द मोस्ट वॉन्टेड डॉन – एपिसोड – 6 – दाऊद का हीरो था करीम लाला (The Most Wanted Don – Episode – 6 – Dawood’s Hero Was Karim Lala)

0
6695

हरिगोविंद विश्वकर्मा
दाऊद इब्राहिम कासकर (Dawood Ibrahim Kaskar) को जानने-सुनने या उस पर अध्ययन करने वाले को भी नहीं पता कि डॉन का भी कोई आदर्श था। लेकिन पता चला है कि एक व्यक्ति उसका आदर्श था। स्कूल में उसके दिलों-दिमाग़ पर किसी हीरो की नहीं बल्कि एक डॉन की छाप थी। यदा-कदा वह अख़बार देखता और अपने हीरो के कारनामों से खुश होता था। दाऊद का वह हीरो था करीम लाला। दरअसल, 1960 के दशक के तक डोंगरी और नागपाड़ा में पठान गैंग के अलावा इलाहाबादी गैंग और कश्मीरी गैंग भी सक्रिय थे। मगर दाऊद पठान गैंग का फ़ैन था और वह करीम लाला के पठान गैंग से जुड़ना चाहता था। यानी ग़ुनाह के सफ़र का आगाज़ आज के द मोस्टवॉन्टेड डॉन ने पठान गैंग से किया। 1970 के दशक के आरंभ में दोनों जब करीम लाला ने दोनों भाइयों को तलब किया तब से दोनों भाई करीम लाला के रिकवरी एजेंट बन गए। उनकी पठान लड़कों आलमज़ेब, आमिरज़ादा, समद ख़ान, शाहज़ादा और महबूब ख़ान से अच्छी दोस्ती हो गई। आमिर के पिता जंगरेज़ की पुलिसवाले इब्राहिम से अच्छी जान-पहचान हो गई थी।

उसी वक़्त कोंकण, ख़ासकर रत्नागिरी, से कई बेरोज़गार युवक डोंगरी में आ गए, उनमें ज़्यादातर मुमका के थे। तीन-चार साल में दाऊद ने एक गिरोह खड़ा कर लिया और कोंकणी युवकों का सरगना बन गया। दाऊद, साबिर, अनीस, चचेरा भाई अली अंतुले, अयूब और राशिद डोंगरी जैसे किशोर जेजे, ग्रैंटरोड में शातिर बदमाश माने जाने लगे। तब उस इलाक़े में बोहरा समुदाय के कारोबारियों के होटेल्स, हार्डवेयर, इलेक्ट्रॉनिक्स और ग्लास वगैरह के धंधे थे। दाऊद-साबिर ने इनसे हफ़्ता यानी प्रोटेक्शन मनी वसूलना शुरू कर दिया। दाऊद शुरू से ही सावधानी बरतता था। किसी से ख़ुद पैसे मांगने या लेने नहीं जाता था। यह काम अली, अयूब और राशिद आदि करते थे। धीरे-धीरे गिरोह में दो दर्जन बेरोज़गार युवक शामिल हो गए। शुरू में उनका अपराध केवल हफ़्ता वसूली तक सीमित था। बाद में वे सुपारी लेकर हत्याए करने लगे। उधर करीम की उम्र ढलने से उनका भतीजा समद गैंग की ज़िम्मेदारी संभालने लगा। इस तरह से दो सुपारी गिरोहों की कमान दो बेहद दुस्साहसी और बेरहम युवकों के हाथ में आ गई थी। उनके बीच टकराव और दुश्मनी का बीज यहीं से पड़ा, जो आगे चलकर हिंसा का समूचा वटवृक्ष बन गया।

पुलिस अफ़सर बताते हैं, एक बार किसी डील में मिले कमीशन के बंटवारे को लेकर दाऊद इब्राहिम का पठान लड़कों से विवाद हो गया। पठानों को लगा कि उस डील में कासकर बंधुओं ने ईमानदारी से बंटवारा नहीं किया और बड़ा हिस्सा ख़ुद ही हज़म कर गए। लिहाज़ा, उनमें आपस में फूट पड़ गई। हालांकि दाऊद ने पठानों की तनिक भी परवाह नहीं की। उसका सुपारी हत्या, तस्करी और फिरौती का काम पहले की चलता रहा और बेशुमार दौलत आती रही। इस तरह 1970 के दशक के मध्य तक दोनों भाई मुंबई के अपराध-जगत में पूरी तरह जम गए, इसके बावजूद मज़बूत कद-काठी का पठान समद ख़ान इन दोनों भाइयों पर भारी था।

दाऊद इब्राहिम की संपूर्ण कहानी पहले एपिसोड से पढ़ने के लिए इसे क्लिक करें…

बेरहम हत्यारे सईद बाटला मुसाफ़िरखाना इलाक़े में बड़ा ख़ौफ़ था। इसके चलते मुसाफ़िरखाना लंबे समय से करीम लाला के क़ब्ज़े में था। दरअसल, हज यात्री कूच करने तक वहीं ठहरते थे। सो, उसे खाली कराने की ज़िम्मेदारी मुसाफ़िरखाना के मालिक ने साबिर-दाऊद को दे दी। पठान लड़कों के तगड़े विरोध के बावजूद महमूद कालिया और ख़ालिद पहलवान जैसे दमदार गुंडों की मदद से दाऊद ने मुसाफ़िरखाना खाली करा कर अपने क़ब्ज़े में ले लिया। मुसाफ़िरखाना गंवाने से करीम की प्रतिष्ठा को बहुत धक्का लगा। इससे समद ख़ान बुरी तरह चिढ़ गया। वह दाऊद को आर्थिक नुकसान पहुंचाने की युक्ति खोजने लगा। इसी दौरान एक डील में पार्टी को पटाकर उसने जॉब ख़ुद ले लिया, जिससे दाऊद के हाथ से तीन लाख रुपए का कमीशन निकल गया। इसी तरह की कई और पार्टियां दाऊद के हाथ में आकर निकल गईं।

सन् 1974 के आसापस एक दिन दाऊद को ख़बर मिली कि हाजीअली समुद्र तट पर ड्रग्स से भरी नौका लंगर डालने वाली है। बस अपने 10 साथियों के साथ वह तट पर पहुंच गया और ड्रग्स से भरी नौका लूट ली। माल 14 लाख रुपए में बिका। हर सदस्य को एक लाख रुपए से ज़्यादा रकम मिली। दाऊद ने सफ़ेद रंग की सेकेंड हैंड शेवरलेट कार ख़रीद ली। उसने मनीष मार्केट में एक दुकान भी ले ली जो इंपोर्टेड सामानों से सज्ज होने का कारण चल निकली। तब मनीष मार्केट और मुंबई पुलिस के हेडक़्वार्टर के ठीक सामने क्राफ़र्ड मार्केट का पूरा इलाक़ा तस्करी के सामानों की खुली बिक्री के लिए जाना जाता था। जहां विदेशी सामान ख़रीदने वालों की भीड़ लगी रहती थी। दाऊद का विदेशी घड़ियां और इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स के तस्करों से संपर्क हो गया। वह तस्करी के सामान बेचने लगा। सस्ती विदेशी घड़ी बेचने के नाम पर वे लोग ग्राहकों को लूटने लगे।

दाऊद के गुर्गे बाहर घूमते हुए आवाज़ लगाते, “विदेश की महंगी राडो घड़ी कौड़ियों के दाम ले जाइए।” इससे भोले-भाले लोग फंस जाते। उन्हें बारगेनिंग के लिए दुकान में लाया जाता था। वहां राडो घड़ी दिखाई जाती थी। पांच-दस हज़ार की घड़ी केवल हज़ार-दो हज़ार में दे दी जाती थी। ग्राहक को सामान पैक करके दिया जाता। उससे कहा जाता कि सुरक्षा कारणों से पैकेट यहां नहीं, दूर जाकर खोले। पैकेट में सस्ती लोकल घड़ी रखकर दी जाती थी। कभी-कभार पत्थर के टुकड़े पैकेट में रख दिए जाते थे। जब ठगा गया ग्राहक अपने पैसे वापस मांगने आता, तो पंटर मारपीट करते थे। बहरहाल, एक स्थानीय व्यक्ति ने पायधुनी थाने में शिकायत दर्ज करवा दी। सभी गुंडे सावधान हो गए। दाऊद ने उनसे रत्नागिरी भाग जाने का आदेश दिया। महीने भर लोग गांव में ही रहे। इधर पुलिस ने भी केस में ख़ास सख़्ती नहीं दिखाई। लिहाज़ा, दाऊद का मन बढ़ गया। यह धारणा बन गई कि वे कुछ भी कर सकते हैं। यहीं से दाऊद के डॉन बनने की कहानी शुरू हो हुई। जल्द ही बाक़ी अपराधी उससे सहमने लगे।

अपराधी तत्व सत्तर के दशक से ही चुनाव नतीजों को प्रभावित करने लगे थे। इसका जीती जागती मिसाल रहे उमरखाड़ी के विधायक मौलाना ज़िया-उद-दीन बुखारी, जो 1972 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव डॉन बाशूदाद का समर्थन न मिलने से हार गए। बाशू ने बुखारी की बजाय नूर मोहम्मद का समर्थन किया और वह विधायक बन गया। इससे ज़िया ख़ासे नाराज़ हुए। बाशू को नीचा दिखाने के लिए उन्होंने यंग पार्टी नाम की तंजीम का गठन किया। उनके आग्रह पर दाऊद तंजीम से जुड़ गया। पिता इब्राहिम ने भी दाऊद के क़दम का विरोध नहीं किया। बहरहाल, यंग पार्टी से जुड़ने के बाद वह आसपास के जलसों में सक्रियता से भाग लेने लगा। तंजीम विविध गतिविधियों में सक्रिय हिस्सेदार होने लगी। इनमें सबसे अहम ईद-ए-मिलाप का जुलूस होता था। दाऊद बाशू की बहुत इज़्ज़त करता था। इसकी वजह थी कि उनकी इब्राहिम से अच्छी दोस्ती। फिर बुरे वक़्त में बाशू ने मदद भी की थी। निलंबन के समय इब्राहिम उसके यहां मुनीम का काम करते थे। इसीलिए दाऊद बाशू की राह में कभी नहीं आता था। हमेशा कोशिश करता कि उनसे कभी टकराव न हो। इसलिए दाऊद छोटे-मोटे लफड़े नज़रअंदाज़ कर देता था।

(The Most Wanted Don अगले भाग में जारी…)

अगला भाग पढ़ने के लिए क्लिक करें – द मोस्ट वॉन्टेड डॉन – एपिसोड – 7

Share this content: