहरत हासिल की। चित्रनगरी संवाद मंच मुम्बई की साप्ताहिक बैठक रविवार 13 नवंबर 2022 को केशव गोरे स्मारक ट्रस्ट गोरेगांव में आयोजित की गई।
हाल ही में संगीत में विशिष्ट योगदान के लिए माननीय राज्यपाल के हाथों विजय सिंह सुधा सिंह को आचार्य चाणक्य सम्मान से सम्मानित किया गया। 1970 के सत्तर के दशक में जब राजेंद्र मेहत-नीना मेहता और जगजीत सिंह-चित्रा सिंह की जोड़ियां ग़ज़ल के आसमान पर सितारों की तरह रोशन हो रही थीं। उसी समय तीसरी जोड़ी के रूप में विजय सिंह सुधा सिंह का उदय हुआ था।
दूसरे सत्र में कविता पाठ हुआ जिसमें ज़ीनत जमशेदपुरी, तबस्सुम बरबरावाला, वंशिका गुप्ता, सविता दत्त, अभिजीत सिंह, शिवम सोनी, कुणाल हृदय, साज़ रम्जी, रवींद्र सिंह, राजेंद्र वर्मा और राजेश ऋतुपर्ण ने कविता पाठ किया। आकाश ठाकुर के गायन से कार्यक्रम का समापन हुआ।
इससे पहले शनिवार की शाम ओशिवरा, अंधेरी के हीरा पन्ना मॉल में आयोजित डिवाइन मेलोडीज़ के तहज़ीब मुशायरे में चुनिंदा रचनाकारों ने अपनी बेहतरीन प्रस्तुति से श्रोताओं को मुतास्सिर किया। इस कार्यक्रम में शिरकत करने वालों के नाम हैं- आशु शर्मा, पूनम विश्वकर्मा संहिता जोशी, तबस्सुम बरबरावाला, रेशमा शेख़, प्रदीप मिश्रा, अरिहंत अनुरागी और नवीन जोशी नवा। संचालन शायर देवमणि पांडेय ने किया।
इस टीम का हौसला बढ़ाने के लिए प्रतिष्ठित संगीतकार गायक विजय सिंह, वरिष्ठ कवि अनिल गौड़, शायर गोविंद राजपूत और शायर मोइन अहमद देहलवी ख़ास तौर से पधारे। तहज़ीब में युवा प्रतिभाओं का स्वागत है। इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए शायर संयोजक नवीन जोशी से 9819141295 पर संपर्क कर सकते हैं।
इसे भी पढ़ें – बच्चों को सुलाते-सुलाते खुद सोने लगी है लोरी
Share this content: