हरिगोविंद विश्वकर्मा
भारत की 10 साल की लगातार कोशिशों के बाद 16 अक्टूबर 2003 को दाऊद दुनिया का मोस्टवॉन्टेड टेररिस्ट घोषित कर दिया गया। भारत दाऊद को 12 मार्च 1993 के मुंबई सीरियल ब्लास्ट के बाद से ही मोस्टवॉन्टेड टेररिस्ट घोषित करने की मांग कर रहा था। लेकिन अंकल सैम के कान पर जूं नहीं रेंगा लेकिन अमेरिकी पर आतंकी हमले से तमाम समीकरण ख़ुद बदल गए। महाविनाश के बाद अमरिका हरकत में आया और 9/11 के दो साल बाद दाऊद का नाम “मोस्टवॉन्टेड आतंकवादियों की सूची” में डाल दिया। 2006 में यूएस ट्रेज़री डिपार्टमेंट ने दाऊद को ड्रग तस्कर घोषित किया। यानी कोई यूएस सिटिजन उसके साथ कारोबार नहीं कर सकता। उसकी संपत्ति और बैंक खाते फ्रीज़ कर दिए गए।
दक्षिण एशिया में अपराध और आतंकवादियों के गठजोड़ पर नज़र रखने वाले यूएस ट्रेज़री डिपार्टमेंट के मुताबिक दाऊद और डी-कंपनी 1980 से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ड्रग्स तस्करी में है। उनका रूट दक्षिण और मध्य एशिया और अफ्रीका है। सिंडिकेट का आईएसआई से रणनीतिक गठजोड़ है। 2012 में अमेरिका ने दाऊद के दो प्रमुख गुर्गो छोटा शकील और टाइगर मेमन पर भी पाबंदी लगा दी। यह क़दम ड्रग्स तस्करी में उनकी भूमिका के चलते उठाया गया। दाऊद, शकील और टाइगर को 2003 में पाकिस्तानी नागरिकता मिली गई थी। इस्लामाबाद ने दाऊद को इक़बाल सेठ उर्फ आमेरसाहब बना दिया जबकि छोटा शकील का नाम हाजी मोहम्मद और टाइगरम मेमन अहमद जमील हो गए।
दाऊद को देश में लाने की चर्चा 1993 के सीरियल धमाकों के बाद से हो रही है। उसे लेकर माहौल हमेशा गरम रहा है। एक बड़ा तबक़ा चाहता है कि 257 निर्दोष लोगों की हत्या के लिए दंडित करने के लिए उसे जल्द यहां लाया जाए। इसलिए दिल्ली सल्तनत पर क़ाबिज़ होने वाली हर सरकार वाहवाही लूटने के लिए गाहे-बगाहे डॉन को लाने की बात करती है। लेकिन सफलता किसी को नहीं मिली है। कांग्रेस सरकार में गृहमंत्री रहे सुशील शिंदे ने दो बार कहा कि दाऊद जल्द भारत लाया जाएगा। भारत अमेरिकी जांच एजेंसी फ़ेडरल ब्यूरो ऑफ़ इन्वेस्टिगेशन के संपर्क में है। उस दावे की हवा तब निकल गई जब एफ़बीआई ने कहा कि भारत ने इस तरह का कोई अनुरोध नहीं किया है। ज़ियाउद्दीन अंसारी उर्फ अबु जिंदल, अब्दुलकरीम टुंडा और यासिन मलिक की गिरफ़्तारी के बाद लग रहा था शायद सरकार सीरियस है लेकिन बयान देने के अलावा सरकार ने और कुछ नहीं किया।
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भारत पाकिस्तान और अमेरिका को कई डोज़ियर सौंप चुका है जिसमें दाऊद की पूरी कुंडली है। पर हुआ कुछ नहीं। विदेशी मामलों के जानकार कहते हैं कि दरअसल, परमाणु बम बना लेने के बावजूद भारत की इमैज दुनिया में एक नरम राष्ट्र की है। इसीलिए नई दिल्ली अपनी बात अंतरराष्ट्रीय मंच पर नहीं मनवा पाती। अब सल्तनत बदल गई है। उदार कांग्रेस की जगह सख़्त बीजेपी सत्ता में है। कठोर प्रशासक नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री हैं और दाऊद के बारे में सबसे ज़्यादा जानकारी रखने वाले अजित ढोभाल उनके सुरक्षा सलाहकार है। अब देखना है कि भारत दाऊद को खोज कर उसे विदेश में ही मार देता है या अपनी सरज़मीन पर लाकर उसके ख़िलाफ़ मुक़दमा चलाता है। हालांकि मोदी चुनाव से पहले कह चुके हैं कि दाऊद के ख़िलाफ़ कोई एक्शन शोर मचाकर नहीं, गोपनीय तरीक़े से लिया जाएगा। वैसे मई 2014 में विदेशी मीडिया में ख़बर आई थी कि लोकसभा चुनाव में बीजेपी की भारी जीत के बाद दाऊद को पाकिस्तान-अफ़ग़ानिस्तान सीमा पर किसी गुप्त जगह रखा गया है।
इस बीच 12 जून 2014 को दिल्ली की पटियाला हाउस अदालत ने दाऊद और छोटा शकील को हाजिर होने का फरमान दिया है। इस बारे में मुंबई के लीडिंग अख़बार में विज्ञापन छपा है जिस पर एडिशनल सेशन जज भरत पराशर का हस्ताक्षर है। दाऊद और शकील महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ़ ऑर्गनाइज्ड क्राइम ऐक्ट और आईपीसी की बाक़ी धाराओं के तहत आरोपी हैं। शायद पहला मामला है, जब गैंगस्टर से जुड़ा विज्ञापन अख़बार में छपवाया गया है। ऐड में उनके पुराने पतों का भी जिक्र है। दाऊद का पता डोंगरी और शकील का नागपाड़ा है। गिरफ्तारी वारंट तामिल नहीं होने की वजह से इन्हें भगोड़ा माना है। मैक्सिकन तस्कर जोएक़्वैन गुज़मैन के बाद दाऊद इब्राहिम दुनिया का दूसरा सबसे ख़तरनाक अपराधी है। भारत के लिए वह हाफ़िज़ सईद के बाद दूसरा मोस्टवॉन्टेड। उसके ख़िलाफ़ इंटरपोल ने रेड कॉरनर नोटिस जारी कर रखा है। बावजूद इसके वह क़ानून के शिकंजे से बाहर है। उसे गिरफ़्तार करने या और मारने की अब तक की हर कोशिश नाकाम ही रही है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि वह कहां है? और, उसे कब तक पकड़ कर दंडित किया जाएगा?
अभी हाल ही में मीडिया से बातचीत में दाऊद के कट्टर दुश्मन छोटा राजन ने दावा किया है कि दाऊद पाकिस्तान में तो नहीं है। पर उसके लोग अब भी डॉन पर नज़र रख रहे हैं। उनसे मिले इनपुट्स के आधार पर ही उसने दावा किया कि दाऊद हमारे पड़ोसी मुल्क में नहीं है, राजन के मुताबिक दाऊद खाड़ी देशों में कहीं छिपा है। वैसे आधिकारिक तौर पर पाकिस्तान ने भी कह दिया है कि दाऊद उनके देश में नहीं है। 2013 में दिल्ली आए पाक डिप्लोमेट शहरयार ख़ान के मुताबिक दाऊद पाकिस्तान में था लेकिन अब नहीं है। पर वापस जाते ही वह बयान से ही मुकर गए।
खुफिया एजेंसियों का भी मानना है कि चूंकि दाऊद का कुनबा कराची में है, सो वह वहां आता-जाता रहता है। आइबी चीफ़ रहे डोभाल के मुताबिक उसकी नज़र अफ्रीका पर है। वह सोमालिया, जिंबाब्वे और सूडान जैसे देशों में नेटवर्क खड़ा कर रहा है और वहां के कबायली सरदारों के संपर्क में है। अगस्त 2013 में गिरफ़्तार टुंडा ने कन्फ़र्मड किया था कि दाऊद कराची में ही है और घर से बहुत कम निकलता है। दाऊद की लोकेशन को लेकर दुविधा है। हालांकि दाऊद के बारे में पाकमोडिया स्ट्रीट का बच्चा-बच्चा कहता है वह कराची में है। पड़ोसी उस्मान भाई कहते हैं, भाई कराची में हैं और सेफ़ हैंड है। नेपाल के रास्ते भारत आने पर मुंबई क्राइम ब्रांच द्वारा गिरफ़्तार साज़िद उस्मान बाटलीवाला और दाऊद के पारिवारिक ड्राइवर करीमुल्ला ख़ान ने भी उसके बारे में जानकारी दी। मेहरूख की शादी में भी मौज़ूद करीमुल्ला के मुताबिक दाऊद कराची में है। बाटलीवाला ने बताया कि सेठ केवल ज़ुमा को सशस्त्र गार्डों की सुरक्षा में घर से निकलता है।
गिरफ्तारी के बाद एक इंटरव्यू में छोटा राजन ने स्वीकार किया था कि दाऊद को मारने के लिए शूटर कराची के उसके आवास तक भेजे गए थे। लेकिन ऑपरेशन लीक हो गया। दरअसल, बदला लेने के लिए राजन ने अपने सात शॉर्प शूटर नेपाल के रास्ते कराची क्लिफ़्टन रोड के दरगाह भेजे। पर दाऊद ऐन मौक़े पर वहां आया ही नहीं। संभवतः उसे साज़िश की भनक लग गई थी। पक्की सूचना मिली थी कि जुमा की इबादत के लिए वह दरगाह आने वाला है। यह भी बात फैली थी कि दाऊद को सबक सिखाने के लिए राजन रॉ और आईबी की मदद कर रहा है। कहा जाता है कि क्राइम ब्रांच के कई डबल एजेंट दाऊद के आसपास हैं। वे दाऊद की डेली लोकेशन और दिनचर्या की जानकारी देते रहते हैं।
इस बीच दो साल पहले 2019 में खबर आई थी कि मुंबई के जोगेश्वरी का रहने वाला दाऊद इब्राहिम का करीबी फारूक देवड़ीवाला खुद भारतीय एजेंसियों के साथ मिल कर सेठ यानी मुच्छड़ की हत्या की साजिश रच रहा था। खबर लीक होने के बाद दाऊद से गद्दारी करने पर छोटा शकील ने फारूक की जनवरी 2019 में हत्या करा दी। दाऊद के बेहद करीबी छोटा शकील को अपने मुखबिरों से पता चला था कि देवड़ीवाला दाऊद के खिलाफ ही साजिश कर रहा है। उसने इस सिलसिले भारतीय एजेंसियों से दुबई में मुलाकात भी की थी। शकील ने देवड़ीवाला से खुद इस बारे में पूछा तब भी उसने यह बात स्वीकार कर ली। तो शकील ने उसकी हत्या करवा दी। बाद में इंटरपोल ने भी फारूक की हत्या की पुष्टि कर दी।
फारूक को अप्रैल 2018 में दुबई पुलिस ने दुबई में गिरफ्तार किया था। भारत वहां से उसे प्रत्यर्पित करने की कोशिश कर रहा था, लेकिन पाकिस्तान ने जाली दस्तावेजों और फर्जी पासपोर्ट के आधार पर साबित कर दिया कि वह पाकिस्तानी नागरिक है और उसे वहीं भेज दिया जाए। फारूक पर मुस्लिम युवको को आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन में शामिल करने का आरोप था। गोधरा दंगों के बाद गुजरात के तत्कालीन गृहमंत्री हरेन पंड्या और कुछ अन्य लोगों की हत्या में उसका नाम सामने आया था। फारूक ने कुख्यात गैंगस्टर सलीम कुत्ता के साथ लंबे समय तक काम किया था। वैसे कहा जाता है कि दाऊद की हत्या की कोशिश भारतीय एजेंसियां लगातार करती रहती है, लेकिन इसका बावजूद दाऊद अभी तक सही सलामत है। उसकी महाराष्ट्र एटीएस को भी तलाश थी। इन दिनों दाऊद और दाऊद से जुड़ी खबरों पर विराम लगा हुआ है।
(The Most Wanted Don अगले भाग में जारी…)
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