द मोस्ट वॉन्टेड डॉन – एपिसोड – 32 – बैंकॉक से भागते समय पैर में रस्सी फंसने से छोटा राजन का हवा में लटकता रहा

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हरिगोविंद विश्वकर्मा
मुंबई बम ब्लास्ट के बाद दाऊद इब्राहिम कासकर से अलग हुआ छोटा राजन उसका दु्श्मन बन बैठा। वह खुद देशभक्‍त डॉन होने की डींगें भरने लगा। दाऊद बग़ावत करने वालो को हमेशा मौत की सज़ा दे देता था। उन्हें अपने गुंडों से मरवा देता था या मुंबई पुलिस में अपने लोगों द्वारा एनकाउंटर में ढेर करवा देता था। पर छोटा राजन दाऊद से अलग होने के बावजूद सरवाइव कर गया। यह बात दाऊद को कभी हज़म नहीं हुई। लिहाज़ा, उसका छोटा राजन से वैर कम नहीं हुआ। वे एक दूसरे के आदमियों को मारते-मरवाते रहे। दाऊद ने साधु शेट्टी के मुंबई आने की टिप पुलिस को दे दी। साधु एक हत्याकांड में अपने आदमी की गिरफ़्तारी के बाद मुंबई आया था। पहली मई 2000 को विजय सालस्कर की टीम ने मुठभेड़ में उसे मार डाला। विजय सालस्कर ने जिन अपराधियों को इन्काउंटर में मारा, उसका बारीक़ी से अध्ययन करें तो लगता है कि सालस्कर एक तरह से दाउद के पे-रोल पर काम करते थे। इसके बाद ग़ुस्साए छोटा राजन ने होटल मालिक दिनेश शेट्टी की हत्या करवा दी। उसे शक था कि साधु शेट्टी के विज़िट को दिनेश शेट्टी ने लीक की थी। बाद में पता चला कि दुबई से शरद शेट्टी ने उसकी टिप दी थी।

सर्वशक्तिमान होने के बावजूद दोनों डॉन एक दूसरे से बहुत डरते हैं। दोनों इलिए एक-दूसरे को मारने का प्लान बनाते रहे हैं। दाऊद के लिए छोटा राजन सबसे बड़ा ख़तरा है तो राजन के लिए दाऊद। ख़तरे की वजह से छोटा राजन लंबे समय तक समुद्र में याट में ही रहा। बाद में उसे थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक सुरक्षित लगी। दाऊद ने छोटा राजन पर कई बार जानलेवा हमला करवाया, लेकिन हर बार वह बचता रहा। राजन पर हमले की बड़ी साजिश दुबई में दाऊद के खास शूटर शरद शेट्टी के घर में रची गई। सुखुमवित सोई के पास पॉश इलाके में चरनकोर्ट अपार्टमेंट की पहली मंज़िल पर एक बड़ा घर ले लिया। उसके साथ उसका सबसे भरोसेमंद साथी रोहित वर्मा भी अपने परिवार के साथ रह रहा था। घर रोहित के फ़ेक-नेम माइकल डिसिल्वा के नाम से लिया गया था। सुरक्षा कारणों से थाइलैंड में भी छोटा राजन मलेशिया का सिमकोर्ड प्रयोग करता था ताकि दुश्मनों को उसके लोकेशन का पता न चल सके। इसके बावजूद छोटा शकील ने उसे खोज निकाला। पुलिस में कई लोग मानते हैं कि शकील को राजन के लोकेशन की ख़बर ख़ुद रोहित वर्मा ने ही दी थी, क्योंकि गैंग पर वह ख़ुद नियंत्रण करना चाहता था। लेकिन इसकी आधिकारिक तौर पर पुष्टि नहीं हो सकी।

बहरहाल, दाऊद के सिरदर्द को बैंकाक में ही ख़त्म कर देने की गहरी साज़िश रची गई। उसका पता मिलने के बाद मुंबई के टपोरी मुन्ना झिंगड़ा को नेपाल के रास्ते कराची बुलाया गया। वह अचूक निशाना लगाता था सो उसे ही राजन को ख़त्म करने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई। पाकिस्तानी नागिरक मोहम्मद सलीम बनाकर उसने छोटा राजन के बग़ल का फ़्लैट किराए पर ले लिया। योजना के तहत 10 लोगों की टीम ने 14 सितंबर 2000 की रात साढ़े नौ बजे छोटा राजन के घर का दरवाज़ा खटखटाया। वे लोग अपने आपको पिज्जा डिलीवरी बॉय बताकर गए थे। रोहित वर्मा ने दरवाज़ा खोला। जैसे ही दरवाज़ा खुला, उसे वहीं ढेर कर दिया गया। राजन अंदर वाले बेडरूम में था। हमलावरों ने रोहित की पत्नी संगीता, बेटी और नौकरानी को गोली मार दी। पूरे घर में राजन नहीं मिला तो हमलावर अंदर के बेडरूम की ओर गए, जो अंदर से बंद था। अंधाधुंध फायरिंग के बाद दरवाज़ा टूटा तो बेडरूम में कोई नहीं था। अंदर ख़ून देखकर मुन्ना समझ गया कि राजन खिड़की के रास्ते भाग गया।

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इधर अगले दिन दोपहर तक मुंबई में ख़बर फैली कि छोटा राजन की बैंकॉक में हत्या हो गई। दोपहर के बाद खुलासा हुआ कि हत्या छोटा शकील ने करवाई। दूसरे दिन भारतीय विदेश मंत्रालय ने थाई अधिकारियों से बातचीत की तो पता चला छोटा राजन अभी ज़िंदा है। वह विजय दमन नाम से वहां के स्मितिवेज अस्पताल में भर्ती है और फ़िलहाल ख़तरे से बाहर है। हमला बहुत सुनियोजित ढंग से अंजाम दिया गया था लेकिन किस्मत ने राजन का साथ दिया और वह बाल-बाल बच गया। थाई पुलिस ने तीन दिन में ही चार हमलावरों को पकड़ लिया। इनमें थाई चवालित उर्फ रफीक अरूकियत के अलावा तीन विदेशी मुन्ना झिंगड़ा उर्फ़ मोहम्मद सलीम, शेरख़ान और मोहम्मद युसुफ थे।

स्मितिवेज अस्पताल में इलाज करा रहा छोटा राजन एक रात अचानक फरार होने के प्रकरण पर एनडीटीवी के पत्रकार सुनील सिंह ने एक खास रिपोर्ट तैयार की थी। रिपोर्ट के मुताबिक अस्पताल में इलाज के दौरान छोटा राजन और भरत नेपाली ने भारत वापस जाने का मन बना लिया था। लेकिन भारतीय सुरक्षा एजेंसियों का एक बहुत ‘प्रभावशाली व्यक्ति’ नहीं चाहता था कि दाऊद इब्राहिम के खिलाफ छोटा राजन की लड़ाई कमजोर पड़े। लिहाज़ा, उसने ही राजन को अस्पताल से भगाने की योजना बनाई और छोटा राजन को आश्वस्त किया कि वह सुरक्षित बाहर निकाल जाएगा।

यह भी सर्वविदित था कि छोटा राजन केवल निजी अस्पताल से ही फरार हो सकता है। से उस निजी अस्पताल के सर्जन से एक पत्र लिखवाया गया कि घायल राजन को सरकारी अस्पताल में शिफ्ट करना जोखिम भर है। लिहाजा डॉन को 15 दिन निजी अस्पताल में रहने की अनुमति मिल गई। इसी बीच राजन की पत्नी सुजाता निखालजे उर्फ नानी बैंकॉक लैंड कर गई। नानी के राजन के साथ होने से 24 घंटे तैनात कमांडो को बगल के कमरे में रहने को मना लिया गया। राजन अस्पताल में चौथी मंजिल पर था। वहां  से उसे दरवाजे से निकालना कठिन था, सो उसे खिड़की के रास्ते बाहर निकाले की योजना बनी। उस समय राजन के साथ मौजूद संतोष शेट्टी ने तय किया कि उसे खिड़की से स्सी से नीचे उतारा जाए फिर कार में बिठाकर सड़क रास्ते से कम्बोडिया में प्रवेश कराया जाए। संतोष शेट्टी और भरत नेपाली ने पटाया जाकर रस्सी चढ़ने-उतरने की ट्रेनिंग ली।

फरार होने की सुरक्षित योजना बनाने के बाद एक रात रात तीन बजे कद-काठी से मजबूत भरत नेपाली ने राजन को रस्सी बंधी खास जैकेट पहनाकर उतारना शुरू किया। राजन का वजन बहुत ज्यादा और वो तेजी से नीचे गिरने लगा, जिससे भरत नेपाली का संतुलन बिगड़ गया और रस्सी उसके पैर में फंस गई, जिससे राजन बीच हवा में ही लटकने लगा। बीच में से ही वह चिल्लाकर भरत को रस्सी छोड़ने के लिए कहता रहा। तभी राजन को सहारा देने के लिए नीचे खड़ा संतोष शेट्टी सीढियां चढ़कर ऊपर चौथी मंजिल पर पहुंचा और भरत की मदद की। तब तक राजन हवा में ही लटकता रहा। इसकी भनक सभी 8 सुरक्षा गार्डों को इसलिए नहीं लगी क्योंकि छोटा राजन के साथी फरीद तनाशा ने उन्हें छक कर शराब पिला कर टल्ली कर दिया था।

बहरहाल, संतोष शेट्टी ने भरत नेपाली की मदद की और राजन को सुरक्षित नीचे उतार लिया गया। उसे वहीं खिड़की के नीचे ही खड़ी की गई आर्मी की जीप में बैठाया गया और फिर छोटा राजन कम्बोडिया सीमा की ओर निकल गया। सीमा से कुछ दूरी पर पहले ही हेलीकॉप्टर तैयार खड़ा था, हेलिकॉप्टर की व्यवस्था कम्बोडिया में सीमावर्ती शहर के स्थानीय गवर्नर को भरोसे में लिया गया था। इस तरह हेलिकॉप्टर में बैठकर छोटा राजन थाईलैंड से कम्बोडिया निकल गया। सुजाता को एक दिन पहले ही मुंबई रवाना कर दिया गया था। ऑपरेशन की कामयाबी की खबर के बाद मिलते ही फरीद और बाकी सभी लोग भी सुबह की फ्लाइट से थाईलैंड से फरार हो गए। सुबह सात बजे के जब नशे में धुत पुलिस कमांडो को होश आया तब तक उनके पैरों तले की जमीन खिसक चुकी थी। कहा जाता है कि छोटा राजन को बचाने में भारतीय सुरक्षा एजेंसियों का भी हाथ था।

क़रीब दो दशक से भारतीय पुलिस की आंखों में धूल झोंक कर फरार रहने वाले छोटा राजन को 25 अक्टूबर, 2015 को इंडोनेशिया के बाली शहर में गिरफ्तार किया गया था। यह ऑपरेशन सीबीआई, इंटेलीजेंस यूनिट, मुंबई क्राइम ब्रांच, ऑस्ट्रेलिया और इंडोनेशिया पुलिस के साथ इंटरपोल के सफल कोऑर्डिनेशन के जरिए सफल हो सका था। इसके बाद उसे भारत लाकर तिहाड़ जेल में बंद कर दिया गया। इन दिनों वह फ़र्ज़ी पासपोर्ट केस में तिहाड़ जेल में ही सज़ा काट रहा है। कभी दाऊद की पनाहों में रहने वाला छोटा राजन उसका जानी दुश्मन बन चुका है। मुंबई में आतंकी हमले के बाद छोटा राजन के अलग होने से नाराज़ दाऊद लगातार उसे मारने की फिराक में रहा है, लेकिन कामयाब नहीं हो सका। यही वजह है कि छोटा राजन आसानी से गिरफ्तार हो गया। बहरहाल, बैंकॉक में हुए हमले का बदला लेते हुए 19 जनवरी 2003 को दुबई के एक क्लब में छोटा शकील के खास शरद शेट्टी की छोटा राजन के शूटरों ने हत्या कर दी। हमले का उसने बदला लिया।

दाऊद और राजन के बीच एक-दूसरे को ख़त्म करने की जंग चल रही हैं। यह जंग तभी ख़त्म हो सकती है जब दोनों में से किसी एक का अंत हो जाएं। राजन को दाऊद जेल में ही मारने की साजिश रच रहा था। कुछ साल पहले दिल्ली के गैंगस्टर नीरज बवाना के जरिए उसे तिहाड़ में मारने की योजना बना रहा था। इसके पहले की योजना अमली जामा पहने उसका प्लान लीक हो गया था। खुफिया एजेंसियां अलर्ट हो गईं और छोटा राजन की सुरक्षा चाक चौबंद कर दी गई। अपराधी नीरज बवाना को भी छोटा राजन से अलग दूसरे बैरक में रखा गया है। दरअसल, डी कंपनी के गुर्गे और नीरज बवाना के एक साथी के बीच हुई बातचीत को सुरक्षा एजेंसियों ने इंटरसेप्ट कर लिया। इससे खुलासा हुआ कि डी कंपनी छोटा राजन को जेल में ही मरवाना चाहती है।

(The Most Wanted Don अगले भाग में जारी…)

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