वैलेंटाइन-डे का इतिहास (History of Valentine’s Day)

0
1141

मोहब्बत का दिन, प्यार का दिन, दे ऑफ़ लव, मोहब्बत के इज़हार का दिन। अपने जज़्बातों को शब्दों में बयां करने का दिन। इसी लिए इस दिन का हर धड़कता हुआ दिल को बेसब्री से इंतज़ार करता है। वेलेंटाइन-डे यह प्यार के परवानों का दिन है। प्यार का यह दिन ख़ुशियों का प्रतीक माना जाता है और हर प्यार करने वाले शख़्स के लिए अलग ही ख़ास अहमियत रखता है।

वैलेंटाइन-डे को लेकर दुनियाभर के युवाओं में उत्साह देखने को मिलता है। लोग इसे प्यार का इजहार करने वाला दिन मानते हैं, मगर बहुत से लोगों को यह नहीं मालूम कि आख़िर इस दिन को ख़ास महत्व क्यों दिया गया है। इसके पीछे क्या इतिहास जुड़ा है और क्योंकि इसे वैलेंटाइन-डे के रूप में मनाया जाता है। इस पर्व पर पश्चिमी देशों में पारंपरिक रूप से इस पर्व को मनाने के लिए ‘वेलेंटाइन-डे’ नाम से प्रेम-पत्रों का आदान प्रदान तो किया जाता है ही, साथ में दिल, क्यूपिड, फूलों आदि प्रेम के चिन्हों को उपहार स्वरूप देकर अपनी भावनाओं को भी इजहार किया जाता है। 19वीं सदीं में अमेरिका ने इस दिन पर अधिकारिक तौर पर अवकाश घोषित कर दिया था।

ऐसी परंपरा है कि वेलेंटाइन-डे मूल रूप से संत वेलेंटाइन के नाम पर रखा गया है। परंतु सैंट वेलेंटाइन के विषय में ऐतिहासिक तौर पर विभिन्न मत हैं और कुछ भी सटीक जानकारी नहीं है। 1969 में कैथोलिक चर्च ने कुल ग्यारह सेंट वेलेंटाइन के होने की पुष्टि की और 14 फरवरी को उनके सम्मान में पर्व मनाने की घोषणा की। इनमें सबसे महत्वपूर्ण वेलेंटाइन रोम के सेंट वेलेंटाइन माने जाते हैं।

यह भी माना जाता है कि 14 फरवरी को सेंट वेलेंटाइन ने अपनी मृत्यु के समय जेलर की नेत्रहीन बेटी जैकोबस को नेत्रदान किया और उसे एक पत्र लिखा, जिसमें अंत में उन्होंने लिखा था ‘तुम्हारा वेलेंटाइन’। बाद में इस संत के नाम से वेलेंटाइन-डे मनाया जाने लगा। इस दिन के बहाने पूरे विश्व में निःस्वार्थ प्रेम का संदेश फैलाया जाने लगा। वह परंपरा आज भी जारी है। वेलेंटाइन-डे विभिन्न देशों में अलग-अलग तरह से और अलग-अलग विश्वास के साथ मनाया जाता है। पश्चिमी देशों में तो इस दिन की रौनक अपने शबाब पर ही होती है। पूरब के देशों में भी वेलेंटाइन-डे को मनाने का अपना-अपना अंदाज़ है।

भारत में भी प्रेमी-युगल इस दिन का बेसब्री से इंतज़ार करते हैं। कुछ परंपरावादियों के विरोध के बावजूद इस दिन को मोहब्बत करने वाले जमकर मनाते हैं। चीन में यह दिन ‘नाइट्स ऑफ सेवेन्स’ प्यार में डूबे दिलों के लिए खास होता है, तो जापान और दक्षिण कोरिया में इस पर्व को ‘वाइट डे’ का नाम से जाना जाता है। इतना ही नहीं, इन देशों में पूरे एक महीने तक लोग इज़हार-ए-मोहब्बत करते हैं और एक-दूसरे को तोहफ़े और गुलाब फूल देकर अपनी भावनाओं का इज़हार करते हैं। कहा जाता है कि पूरे विश्व में हर साल क़रीब सौ करोड़ वेलेंटाइन्स कार्ड भेजे जाते हैं।

1260 में प्रकाशित किताब ‘ऑरिया ऑफ जैकोबस डी वॉराजिन’ में सेंट वेलेंटाइन का वर्णन मिलता है। इसके अनुसार रोम में तीसरी शताब्दी में सम्राट क्लॉडियस का शासन था। सम्राट क्लॉडियस मानता था कि विवाह करने से पुरुषों की शक्ति और बुद्धि कम हो जाती है। लिहाज़ा, उसने आदेश जारी किया कि उसका कोई सैनिक या अधिकारी विवाह नहीं करेगा। संत वेलेंटाइन ने इस क्रूर आदेश का विरोध किया।

संत वेलेंटाइन के आह्वान पर कई सैनिकों और अधिकारियों ने अपनी माशुकाओं से विवाह रचाया। इससे नाराज़ होकर सम्राट क्लॉडियस ने 14 फरवरी सन 269 को संत वेलेंटाइन को फांसी पर लटका दिया। तब से उनकी स्मृति में प्रेम दिवस मनाया जाता है।

इसे भी पढ़ें – मोहब्बत हो गई जिनको…. वे दीवाने यहां जाएं!

इसे भी पढ़ें – मुंबई से केवल सौ किलोमीटर दूर ‘महाराष्ट्र का कश्मीर’