भारत में निर्वस्त्र रहने का बढ़ता प्रचलन, बड़ी तेजी से हो रहा है न्यूडिस्ट कम्युनिटी (Nudist Community) का विस्तार

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आप सुबह उठते ही अपने वाट्सअप या वाट्सअप ग्रुप में अनगिनत दोस्तों से सुप्रभात, शुभ प्रभात या गुडमॉर्निंग का मैसेज देखते होंगे। अगर आपको किसी सुबह किसी महिला का उसकी नग्न तस्वीर के साथ गुड मॉर्निंग का संदेश पढ़ने को मिले, तो ज़ाहिर है आप चौंक से पड़ेंगे। लेकिन इन दिनों न्यूड तस्वीर भेजने का चलन ख़ासकर न्यूडिस्ट कम्युनिटी में बड़ी तेज़ी से बढ़ रहा है। देश के कई हिस्सों में नग्नवादी समुदाय यानी न्यूडिस्ट कम्युनिटी (Nudist Community) के सदस्य बन रहे हैं। ये लोग अपने आपको नेचरीज़म (Naturism) भी कहते हैं।

भारत के बेंगलुरु की एक 33 वर्षीय गृहिणी पूजा (नाम परिवर्तित) हर सुबह उठने के बाद अपने इंस्टाग्राम पर अपनी एक नग्न तस्वीर पोस्ट करती हैं। फिर उस इंस्टाग्राम पोस्ट को भारतीय न्यूडिस्ट के टेलीग्राम ग्रुप के साथ साझा करती हैं। यह उनका साधारण “सुप्रभात” या “दिन के लिए मेरा इंस्टाग्राम पोस्ट!” होता है, जिसे उनके दोस्त खूब लाइक और कमेंट करते हैं। पूजा ही नहीं, बल्कि उस टेलीग्राम ग्रुप के ज़्यादातर सदस्य चाहे स्त्री हों या पुरुष सब लोग सुबह का अभिवादन चाय या कॉफी लिए हुए अपनी नग्न तस्वीर के ज़रिए ही करते हैं। कई कपल भी इमोजी के साथ नग्न सेल्फी के जरिए अभिवादन करते हैं।

भारतीय न्यूडिस्ट के लिए नग्न तस्वीरों का मुख्य फोकस प्राइवेट पार्ट्स नहीं होता है। न्यूडिस्ट मूवमेंट से जुड़े लोग कहते हैं कि रोजमर्रा की वस्त्र-रहित जिंदगी को अपनाने में और अपने नंगे अंगों को धूप में भीगने देने में वे विश्वास करते हैं। न्यूडिस्ट समूह दुनिया भर में मौजूद हैं, यहां तक कि कई न्यूडिस्ट फैमिली भी हो रही हैं, उनके बच्चे न्यूडिस्ट माहौल में पल-बढ़ रहे हैं। न्यूडिस्ट साधना (नाम परिवर्तित) स्वीकार करती हैं कि बिना कपड़ों के वह ज़्यादा सहज महसूस करती है। वह कहती हैं, “हम लोग किसी न्यूडिस्ट के घर या रिसॉर्ट में मिलते हैं। हम लोगों को उनके शेप, साइज़, डर या सामाजिक स्थिति की परवाह किए बिना स्वीकार कर लेते हैं। हमारे समुदाय की यही ख़ूबी है। भारत में तेज़ी से लोग सोशल न्यूडिज्म स्वीकार कर रहे हैं। अब हमारा ग्रुप बहुत बड़ा हो गया है।”

न्यूडिस्ट साधना आगे कहती हैं, “आमतौर पर भारतीय समाज में नग्न शरीर की नुमाइश नहीं की जाती है। लोग इस तरह की फोटो ज़रूर लेते हैं लेकिन उसे बहुत निजी रखते। यदि आप अधिक बदन दिखाती हैं, तो आप के बारे में लोग नकारात्मक धारणा बनाने लगते हैं। आपके बारे में लोग जजमेंटल हो जाते हैं। शायद यही कारण है कि भारतीय लोग रिप्ड जींस को भी ठीक नहीं समझते। ख़ासकर रिप्ड जींस पहनने वाली लड़कियों को सभ्य कपड़े पहनने की बिन मांगी सलाह देने लगते हैं। उनको लगता है कि रिप्ड जींस “नग्नता की ओर ढकेलता है। इसीलिए लोअर और लोअर-मिडिल क्लास की लड़कियां रिप्ड जींस पहनने से बचती हैं। वस्तुतः ऐसे रूढिवादी लोगों को अब न्यूडिटी क्रांतिकारी कदम लगता है।”

एक ऐसे समाज में जो यह मानता है कि नैतिकता और शालीनता लोगों के पहनावे और उनके द्वारा दिखाई जाने वाली स्किन से जुड़ी होती है, उन्हें न्यूडिटी लगभग क्रांतिकारी कदम की तरह लगती है। 33 वर्षीय सलमा खान 2015 से न्यूडिस्ट हैं और वह मीटअप और टेलीग्राम जैसे कई प्लेटफॉर्म पर कई न्यडिस्ट समूहों को ऑनलाइन मॉडरेट करती रहती हैं। प्रत्येक समूह में देश भर से 50 से 75 सदस्य हैं। सलमा ने अपनी न्यूडिज्म यात्रा 2015 में शुरू की, जब पूर्वी शहर कोलकाता में उनके दोस्त ने उन्हें इस अनोखी जीवन शैली से रूबरू करवाया। सलमा कहती हैं कि वह समूह के लोगों से कानूनी और व्यक्तिगत हमले से बचने के लिए केवल अपने पहले नाम का उपयोग करने का अनुरोध करती हैं।

सलमा कहती है, “मैं एक बार अपने दोस्त के घर गई थी और वह पूरी तरह से नग्न थी।” उसने मुझे न्यूडिस्ट जीवन शैली के बारे में बताया। यह भी बताया कि जब उसका पति आसपास नहीं होता है तो वह हमेशा घर में कैसे बिना कपड़े के ही रहती है।” उसके बाद, सलमा अक्सर अपनी दोस्त के पास जाने लगी और दोनों नग्न अवस्था में घूमने लगे। कुछ हफ्तों के बाद, दोनों कोलकाता में न्यूडिस्ट मीट-अप में गए। सलमा कहती हैं, “यह मुलाकात केवल महिलाओं तक ही सीमित थी। मैं अपने कपड़े पहनती थी क्योंकि मुझे शर्म आती थी लेकिन अन्य न्यूडिस्ट महिलाओं को एक साथ मौज-मस्ती करते हुए देखना मेरे लिए नया और क्रातिकारी अनुभव था।”

दरअसल, न्यूडिस्ट मीट-अप बिल्कुल वैसा ही है जैसे आप दोस्तों के झुंड के साथ मस्ती करते हैं। वहाँ नाश्ता, बातचीत, संगीत और हँसी सब साथ करते है। एक अन्य न्यूडिस्ट नाम न बताने की शर्त पर कहती हैं कि एक बार वह एक मीटअप में गई थी जहाँ महिलाएँ और कपल भी थे। पहले तो उन्होंने अपने कपड़े पहने रखा, लेकिन थोडी ही देर में वह वहां लोगों से घुल-मिल गई और शीघ्र ही उसने भी कपड़े निकाल कर निर्वस्त्र हो गई। 1995 में, मॉडल मिलिंद सोमण और मधु सप्रे ने बिना कपड़े के कंडोम बनाने वाली कंपनी कामसूत्र विज्ञापन कर दिया तो उन पर अश्लीलता कानूनों के तहत आरोप लगाया गया था। अभी हाल में रणवीर सिंह की नग्न तस्वीर वायरल हो गई तो उन पर भी कई जगह मुक़दमा दर्ज कराया गया। सोशल मीडिया पर लोग रणवीर की ऐसी की तैसी कर रहे हैं।

यहाँ यह बताना ज़रूरी है कि सभ्यता के विकास से पहले मनुष्य भी जानवरों की तरह नग्न रहते थे। आज भले नग्नता के विरुद्ध कठोर क़ानून है, लेकिन 19वी सदी के अंत तक भारत में भी न्यूडिटी कॉमन थी। वैसे यह भी विचित्र संयोग है कि दुनिया का पहला न्यूडिस्ट क्लब मुंबई में तुलसी लेक के पास स्थापित किया गया था। उसके संस्थापक कोई और नहीं बल्कि रवींद्रनाथ टैगोर बहुत क़रीबी अंग्रेज मित्र सोसलाइट एडवर्ड कारपेंटर (Edward Carpenter) थे। एडवर्ड कारपेंटर गे भी थे। यह खुलासा उनका सीईजी क्रॉफर्ड को लिखे पत्र से होता है। कारपेंटर फैबियन सोसायटी के भी संस्थापक सदस्य थे। कॉलोनी के फाउंडर एडवर्ड कारपेंटर के पत्रों से साफ लगता है कि उन्होंने तुलसी लेक के पास न्यूडिस्ट क्लब बनाया था, जहां केवल तीन सदस्य कारपेंटर खुल, सीईजी क्रॉफर्ड और एंड्रयू काल्डरवुड थे। एक महिला भी इस क्लब की सदस्य बनने की इच्छुक थी। एंड्रयू काल्डरवुड और मैं दो दिन के लिए माथेरन गए और वहां ब्रेकफास्ट से लेकर शाम तक नैकेड ही रहे।

बहरहाल, वैसे तो भारत में पब्लिक न्यूडिटी यानी सार्वजनिक नग्नता के ख़िलाफ़ सख़्त कानून हैं, लेकिन ये न्यूडिस्ट इससे निजात पाने के तरीके खोजने में लगे हुए हैं। इन दिनों देश में कई न्यूडिस्ट ग्रुप सक्रिय हैं। सभी में लोग अपने न्यूड फोटो पोस्ट करते हैं। हां, क़ानून के शिकंजे से बचने के लिए कई लोग अपने चेहरे को क्रॉपअप करके अलग कर देते हैं। हालांकि कई लोग कानून को धता-बता कर चेहरा दिखाने उतर भी परहेज़ नहीं करते। जिस तरह से देश में नग्नता समुदाय यानी न्यूडिस्ट कम्युनिटी का विस्तार हो रहा है और न्यूडिटी का प्रचलन से बढ़ रहा है और न्यूडिस्ट कम्युनिटी का जिस तेज़ी से विस्तार हो रहा है, उससे यही लग रहा है कि वह दिन दूर नहीं जब गे समुदाय की तरह ये लोग भी वस्त्रहीन रहने के अपने अधिकारों की मांग को लेकर सड़कों पर उतर जाएं।

लेख – हरिगोविंद विश्वकर्मा

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