क्या आपकी दिली ख़्वाहिश रही है, कि आपको हमसफ़र के रूप में एक ऐसी बेहद ख़ूबसूरत पत्नी मिले, जो आपको टूट कर चाहे। आपकी ख़ूब केयर करें। आपकी छोटी-मोटी ज़रूरतों का भी ध्यान रखे। शाम को जब आप घर लौटें तो वह आपकी राह देखती मिले। और, आपको भरपूर यौनसुख भी दे… लेकिन किन्हीं भी कारणों से आपकी ख़्वाहिश अधूरी रह गई, क्यों आपको आपकी पसंद के अनुसार लड़की नहीं मिली और आपकी शादी नहीं हो पाई। इस वजह से आप कुंवारे ही रह गए। यानी पत्नी-सुख पाने की आपकी यह अदद ख़्वाहिश पूरी ना हो सकी। तो आप बिल्कुल निराश मत होइए, क्योंकि अब आपकी अतृप्त हसरत पूरी हो सकती है।
जी हां, अब आप पहले ट्रायल के रूप में ‘किराए की पत्नी’ (Rental Wife) के साथ समय बिता सकते हैं। आप उसके साथ जितना चाहें वक़्त गुज़ार सकते हैं और कुछ दिन या महीने उसके साथ अपना क्वालिटी टाइम स्पेंड कर सकते हैं। यह व्यवस्था आपको यह समझने का मौक़ा देती है कि वह महिला आपकी अपेक्षाओं पर खरी उतरती है या नहीं। यदि वह आपकी उम्मीदों के अनुसार जीवनसाथी साबित होती है, तो आप उससे शादी कर उसे स्थायी रूप से अपना हमसफ़र बना सकते हैं। और, किराए की पत्नी आपको पसंद न आए तो आप दूसरी किराए की पत्नी लेकर उसका भी ट्रायल ले सकते हैं। इस तरह दो-तीन या चार-पांच ट्रायल लेने के बाद कोई न कोई किराए की पत्नी ज़रूर आपको पसंद आ जाएगी और वह न केवल आपकी तन्हाई को दूर करेगी बल्कि आपकी वीरान दुनिया को रौशन कर देगी।
अनोखी बनी वैश्विक बहस का हिस्सा
दुनिया भर में अपने ख़ूबसूरत समुद्र तटों, उदार एवं अनूठी संस्कृति और आतिथ्य-सत्कार के लिए चर्चित एशियाई देश थाईलैंड में हाल ही में ‘किराए की पत्नी’ की इस परंपरा की शुरुआत हुई है। इस अनोखी पहल की वजह से थाईलैंड इन दिनों सुर्खियों में है। इस चलन को रेंटल वाइफ़ के नाम से जाना जा रहा है। इसे ‘वाइफ ऑन हायर’ और ‘ब्लैक पर्ल’ भी कहा जाता है। हाल ही में प्रकाशित किताब “थाईलैंड्स टैबू: द राइज ऑफ वाइफ रेंटल इन मॉडर्न सोसाइटी” ने इस अनोखी प्रथा के बारे में गहराई से जानकारी देकर इसे वैश्विक बहस का हिस्सा बना दिया है।
परंपरा को विस्तार से समझने की ज़रूरत
दरअसल, थाईलैंड के इस अनोखी परंपरा को विस्तार से समझने की ज़रूरत है। मसलन, यह परंपरा कैसे शुरू हुई? इसका समाज और देश की अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव हो रहा है। इसके अलावा इस प्रथा के क़ानूनी और नैतिक पक्ष क्या कहते हैं, और सबसे ऊपर इस चलन पर वैश्विक दृष्टिकोण क्या है। दुनिया के लोग इसके बारे मैं कैसा सोचते हैं और इस परंपरा को कितना प्रतिसाद यानी रेस्पॉन्स मिल रहा है।
पर्यटन अर्थव्यवस्था का आधार स्तंभ
दुनिया जानता है कि थाईलैंड दक्षिण पूर्व एशिया का प्रमुख पर्यटन स्थल है। हर साल करोड़ों की तादाद में पर्यटक इस देश की यात्रा करते हैं। लोग इस देश के प्राकृतिक सौंदर्य, समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और मनोरंजन स्थलों का भरपूर आनंद लेते हैं। इस देश में पटाया, बैंकॉक और फुकेट जैसे स्थान अपने नाइटलाइफ और मनोरंजन के लिए दुनिया भर में मशहूर हैं। है। देश में कई उद्योग इसी पर्यटन पर निर्भर हैं, और इससे वहां के लाखों लोगों की आजीविका जुड़ी हुई है। अब पर्यटन के साथ-साथ थाईलैंड में ‘किराए की पत्नी’ जैसी चर्चित परंपरा भी शुरू हो गई है।
क्या है ‘किराए की पत्नी’ का चलन?
‘किराए की पत्नी’ का मतलब है किसी युवती को पैसे देकर अस्थायी रूप से पत्नी के रूप में अपने साथ रखना। यह कोई औपचारिक विवाह नहीं होता, बल्कि एक अस्थायी कॉन्ट्रैक्ट होता है। इस दौरान युवती पत्नी की भूमिका निभाती है और पति-पत्नी के सभी दायित्व पूरे करती है। वह कॉन्ट्रैक्ट करने वाले पुरुष के साथ एक अपार्टमेंट या होटल में रहती है और पत्नी की हर ज़िम्मेदारी का ईमानदारी से निर्वहन करती है। मतलब, उसके साथ आप कुकिंग का आनंद ले सकते हैं, ड्रिंक का आनंद ले सकते हैं, और बिस्तर पर सेक्स का भी भरपूर आनंद ले सकते हैं। हालांकि यह प्रथा पिछले कई साल से प्रचलन में है, लेकिन हाल के वर्षों में इसका दायरा और प्रभाव तेजी से बढ़ा है। इस प्रथा का प्रमुख केंद्र थाईलैंड का पटाया शहर है। अपने रेड लाइट इलाकों, बार और नाइट क्लबों के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है।
किताब ने खोला ‘रेंटल वाइफ’ का सच
हाल ही में प्रकाशित किताब “थाईलैंड्स टैबू: द राइज ऑफ वाइफ रेंटल इन मॉडर्न सोसाइटी” ने इस प्रथा को वैश्विक चर्चा का विषय बना दिया। इस किताब के लेखक लावर्ट ए इमैनुएल ने ‘किराए की पत्नी’ प्रथा के सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक पहलुओं पर गहराई से प्रकाश डाला है। किताब में बताया गया है कि यह प्रथा कैसे गरीब और पिछड़े इलाकों की महिलाओं के लिए आय का प्रमुख स्रोत बन गई है। साथ ही, यह भी उजागर किया गया है कि किस तरह यह प्रथा धीरे-धीरे एक व्यवसाय का रूप ले चुकी है और इसके लिए कोई कानूनी नियम नहीं हैं।
कैसे काम करता है यह सिस्टम?
‘किराए की पत्नी’ का सिस्टम पूरी तरह से पैसे पर आधारित है। आमतौर पर यह प्रक्रिया कई चरणों में होती है। बार, नाइट क्लब या रेड लाइट इलाकों में पर्यटक ऐसी महिलाओं से संपर्क करते हैं, जो रेंटल वाइफ़ की सेवा की पेशकश करती हैं। इसके बाद ग्राहक और कुंवारी महिला के बीच बातचीत और सहमति बनने के बाद एक अस्थायी अनुबंध पर हस्ताक्षर किया जाता है। इस अनुबंध में समय यानी अवधि और भुगतान की राशि लिखी की जाती है। यह भी लिखा जाता है कि वह महिला निर्धारित समय तक पत्नी के ही क़िरदार में रहेगी। यह अनुबंध वैधानिक होता है, कोई पक्ष मुकर नहीं सकता।
पत्नी की भूमिका निर्वहन
अस्थायी अनुबंध में वर्णित समय के लिए महिला पुरुष की पत्नी की भूमिका में पूरी सर्विस देती है। पुरुष के साथ एक ही कमरे में रहती है। वह साथ खाती है, ड्रिंक करती है, ज़रूरत पड़ने पर मसाज करती है और भरपूर यौनसुख प्रदान करती है। और हर मनवांछित किरदार में पूरी सर्विस देती है। अनुबंध की अवधि समाप्त होने के बाद यह संबंध भी समाप्त हो जाता है और वह कुंवारी महिला अपने घर चली जाती है। महिला पसंद आने अगर ग्राहक चाहे तो साथ रहने की समय सीमा बढ़ा सकता है। महिला से पुरुष के पूरी तरह से संतुष्ट होने और महिला भी पुरुष के व्यवहार आदि से संतुष्ट होने पर दोनों शादी करके स्थायी रूप से एक दूसरे के साथ सामान्य पति-पत्नी की तरह रह सकते हैं।
रेंट उम्र और सुंदरता पर आधारित
इन दिनों थाईलैंड में कई महिलाएं, खासकर ग्रामीण और गरीब पृष्ठभूमि से आने वाली, इस प्रथा को अपनाने लगी हैं। उनके लिए यह आय का प्रमुख स्रोत बन गया है। रेंटल वाइफ़ के किराए की रकम महिला की उम्र, सुंदरता, शिक्षा और अवधि पर निर्भर करती है। यह रकम 1600 डॉलर से लेकर 116000 डॉलर तक हो सकती है। थाईलैंड की अधिकांश महिलाएं पहले बार या नाइट क्लब में काम करती हैं। बेहतर ग्राहक मिलने पर उसकी ‘किराए की पत्नी’ बनने का फैसला कर लेती हैं।
जापान, कोरिया में ‘रेंटल रिलेशनशिप’
दरअसल, ‘किराए की पत्नी’ की यह प्रथा थाईलैंड में नई नहीं है। जापान और कोरिया में पहले से ही ‘रेंटल रिलेशनशिप’ की अवधारणा मौजूद है। वहां लोग किराए पर पत्नी, मां, पिता और यहां तक कि दोस्त भी रखते हैं। थाईलैंड में यह प्रथा हाल ही में तेजी से फैली है। इसके कई कारण हैं। वस्तुतः शहरीकरण के कारण लोगों की जीवनशैली बदल गई है। व्यस्त जीवन और अकेलेपन के चलते लोग स्थायी रिश्तों के बजाय अस्थायी संबंधों को प्राथमिकता देने लगे हैं। थाईलैंड की संस्कृति में व्यक्तिगत स्वतंत्रता और रिश्तों को लेकर लचीलापन है। इससे यह परंपरा ख़ूब फल-फूल रही है। आजकल आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की महिलाएं इस प्रथा को रोज़गार का प्रमुख साधन मान रही हैं।
थाई सरकार का उदार दृष्टिकोण
थाईलैंड की सरकार ने स्वीकार किया है कि ‘किराए की पत्नी’ की यह प्रथा देश में मौजूद है। यह संस्कृति बड़ी तेजी से फैल रही है। अब यह पटाया के अलावा दूसरे प्रमुख शहरों में फैलती जा रही है। पर्यटन उद्योग से जुड़े होने के कारण इसे पूरी तरह ख़त्म करना मुश्किल है। हालांकि, सरकार का मानना है कि इसे नियंत्रित करने और महिलाओं के शोषण को रोकने के लिए क़ानून बनाए जाने की जरूरत है। ‘किराए की पत्नी’ की प्रथा नैतिक और सामाजिक विवाद का विषय है। कई संगठनों का मानना है कि यह प्रथा महिलाओं के शोषण और उनके अधिकारों के हनन का प्रतीक है। कई लोग कहते हैं कि ‘किराए की पत्नी’ की यह प्रथा पारंपरिक परिवार व्यवस्था को कमजोर करती है और समाज में अस्थिरता पैदा कर सकती है। हालांकि कुछ लोग इसे आधुनिक समाज में व्यक्तिगत स्वतंत्रता और नए संबंधों की आवश्यकता के रूप में देखते हैं।
प्रथा की आलोचना और समर्थन
‘किराए की पत्नी’ की इस प्रथा को लेकर समाज में मिश्रित प्रतिक्रियाएं हैं। इसका विरोध करने वाले इसे महिलाओं का शोषण और पारिवारिक मूल्यों के खिलाफ मानते हैं। समर्थक इसे महिलाओं के लिए रोजगार और आर्थिक आत्मनिर्भरता का जरिया मानते हैं। जो भी हो ‘किराए की पत्नी’ का चलन थाईलैंड के पर्यटन उद्योग का विवादित पहलू है। यह एक तरफ महिलाओं को आर्थिक सहायता प्रदान करता है, तो दूसरी तरफ सामाजिक और नैतिक सवाल खड़े करता है। थाईलैंड सरकार और समाज को मिलकर इस प्रथा के आर्थिक, सामाजिक और कानूनी पहलुओं पर ध्यान देना होगा। इसे नियंत्रित करने के लिए कानून बनाना, महिलाओं की शिक्षा और रोजगार के बेहतर अवसर प्रदान करना और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना जरूरी है। अंत में, यह प्रथा थाईलैंड की बदलती सामाजिक और आर्थिक संरचना का प्रतीक है। इसे समझने और सही दिशा में ले जाने के लिए गहरी समझ और सतर्कता की जरूरत है।
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