यह देश इस बात का गवाह रहा है कि दिल्ली का प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान जेएनयू यानी जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में अलग तरह है माहौल रहता है। बेशक अपनी स्थापना के बाद से इस संस्थान ने एक से बढ़कर एक प्रतिभाओं को आगे लाने का काम किया है, लेकिन यह संस्थान पिछले एक दशक से विरोध प्रदर्शन और राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों का केंद्र रहा और यहां का बौद्धिक तबका देश हित को तिलांजलि देकर अलगाववाद और आतंकवाद समर्थन करता रहा है। फिल्म JNU में इसी सवाल को देश के समक्ष लाने की कोशिश की गई है।
उर्वशी रौतेला, रवि किशन और पीयूष मिश्रा स्टारर फ़िल्म जेएनयू : जहांगीर नेशनल यूनिवर्सिटी (JNU : Jahangir National University) अपने एनाउन्समेंट के बाद से ही सुर्ख़ियों में हैं। फ़िल्म के पोस्टर के रिलीज होते ही इंटरनेट पर यूजर्स कमेंट करने लगे थे। आज फ़िल्म का पहला वीडियो टीज़र जारी कर दिया गया। फ़िल्म जेएनयू राष्ट्रवाद, वैचारिक सक्रियता और छात्र आंदोलनों के मुद्दों पर चर्चा और बहस पर आधारित एक रोमांचक फ़िल्म हैं। फ़िल्म राष्ट्रवाद और शैक्षणिक संस्थानों में व्याप्त राजनीति की बात करती हैं।
जेएनयू के इस टीज़र वीडियो में फिल्म की कहानी का मूल प्लॉट दिखाई देते हैं, टीज़र के पहले दृश्य में संवाद सुनाई देता हैं कि जेएनयू के छात्र/छात्रा अपने क्लासरूम में कम और समाचारों की सुर्ख़ियों में ज़्यादा पाए जाते हैं। तो क्या जेएनयू राष्ट्रविरोधी गतिविधियों का केंद्र हैं? इस टीज़र के आखिरी हिस्से में छात्र नेता का संवाद हैं, “यहाँ के मगरमच्छ हम हैं। इसलिए हमारे साथ रहने में समझदारी हैं क्योंकि जेएनयू में सरकार हमारी हैं।”
वैसे फिल्म के एक संवाद को टीज़र का हिस्सा बनाना समझ से परे हैं, जिसमें पुलिस अफ़सर का क़िरदार निभा रहे रवि किशन कहते हैं, “पाकिस्तान का वीज़ा मिलना आसान हैं लेकिन जेएनयू का वीज़ा मिलना मुश्किल नहीं।” यहां निर्माता-निर्देशक यह भूल गए हैं कि जेएनयू एक शिक्षण संस्थान है। कोई देश नहीं। इस संस्थान में प्रदेश के लिए परीक्षा होती है। जो उस परीक्षा को पास करता है, उसे ही यहां का वीज़ा मिलता है। इस कमज़ोर संवाद को छोड़ दें तो पूरा टीज़र आकर्षक है।
यूनिवर्सिटी के भीतरी हिस्से में विरोध प्रदर्शन के दृश्य, आपराधिक साजिश और राजद्रोह के आरोप और आतंकवाद समर्थन करते हुए कुछ युवाओं का समूह बहुत ही गहरे सवाल खड़े करता हैं। यूनिवर्सिटी के अंदर दो पार्टी के नेता सत्ता के लिए निरंतर संघर्ष के पृष्ठभूमि में जेएनयू की आंतरिक कार्यप्रणाली संदेह से भरी हुई लगती हैं और गहरे सवाल खड़े करती हैं.
उर्वशी रौतेला, सिद्धार्थ बोडके, रवि किशन, पीयूष मिश्रा, विजय राज, रश्मि देसाई और सोनाली सैगल जैसी प्रतिभाओं वाले कलाकार, जेएनयू के राजनीतिक विरोधाभास और के भीतर विभिन्न गुटों का प्रतिनिधित्व करने वाले विविध प्रकार के किरदारों में नज़र आते हैं।
निर्माता प्रतिमा दत्ता ने कहा कि फ़िल्म जेएनयू राष्ट्रवाद, सक्रियता और हमारे देश के भविष्य को आकार देने में छात्रों की भूमिका के बारे में महत्वपूर्ण बातचीत को एक बहुत ही मनोरंजक और सिनेमाई अन्दाज़ में दर्शकों के समक्ष उपस्थित करेगी। यह एक विवादास्पद फ़िल्म नहीं हैं यह एक जरूरी फ़िल्म हैं।
अभिनेत्री उर्वशी रौतेला ने कहा कि फ़िल्म जेएनयू का हिस्सा बनना मेरे लिए ज्ञानवर्धक अनुभव रहा है। मेरा किरदार छात्र सक्रियता और लचीलेपन की भावना को प्रस्तुत करता है, और मेरा मानना है कि यह फिल्म कैंपस राजनीति की जटिलताओं और युवा आवाजों की ताकत पर प्रकाश डालेगी। यह फिल्म निर्माता की जिम्मेदारी है कि वह दिखाये कि किसी शैक्षणिक संस्थान में विवादास्पद घटनाओं की वास्तविकता क्या है, लेकिन किसी भी धार्मिक या समुदाय की भावनाओं को ठेस न पहुंचाएं।
हमारी फिल्म आज के युवाओं और एक विचारधारा के दोनों हिस्सों को दिखाती है जो गलत प्रभाव में आ जाते हैं, फ़िल्म जेएनयू यूनिवर्सिटी में होने वाले हास्य, गीत और कॉलेज के यादगार पलों को मनोरंजन के साथ एक कथानक को प्रस्तुत करती हैं न कि सांप्रदायिक मुद्दों को प्रचारित करने के लिए एक विवादित फ़िल्म के रूप में।
महाकाल मूवीज प्राइवेट लिमिटेड के बैनर तले निर्मित फ़िल्म जहांगीर नेशनल यूनिवर्सिटी (जेएनयू) की निर्मात्री प्रतिमा दत्ता और निर्देशक विनय शर्मा हैं फ़िल्म में उर्वशी और रवि के अलावा पीयूष मिश्रा, सिद्धार्थ बोडके, विजय राज, रश्मि देसाई, अतुल पांडे, सोनाली सेगल जैसे प्रतिभाशाली अभिनेता हैं। फिल्म 5 अप्रैल 2024 को सिनेमा में रिलीज़ होगी।