Poem ठुमरी – तू आया नहीं चितचोर By Admin - July 8, 2020 1 1291 WhatsApp Facebook Twitter Linkedin Telegram ठुमरी तू आया नहीं चितचोर मनवा लागे नाहीं मोर रहिया ताके मोरा मन अंखियां बनी हैं चकोर बैरन बनी रात चांदनी काहे रे होत नहि भोर सबके सजन आए घर न आयल बलमा मोर तड़पन है तन मन में चलत नाहीं मोरा ज़ोर -हरिगोविंद विश्वकर्मा रामचरित मानत बालकांड से पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें…
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