हरिगोविंद विश्वकर्मा
दाऊद इब्राहिम कासकर अपनी चारों संतानों की शादी कर चुका है। सबसे पहले दाऊद की सबसे बड़ी बेटी महरूख की शादी विवादास्पद पाकिस्तानी क्रिकेटर जावेद मियांदाद के बेटे जुनैद मियांदाद से 23 जुलाई 2005 को दुबई में हुई। कहा जाता है कि महरूख और जुनैद दोनों लंदन में साथ-साथ में पढ़ते थे और एक दूसरे से प्यार करते थे। लिहाज़ा, दोनों परिवार को शादी के लिए तैयार होना पड़ा। निकाह की रस्म दुबई के ग्रैंड हयात होटेल में पूरी की गई। बताया जाता है कि सुरक्षा कारणों से दाऊद वहां नहीं गया था। दरअसल, भारतीय एजेंसियों ने महरूख की शादी में दाऊद का काम तमाम करने की योजना बना ली थी, लेकिन मुंबई पुलिस में बैठे दाऊद के जासूसों ने उसे समय रहते आगाह कर दिया गया था कि उसकी वहां हत्या हो सकती है।
दाऊद की दूसरी बेटी मेहरीन की शादी पाकिस्तान मूल के अमेरिकी व्यवसाई के लड़के अयूब से 4 फरवरी 2011 को मोइन पैलेस में ही हुई। अयूब के परिवार वाले चाहते थे, शादी बाहर किसी पंचसितारा होटेल में हो, लेकिन सुरक्षा कारणों से दाऊद तैयार नहीं हुआ। शादी के बाद रिसेप्शन भी मोइन पैलेस में ही हुआ। देर रात तक चली पार्टी में आर्मी, आईएसआई के आला अफ़सर और पाकिस्तान के रईसों समेत दोहज़ार से ज़्यादा मेहमानों ने शिरकत की।
डॉन के बेटे मोइन इब्राहिम का निकाह भी उसके घर में हुई। लंदन के कारोबारी की लड़की सानिया शेख से मोइन का निकाह 25 सितंबर 2011 को हुआ। मौक़े पर दाऊद, उसकी पत्नी और बच्चों के अलावा छोटा शकील, अनीस और इक़बाल को छोड़कर सभी भाई मौजूद थे। 2000 से ज़्यादा लोगों को दावतनामा भेजा गया था, जिसमें विदेशी और अंडरवर्ल्ड से जुड़े तमाम लोग भी शामिल थे। गौरतलब है कि मोइन की शादी दो बार टल चुकी थी। पहली बार, वजह ओसामा बिन लादेन की अमेरिका द्वारा हत्या थी। दाऊद और लादेन के बीच अच्छे रिश्ते थे, लिहाज़ा लादेन की मौत के तुरंत बाद निकाह ठीक नहीं था। दूसरी बार मुंबई में उसके भाई इकबाल के घर के बाहर गोलीबारी की घटना रही। मोइन की शादी के लिए कई वेन्यूज़ पर बात हुई, पर अंतत: दाऊद को अपना महल ही महफ़ूज़ जगह लगा। अंडरवर्ल्ड डॉन ने बेटे की शादी की भव्य पार्टी भी दी। मोइन और उसकी दुल्हन सानिया दोनों लंदन में बिजनेस मैनेजमेंट की पढ़ाई कर रहे हैं। निकाह के बाद दोनों लंदन चले गए।
मुंबई पुलिस और दाऊद पर नज़र रखने वाले तो यह भी कहते हैं कि दाऊद को अक्टूबर 2010 में दिल का दौरा पड़ा था। इसलिए वह चाहता है कि जीते जी अपने बच्चों की शादी कर दे। कई जानकार मानते हैं कि दाऊद बच्चों की शादी के बहाने ऐसे लोगों से रिश्ता बना रहा है जो पाकिस्तान के बाहर रहते हैं। इस तरह कह सकते हैं कि डॉन पाकिस्तान के बाहर अपने रिश्तों को मज़बूत कर रहा है।
इब्राहिम कासकर की दर्जन भर संतानें थी। सात बेटे और पांच बेटियां। साबिर अहमद की 1981 में गैंगवार में हत्या हो गई। इब्राहिम कासकर का निधन 1989 में हो गया जबकि 1999 में अमीना कासकर ने दक्षिण मुंबई के एक नर्सिंग होम में सितंबर दम तोड़ा। फ़िल्मों में छद्मनाम से गीत लिखने वाले नुरुल हक़ उर्फ नूरा की कराची में 2009 में हत्या कर दी थी। हालांकि यह भी कहा जाता है कि उसकी कैंसर से मौत हुई। सबसे बड़ी बहन सईदा की बहुत पहले 1980 में सड़क दुर्घटना में मौत हो गई। दाऊद के जीजा और हसीना के पति इब्राहिम इस्माइल पारकर की 1991 में हत्या हो गई थी। 6 जुलाई 2014 को हसीना पारकर की भी दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई।
फिलहाल, तीन भाई अनीस अहमद, मुस्तकीम अली, मोहम्मद हुमायूं दाऊद के साथ ही हैं। पहले ये दुबई में थे। इक़बाल नागपाड़ा की 33, पाकमोडिया स्ट्रीट में डामरवाला बिल्डिंग में चार कमरों के टैरेस फ़्लैट में रहता है। घर से मुंबई पुलिस हेडक्वार्टर दिखता है। कहा जाता है कि दाऊद बिज़नेस का दायित्व किसी परिजन को सौंपना चाहता था, इसीलिए इक़बाल वापस आया। उसे संयुक्त अरब अमीरात सरकार ने एजाज़ पठान के साथ मार्च 2003 में भारत को डिपोर्ट कर दिया। बहरहाल, यहां पहुंचते ही इक़बाल मकोका के तहत गिरफ़्तार कर लिया गया। रिहा होने में उसे चार साल लग गए। बाहर आने के बाद उसे सारा-सहारा और मनीष मार्केट आगजनी में उसे फिर घेरने की कोशिश की गई लेकिन पुख़्ता सबूत न होने से कुछ नहीं हुआ। इन दिनों इकबाल कासकर हफ्ता वसूली और ड्रग्स के धंधे में शामिल होने के आरोप में जेल की हवा खा रहा है।
कहते हैं इक़बाल ने रिश्तेदार जंजेब ख़ान उर्फ गुड्डू पठान के नाम रियल इस्टेट में निवेश किया है। गुड्डू करीम लाला का पोता है। उसकी साली रिजवाना इक़बाल से ब्याही है। नागपाड़ा थाने के एक अफ़सर के अनुसार दाऊद ने एसआरए स्कीम्स में मोटी रकम लगाई है। छोटा राजन के शूटरों ने 17 मई, 2011 को इक़बाल कासकर की हत्या की असफल कोशिश की। गेट पर फायरिंग में ड्राइवर मारा गया। अब वहां सीसीटीवी कैमरे लग गए हैं। रोज़-रोज़ की झंझट से परेशान होकर इक़बाल ने अपने नाम से कासकर शब्द हटा दिया है। आजकल वह इक़बाल हसन कासकर की वजाय अपना नाम शेख इक़बाल हसन लिखता है।
बहन फ़रज़ाना तुंगेकर का निकाह सईद तुंगेकर से हुई। वह नब्बे के दशक में दुबई में इक़बाल के साथ ही रहती थी। जैतून अंतुले की शादी हमीद अंतुले से हुई है, वह दुबई में मुश्तक़ीम के साथ थी। सबसे छोटी मुमताज़ शेख की शादी अब्दुल रहीम शेख़ से हुई है। वह भी दुबई में ही थी। हसीना की शादी इब्राहिम पारकर से हुई। वह नागपाड़ा की आठ मंज़िली गॉर्डन हॉल में रहती थी।
हसीना का दामाद 34 वर्षीय जुबैर ख़ान अलग इंसान लगता है। जुबैर दाऊद के साथ नाम जुड़ने से असहज महसूस करता है। 2005 में हसीना की बेटी सना से उसकी शादी हुई। टीवी पत्रकार से फ़िल्मकार बना जुबैर की पहली फ़िल्म ‘लक़ीर के फ़कीर’ थी। वह कासकर पारिवार के जलसो से भी दूर रहता है। उसका कहना है, ”मैंने सना से शादी की है, उसके ख़ानदान से नहीं।” दाऊद की बड़ी बहन सईदा का बड़ा लड़का साज़िद वागले उर्फ भांजा नवाज़ केबल चलाता है वह भी एक केस में गिरफ़्तार हो चुका है। सईदा का दूसरा बेटा समीर वागले मज़गांव में ट्रेवेलिंग एजेंसी चलाता है। उसे भी पुलिस कई मामलों में गिरफ़्तार चुकी है।
दाऊद इब्राहिम कासकर का कुनबा
1. शेख इब्राहिम अली कासकर (पिता)
2. अमीना शेख इब्राहिम कासकर (माता)
3. साबिर अहमद इब्राहिम कासकर (बड़ा भाई)
4. दाऊद शेख इब्राहिम कासकर (ख़ुद)
5. सईदा कासकर (बहन)
6. नुरुल हक़ इब्राहिम कासकर (छोटा भाई)
7. फ़रज़ाना तुंगेकर (बहन)
8. हसीना इब्राहिम इस्माइल पारकर (बहन)
9. इक़बाल इब्राहिम कासकर (छोटा भाई)
10. जैतून कासकर अंतुले (बहन)
11. मुमताज़ कासकर (बहन)
12. अनीस अहमद कासकर (छोटा भाई)
13. मुश्तकीम इब्राहिम कासकर (छोटा भाई)
14. हुमायूं इब्राहिम कासकर (छोटा भाई)
15. मेहजबीन शेख दाऊद कासकर उर्फ ज़ुबीना ज़रीन (पत्नी)
16. महरूख (पुत्री)
17. मेहरीन (पुत्री)
18. मारिया (पुत्री)
19. मोइन नवाज़ (पुत्र)
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दुनिया के रईसजादों की सूची बनाने वाली अमेरिकी पत्रिका फोर्ब्स ने पहली बार विश्व के 10 मोस्टवॉन्टेड आतंकवादियों सूची 2008 में पहली बार जारी की, जिसमें दाऊद चौथे नंबर पर था। पहले नंबर पर अलकायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन था। मई 2010 में फोर्ब्स की सूची में दाऊद तीसरे स्थान पर पहुंच गया। लादेन की पहली पोज़िशन क़ायम रही। 2011 में लादेन के मारे जाने के बाद मेक्सिको का कुख्यात तस्कर जोआक्विन गुजामैन पहले और दाऊद दूसरे नंबर पर आ गया। वैसे फोर्ब्स पत्रिका की 2011 में दुनिया की 70 सबसे शक्तिशाली हस्तियों की सूची में भी दाऊद को स्थान मिला था। वह 57 वें स्थान पर था। राष्ट्रपति बराक ओबामा पहले नंबर पर थे।
कई भारतीय एजेंसियों, मसलन, मुंबई पुलिस की इकॉनॉमिक विंग, प्रवर्तन निदेशालय और विशेषज्ञ दाऊद का ‘बिज़नेस’ 75 हज़ार करोड़ रुपए से ज़्यादा आंकते हैं। दाऊद को विश्वमंच पर जो शोहरत या कुशोहरत मिल रही है, वह उसकी और डी कंपनी के वैध-अवैध कारोबार के चलते मिल रही है। उसका कारोबार पूरी दुनिया में फैला है। भारत, पाकिस्तान और दुबई में तो अंडरवर्ल्ड डॉन रहा है। कई देशों में सियासतदां से गठजोड़ कर दाऊद ने बड़ा एंपायर खड़ा किया है। उसका नेपाल के माओवादियों से अच्छे रिश्ते बताए जाते हैं। प्रचंड के बेटे प्रकाश दहल और सरीना बेगम मेहरूख की शादी के समय दुबई में थीं और दुल्हन के लिए जेवरात भेजी थी। दहल अंडरवर्ल्ड कनेक्शन के चलते आलोचना झेलते रहे हैं। बताते हैं नेपाल के पूर्व राजकुमार पारस के भी दाऊद से कारोबारी रिश्ते हैं। काठमांडो और पोखरा में कैसिनो हज़ार से ज़्यादा डांसबार इस रिश्ते के तहत चल रहे हैं।
मुंबई पुलिस का दावा है, दाऊद का रियल इस्टेट के कई प्लेयर्स से गठजोड़ है। कई बिल्डर उसके पैसे निवेश करते हैं। 2-जी स्पेक्ट्रम स्कैम में गिरफ़्तार आरोपियों के अंडरवर्ल्ड कनेक्शन्स की जांच चल रही है। मुंबई शेयर बाजार के सूत्रों का कहना है कि डॉन का पैसा विदेशी संस्थागत निवेश के जरिए आता है। एक प्रमुख दलाल के मुताबिक जब तक उचित व्यवस्था नहीं की जाएगी, तब तक पता नहीं चल सकता कि पैसे कौन लगा रहा है? दाऊद के तंबाकू उत्पाद की रूस, पश्चिम एशिया और अफगानिस्तान में अच्छी मांग है। दाऊद ने कराची शेयर बाजार, कंस्ट्रक्शन कंपनियों, मॉल, सीमेंट कंपनियों और खाड़ी की तेल कंपनी में निवेश कर रखा है।
कहा जाता है कि प्रतिबंधित लश्कर-ए-तैयबा चीफ़ मौलाना हाफ़िज़ सईद और दाऊद का क़रीबी रिश्ता है। उनका परिचय अब्दुल करीम टुंडा ने करवाई। अफगानिस्तान स्कॉच व्हिस्की के कारोबार में क़दम रखने के लिए दाऊद ने सईद के जरिए अलक़ायदा की मदद ली। शराब खच्चरों से कराची लाकर खाड़ी और अफ्रीका देशों में भेजी जाती है। लादेन के ज़िंदा रहने तक दाऊद उसके संपर्क था। ड्रग्स बिज़नेस पर नज़र रखने वालों का मानना है कि दाऊद 1998 से ही अफ़ग़ानी ड्रग्स ला रहा है। बदले में चैरिटी के तौर पर लश्कर को फ़ंड देता है। 1993 के धमाके में मुस्लिम युवकों को तबाही की ट्रेनिंग लश्कर ने दी थी। मुंबई पर आतंकी हमले की साज़िश में भी दाऊद से समुद्री रूट के बारे में सहयोग लिया गया था। आरोप पत्र में दाऊद का नाम तो नहीं हैं, लेकिन वह संदिग्ध ज़रूर है।
बताया जाता है कि 2007 में 26/11 आतंकी हमले की योजना बनाने समय दाऊद से लॉजिस्टिक सपोर्ट मांगी गई। मोहम्मद अजमल आमिर कसाब समेत 10 आतंकवादियों को विनाश की ट्रेनिंग देकर भारत रवाना किया गया। हथियार, गोला बारूद और दूसरे समान लेकर आतंकी नवंबर में कराची से रवाना हुए। रास्ते में कुबेर नौका मिली जिससे मुंबई आए। रास्ते में कप्तान अमरसिंह सोलंकी की हत्या कर दी और डिंगी से उसी शाम कुलाबा के बधवार पार्क उतरे। वहां से आतंकवादी पांच टीम में बंट गए और अपने-अपने टारगेट की ओर रवाना हुए। टीम लीडर अबू डेरा इस्माइल ख़ान ख़ुद कसाब को लेकर सीएसटी पहुंचा। फहद उल्लाह उर्फ सदुल्लाह और मोहम्मद अल्ताफ उर्फ अब्दुल रहमान छोटा की टीम ओबेरॉय होटेल में घुसी। बाबर इमरान उर्फ आकाशा और नासिर उर्फ अबू उमर ने नरीमन हाऊस पर धावा बोला, जहां एक इजराइली परिवार रहता था। नाज़िर उर्फ अबू उमर और शोएब उर्फ सोहेब ने लियोपोर्ड कैफ़े में फ़ायरिंग की। वहां ख़ून खराबा करने के बाद ताज में घुस गए। जहां जावेद उर्फ अबू अली और हनीफ अरशद उर्फ हाफिज़ अब्दुल रहमान बड़ा पहले से ही मौज़ूद थे।
लियोपोर्ड कैफ़े में फ़ायरिंग से लगा, गैंगवार हो रहा है। लेकिन सीएसटी से फ़ायरिंग की ख़बर आने पर मुंबई पुलिस सकते में आ गई। तभी ताज और ओबेरॉय में गोलीबारी की ख़बर आई तो साफ़ हो गया कि मुंबई आंतकी हमले की चपेट में है। अगले 60 घंटे मुंबई की सांस थमी रही। दिल्ली से आए एनएसडी कमांडो ने ताज होटेल, ओबेरॉय होटेल और नरीमन हाऊस में मोर्चा संभाला। सीएसटी पर कसाब और इस्माइल ने अंधाधुंध फ़ायरिंग से 52 लोगों को मार डाला और कामा अस्पताल गए। वहां हत्याएं करते हुए रंगभवन की ओर निकले। जहां इनका सामना तत्कालीन एटीएस चीफ़ हेमंत करकरे, आईपीएस अशोक कामटे और विजय सालास्कर से हुआ। दोनों आतंकियों ने अंबुश से तीनों बड़े पुलिस अफ़सरों की हत्या कर पुलिस का बहुत बड़ा नुकसान किया। पुलिस कार हाईजैक कर मेट्रो होते हुए चौपाटी की ओर निकल गए। बीच में कार का टायर पंक्चर हो गया। फिर इन्होंने सामने से आ रही स्कोडा कार छीन ली। बहरहाल, चौपाटी में पुलिस से मुठभेड़ में इस्माइल मारा गया और कसाब गिरफ़्तार कर लिया गया। उसकी गिरफ़्तारी में तुकाराम ओंबले ने अपनी शहादत दे दी।
नरीमन हाऊस का ऑपरेशन अगले दिन दोपहर से पहले ख़त्म हो गया। दोनों आतंकी मारे गए। शाम तक ओबेरॉय भी मुक्त करा लिया गया। लेकिन ताज में कमांडो और आतंकियों के बीच संघर्ष चलता रहा। क़रीब 60 घंटे के बाद चारों दहशतगर्दों मार दिए गए और भारत में सबसे खतरनाक मुठभेड़ ख़त्म हुआ। हमले में 164 लोगों ने जान गंवाई और क़रीब 308 लोग घायल हुए। बहरहाल, कसाब के ख़िलाफ़ फ़ेयर ट्रायल हुआ और उसे फ़ांसी पर लटकाया गया। लेकिन इस हमले के सूत्राधार ज़किउर रहमान लखवी, हाफ़िज़ सईद और दाऊद इब्राहिम अब भी क़ानून से बाहर हैं।
(The Most Wanted Don अगले भाग में जारी…)
अगला भाग पढ़ने के लिए क्लिक करें – द मोस्ट वॉन्टेड डॉन – एपिसोड – 34
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