महाराष्ट्र में भाजपा का सबसे बड़ा उत्तर भारतीय चेहरा बनेंगे कृपाशंकर सिंह

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महाराष्ट्र के पूर्व गृह राज्यमंत्री और मुंबई कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष कृपाशंकर सिंह मुंबई ही नहीं संपूर्ण महाराष्ट्र में सबसे बड़े उत्तर भारतीय चेहरा हैं। फिलहाल राजनीतिक वनवास खत्म करके उन्होंने भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया है। कृपाशंकर सिंह का बीएमसी चुनाव से कुछ महीने पहले भाजपा में शामिल होना इस भगवाधारी दल के शुभ संकेत है। पिछली बार 227 सीटों वाली बीएमसी में 82 सीटों तक पहुंचने वाली भाजपा को उम्मीद है कि अगले साल वह देश की सबसे अमीर महानगर पालिका से शिवसेना को बेदख़ल कर देगी।

कृपाशंकर सिंह ने अपने उत्कर्ष के दिनों में, जब वह महाराष्ट्र में गृह राज्यमंत्री और फिर बाद में मुंबई कांग्रेस का अध्यक्ष थे, मुंबई ही नहीं पूरे राज्य में अपना व्यापक जनाधार बनाया है। वह जनता से जुड़े कद्दावर नेता माने जाते हैं। चूंकि मुंबई के अलावा मीरा-भाईंदर, ठाणे, नवी मुंबई, नालासोपारा, वसई, विरार, पालघर, भिवंडी, पुणे, नासिक, औरंगाबाद और नागपुर में हर चुनाव में उत्तर भारतीय मतदाता निर्णायक किरदार में रहते हैं, इसलिए कृपाशंकर सिंह के भगवा वस्त्र पहन लेने के बाद स्थानीय चुनाव में भाजपा को लाभ मिलेगा।

बुधवार को महाराष्ट्र भाजपा पार्टी मुख्यालय में भाजपा मुंबई अध्यक्ष मंगल प्रभात लोढ़ा ने महाराष्ट्र की राजनीति में उत्तर भारतीय समुदाय में गहरी पैठ रखने वाले कृपाशंकर सिंह को पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल की उपस्थिति में भाजपा का सक्रिया सदस्या बनाकर उनका दो साल से चल रहे राजनीतिक वनवास को खत्म कर दिया। अब संभावना जताई जा रही है कि कृपाशंकर सिंह को भाजपा में कोई अहम जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। हालांकि, उन्हें जो भी जिम्मेदारी दी जाएगी वह प्रदेश भाजपा का शीर्ष नेतृत्व तय करेगा।

राजनीतिक हलकों में कहा जाने लगा है कि कृपाशंकर सिंह के भाजपा में शामिल होने से मुंबई महानगर पालिका के चुनाव में समीकरण बदल सकते हैं। जौनपुर के रहने वाले कृपाशंकर महाराष्ट्र की राजनीति में लंबे समय तक कांग्रेस के साथ जुड़े रह कर संगठन और सरकार में लगातार महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाई है। दरअसल, जब अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35 ए को हटाने का कृपाशंकर ने स्वागत किया तभी से अटकल लगाई जा रही थी कि वह देर-सबेर भाजपा में जाएंगे। उनका मिलनसार और अपनत्व भरा व्यक्तित्व उन्हें यहां भी लगातार चर्चाओं में बनाए रखा।

ऐसा नहीं है कि मुंबई में बसने के बाद उनका अपने गांव से नाता टूट गया। वह बराबर लोगों के संपर्क में रहते हैं। वह अपनों की खातिर क्या मुंबई क्या जौनपुर वे हमेशा एक किए रहते हैं। पूरे पू्र्वाचल में भी उनकी एक अलग पहचान है। कृपाशंकर का सभी दलों के नेता सम्मान करते हैं। उनका सभी के सुख-दुख में आना-जाना बराबर लगा रहता है। व्यस्त राजनीतिक जीवन के बावजूद वे यहां हर छोटे-बड़े कार्यक्रमों में सहज उपस्थिति दर्ज कराते रहते हैं। जौनपुर जिले के बक्शा क्षेत्र के सहोदरपुर ग्राम के मूल निवासी कृपाशंकर सिंह जिले में सर्वमान्य नेता के रूप में प्रतिष्ठित हैं।

कृपाशंकर सिंह ने राजनीति का ककहरा परिवार में ही सीखा। उनके पिता जौनपुर में एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। सन् 1971 में काम की तलाश में जौनपुर से मुंबई आए कृपाशंकर सिंह एक बेहद ही साधारण परिवार से निकल कर महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा नाम बने। नज़दीकी लोग बताते हैं कि कभी उनके पास अपने बच्चे के लिए दूध तक के पैसे नहीं होते थे लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और कभी किसी को दिक्कतों का अहसास नहीं होने दिया। अपनी दिक्कतों में भी वो दूसरों की मदद करते रहे इस कारण थोड़े ही दिन में वह आम उत्तर भारतीयों में बेहद लोकप्रिय हो गए।

रोज़ी रोटी के लिए उन्होंने कुछ समय एक दवा कंपनी में भी काम किया और परिवार चलाने के लिए आलू-प्याज भी बेचा। इस काम के बदले उन्हें प्रतिदिन के हिसाब से आठ रुपए मिलते थे। लेकिन यह पैसा परिवार चलाने के लिए पर्याप्त नहीं था। परिवार चलाने के लिए खाली समय में कृपाशंकर सिंह सड़कों पर आलू और प्याज भी बेचा करते थे। जिस झोपड़ी में कृपाशंकर रहते थे उसमें लोगों को शिफ्टों में सोना पड़ता था। बहरहाल, मुंबई में उन्होंने झुग्गी की समस्याओं के लिए आवाज उठाई और स्थानीय स्तर पर काम करने लगे। कुछ साल बाद कृपाशंकर ने पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी से एक कार्यक्रम के दौरान मुलाकात की और उनके कहने पर सक्रिय राजनीति में शामिल हुए।

कृपाशंकर ने मराठी संस्कृति को अपना लिया है। वो फर्राटादार मराठी बोलते हैं। उनका मानना है कि जो कोई भी मुंबई आता है उसे मराठी तौर तरीके अपनाने चाहिए तभी सभी लोग समरसता से रह सकेंगे। अच्छी मराठी बोलने के कारण कृपाशंकर मराठी भाषियों में भी बेहद लोकप्रिय हैं। वह हिंदी को मां और मराठी को मौसी कहना नहीं भूलते। कृपाशंकर के इसी हुनर का उपयोग भाजपा आगामी बीएमसी चुनाव में करेगी। शिवसेना के हिंदुत्व से पलायन के बाद हिंदुओं की राजनीति करने वाली भाजपा इकलौती पार्टी रह गई है। इसी बिना पर पार्टी को उम्मीद है कि कृपाशंकर सिंह पार्टी को बीएमसी की सत्ता दिलाने मे मदद करेंगे।