द मोस्ट वॉन्टेड डॉन – एपिसोड – 3 – आर्थिक तंगी ने बालक दाऊद को बनाया अपराधी (The Most Wanted Don – Episode – 3 – Financial Crunch Made Boy Dawood A Criminal)

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हरिगोविंद विश्वकर्मा
अक्सर कहा जाता है, आदमी जो सोचता है वैसा होता नहीं। ऐसा ही कुछ मुंबई पुलिस के हेड कॉस्टिबल इब्राहिम कासकर के साथ हुआ। दूसरे बेटे का नाम दाऊद रखते समय उन्होंने सपनों का एक महल खड़ा कर लिया। उन्होंने सोचा था कि उनका बेटा ख़ूब पढ़ेगा और मुंबई पुलिस में बहुत बड़ा अफ़सर बनेगा। शायद एक दिन देश भर के अख़बारों में ख़बर छपे, ‘हवलदार का लड़का आईपीएस चुन लिया गया और हवलदार अपने बेटे को सैल्यूट मार रहा है’। लेकिन ऐसा नहीं हुआ क्योंकि जब ऐसा लगा कि दाऊद पढाई-लिखाई करके पिता से बड़ा ओहदा हासिल करेगा, तभी हालात ऐसे बन गए कि उसके जीवन ने अचानक यू-टर्न ने लिया।

विपरीत हालात के चलते दाउद की पढ़ाई छठी कक्षा से आगे नहीं बढ़ सकी। अपराध जगत पर नज़र रकने वाले कई पत्रकार दावा करते हैं कि दाऊद नौवीं क्लास तक पढ़ा था। दरअसल, इब्राहिम के सभी बच्चे बीएमसी के ऊर्दू मीडियम स्कूल में पढ़ते थे। लेकिन यह शाह बाबा की भविष्यवाणी का इंपैक्ट था कि दाऊद का दाख़िला नागपाड़ा के इंग्लिश मीडियम के विद्यालय अहमद सेलर हाईस्कूल में करवाया दिया गया। इसके अलावा, ट्रैफ़िक की ट्रेनिंग के लिए उसका एडमिशन रोड सेफ़ेटी पेट्रोल में भी करा दिया गया। दाऊद की पढ़ाई राइट ट्रैक पर चल रही थी कि अचानक हुई एक अप्रिय घटना ने सब किए कराए पर पानी फेर दिया।

दरअसल, हुआ यूं कि 1966 में डोंगरी में एक युवक की हत्या हो गई। इस मामले में डोंगरी पुलिस स्टेशन की पुलिस की कथित लापरवाही के चलते इब्राहिम कासकर समेत चार पुलिसकर्मी सस्पेंड कर दिए गए। इब्राहिम के सस्पेंड होने से घर में वेतन आना बंद हो गया। इसके चलते उन्हें अपने बारी-भरकम परिवार का खर्च चलाने में बहुत अधिक परेशानी होती थी। उनका परिवार बहुत बड़ा था, जिससे धीरे-धीरे पूरा कुनबा भुखमरी के क़गार पर आ गया। शायद यही वजह रही कि दाऊद को बचपन से ही जल्द से जल्द कूब पैसे कमाने की ललक लग गई। वह किसी भी तरह से बहुत सारे पैस कमाना चाहता था और अमीर बनना चाहता था। ताकि जिस तरह का बचपन सने गुज़ारा है, उस तरह का बचपन परिवार की ने वाली पीढ़ी न गुजार सके।

अचानक घर की हुई ख़राब माली हालत ने दाऊद को स्कूल से दूर होने पर मज़बूर कर दिया। कई लोग बताते हैं कि उसका मन वैसे भी पढ़ाई-लिखाई और होमवर्क में बहुत कम लगता था। इसके चलते उसने नौवीं क्लास के बाद से ही पढ़ाई छोड़ दी। पढ़ाई छोड़ने के बाद किताब देखने और होमवर्क के झंझट से उसे हमेशा के लिए निजात मिल गई। थोड़े समय बाद उसे आरएसपी की ट्रेनिंग में जाना भी वक़्त जाया करने जैसा लगने लगा। लिहाज़ा उसे भी छोड़ दिया। अब वह पूरी तरह स्वछंद था, हमउम्र दोस्तों के साथ डोंगरी, जेजे अस्पताल और अन्य जगहों पर बैठकर गप मार सकता था। शाम को जेजे स्क्वेयर ग्राउंड में बाक़ी मुस्लिम लड़कों के साथ क्रिकेट खेल सकता था। धीरे-धीरे वह आपराधिक गतिविधियों में लग गया।

दाऊद इब्राहिम की संपूर्ण कहानी पहले एपिसोड से पढ़ने के लिए इसे क्लिक करें…

इस दौरान परिवार का पेट पालने के लिए इब्राहिम दूसरे छिटपुट काम करने लगे। पैसे के लिए मज़बूरी में उन्होंने डॉन बाशूदादा के यहां क्लर्क का काम स्वीकार कर लिया। बाशूदादा के तस्करी के मामले को हल करने लगे। बाशू दादा ने बॉम्बे पोर्ट ट्रस्ट और कस्टम विभाग के जटिल काम उनके हवाले कर दिया था। इब्राहिम भाई इस्लाम-पसंद मुसलमान थे। उन्हें भरोसा था कि उनके बेटे कभी भी कोई ग़लत काम नहीं करेंगे। इसी आत्मविश्वास के चलते, वह बेटों, ख़ासकर साबिर और दाऊद पर नज़र रखना भूल गए। यही लापरवाही बाद में भयंकर भूल साबित हुई जिसके लिए वह ज़िदगी भर ख़ुद को कोसते रहे। इसके बाद तो दाऊद निरंकुश हो गया और अपराध की दुनिया में क़दम रख दिया।

हिंदी का एक मशहूर कहावत हैं, ‘भूखे भजन न होइ गोपाला’। यानी जब तक आदमी भूखा है तब तक उस पर किसी नसीहत या उपदेश का असर नहीं होगा। यही दाऊद के साथ हुआ। बचपन में जब वह दूसरे लड़कों से अपनी तुलना करता था तब अपने को तंगहाल पाता था। लिहाज़ा, उसमें पैसे कमाने की भूख पैदा हो गई। वस्तुतः, यही वह समय था, जब उसे अपराध की ओर खिंचने से रोका जा सकता है क्योंकि तब उसकी उम्र कोई 12-13 साल रही होगी। लेकिन इस अतिसंवेदनशील मौक़े पर इब्राहिम चूक गए। सड़क पर बैठते-बैठते दाऊद मां-बाप की नसीहत भूल गया और आवारागर्दी करने लगा। वह लोगों के सामान छीनने और चुराने लगा। हालांकि माता-पिता अच्छे आचरण की नसीहत देते थे लेकिन पैसे की भूख से मुक़ाबला होने पर नसीहत शिकस्त खाती गई। इसी बीच खोली बहुत छोटी होने के कारण परिवार टेमकर मोहल्ला से थोड़ी ही दूरी पाकमोडिया स्ट्रीट में चाल मुसाफ़िरखाना में शिफ़्ट हो गया। दाऊद अपराध की दुनिया में क़दम रख चुका था। लिहाज़ा, टेमकर मोहल्ला के बाद मुसाफ़िरखाना चाल किशोर अपराधियों का अड्डा बन गया।

पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक दाऊद ने जीवन का पहला अपराध 14 साल की उम्र में किया। जब सड़क पर रुपए गिन रहे राहगीर के पैसे छीने तो राहगीर इब्राहिम के पास पहुंच गया। पिता को यक़ीन ही न हुआ कि उनका बेटा किसी के पैसे छीन सकता है। दाऊद की जमकर कुटाई की। वह सजग हो गए। बच्चों, ख़ासकर दाउद और साबिर पर नज़र रखने लगे। लेकिन यह सिलसिला ज़्यादा दिन नहीं चल सका। रोज़ी–रोटी जुटाने में वह फिर से मशग़ूल हो गए और बेटे अपराध के दलदल में दिनोंदिन गहरे उतरते गए। इब्राहिम जब भी किसी केस में बेटों का नाम सुनते, आग-बबूला हो उठते थे। उनकी जमकर पिटाई करते थे। लेकिन धीरे-धीरे दाऊद-साबिर को इसकी आदत पड़ गई और वे दोनों ढींठ हो गए।

इस दौरान इब्राहिम की नौकरी क्राइम ब्रांच में बहाल हो गई। तब वह इतने बिज़ी हो गए कि बेटे क्या कर रहे हैं, इसकी खोज-ख़बर लेने की फ़ुर्सत ही न रही। दाऊद पिता से बहुत डरता था, पर बात मानता था केवल मां का। धीरे-धीरे इलाक़े में उसकी धाक जम गई। अनऑफ़िशियली कोंकणी युवकों के गिरोह का वह मुखिया बन गया। इब्राहिम को जब लगा, बेटे उनके रसूख़ का इस्तेमाल ग़लत और नापाक कार्यों के लिए कर रहे हैं तब उन्होंने दोनों से बातचीत बिलकुल बंद कर दी।

अमीना समझाती, “बेटा, तेरे पिता की पुलिस महकमे में हैं, उनकी अच्छी साख़ है, लिहाज़ा, मेरे लिए न सही, उनकी नौकरी के लिए तुम अपराध से दूर रहो।“

दाऊद, दरअसल, पॉवर इन्जॉय करना और ख़ूब दौलत कमाना चाहता था। पैसे से उसे बेपनाह मोहब्बत थी। लिहाज़ा, मां की बात एक कान से सुनता, दूसरे से निकाल देता। पॉवर और दौलत की चाह ने उसे ग़लत काम करने पर मज़बूर कर दिया। अभाव और ग़रीबी ने उसे ज़िद्दी भी बना दिया था। वह अपने भाई-बहनों को अच्छे कपड़ों और मां को गहने से लदा देखकर बहुत ख़ुश होता था। यह सब जुटाने के लिए उसे बहुत पैसे की दरकार थी। बेशुमार दौलत तक पहुंचने का रास्ता केवल और केवल अपराध की पगडंडी से गुज़रता था। सो, वह उस पगडंडी से ख़ुद को अलग नहीं रख सका। बहरहाल, जैसे-जैसे उसका प्रभाव और आमदनी बढ़ती गई, परिवार पर नियंत्रण मज़बूत होता गया। जल्द ही ख़र्च से रिलेटेड हर फ़ैसले वही लेने लगा। साबिर था तो उससे दो साल बड़ा, लेकिन सही मायने में परिवार में उसकी हैसियत दाऊद के बाद यानी नंबर दो की थी।

(The Most Wanted Don अगले भाग में जारी…)

अगला भाग पढ़ने के लिए क्लिक करें – द मोस्ट वॉन्टेड डॉन – एपिसोड – 4