गीत – मेरी जानिब

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मेरी जानिब
मुड़कर देखा जो तुमने मेरी जानिब
ख़ुशियों की बारिश हुई मेरी जानिब

मुद्दत से दर-दर भटकती रही हो
एक बार तो आई होती मेरी जानिब

रूसवाइयां और नफ़रतें ख़ूब आईं
मोहब्बत ही नहीं आई मेरी जानिब

ताउम्र करता रहा जिसका इंतज़ार
आहट तो उसकी आती मेरी जानिब

ज़िंदगी बेवफ़ा है, दग़ा दे जाएगी
वफ़ा की बारिश होती मेरी जानिब

-हरिगोविंद विश्वकर्मा

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