देश से विदेशों तक छाया “क्वीन ऑफ कुमाऊँ” का जादू

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देश की आर्थिक राजधानी मुंबई के आला दर्जे के कार्यक्रमों में छाई रहने वालीं, कवयित्री, गायिका, संगीतज्ञ और लेखिका डॉ. मेघा भारती मेघल (Dr Megha Bharati Meghil) को “क्वीन ऑफ कुमाऊँ” भी कहा जाता है। डॉ. मेघल संगीत और साहित्य समेत अनगिनत क्षेत्रों में विश्व पटल पर अपना परचम लहरा चुकी हैं। कई वैश्विक उपलब्धियाँ हासिल कर चुकी डॉ. मेघल को अंतर्राष्ट्रीय सेलिब्रिटी का दर्जा हासिल है। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय शोधपत्रों में उनके उद्धरण दिए जाते हैं। उनके कृतित्व एवं व्यक्तिव पर निरंतर शोध कार्य हो रहे हैं। किशोरावस्था से ही सृजन शुरू करने वाली डॉ. मेघल की ख़ासियत है कि जिस भी क्षेत्र में उन्होंने कार्य किया उसमें श्रेष्ठ शिखर तक पहुँच, अपनी अमिट छाप छोड़ी। वे ‘प्रथम अन्वेषक’ भी कही जाती हैं। रचनात्मक योगदान और हमेशा कुछ नया करने की प्रवृत्ति के चलते डॉ. मेघल अक्सर सुर्ख़ियों में रहती हैं। उनका स्टाइल स्टेटमेंट और बहुमुखी प्रतिभा ने उन्हें यह लोकप्रिय मक़ाम दिलवाया है।

पिछले वर्ष सैन फ्रांसिस्को से डॉ. मेघल को इंटरनैशनल अवॉर्ड फॉर आउटस्टैंडिंग वर्क जैसा प्रतिष्ठित पुरस्कार मिला जिससे उनकी लोकप्रियता में चार चांद लग गए। उन्हें पिछले साल नाइजीरिया के डिफेंस मिनिस्टर, नाईजीरिया की प्रिंसेस के साथ पुरस्कृत किया गया। इस समारोह में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उल्लेखनीय योगदान के लिए यूक्रेन, जॉर्जिया, बेलारूस, फ़्रांस, जर्मनी, स्पेन एवं इटली समेत कई देशों से कुल 18 कलाकारों, लेखकों, राजनीतिज्ञों और समाजसेवियों को भी पुरस्कार से नवाज़ा गया था। डॉ. मेघल ने यह सम्मान जीतकर देश का गौरव बढ़ाया। हाल ही में उन्हें यूक्रेन अकादमी से ऑनरेरी सम्मान अवॉर्ड भी प्राप्त हुआ है। महाराष्ट्र सरकार भी उनके कार्यों के लिए उन्हें सम्मानित कर चुकी है। उन्हें “महादेवी वर्मा सम्मान”, “हिंदी काव्य रत्न”, “लिटरेरी एक्सिलेंस अवॉर्ड” और “ग़ज़ल शहज़ादी” जैसे ख़िताब भी मिल चुके हैं। उत्तराखंडी संगीत और संस्कृति के प्रचार प्रसार के लिए भी उन्हें कई सम्मान प्राप्त हुए हैं।

अपने असाधारण हुनर के चलते वह बॉलीवुड में भी अपनी खास जगह बना चुकी हैं। डॉ. मेघल कई टीवी शोज़ में भी नज़र आती हैं। वह उत्तराखंड की पहली और एकमात्र महिला गायिका, गीतकार और संगीतकार हैं। छात्र जीवन में ही मेघल ने एक फ़िल्म में गीत लिखे एवं कंपोज किए और उन गीतों को साधना सरगम ने आवाज़ दी। इसके लिए मेघल को ‘सर्वश्रेष्ठ गीतकार’ का भी सम्मान मिला। इस फ़िल्म में उनका नृत्य भी सराहा गया। उसके बाद तो उन्होंने अनगिनत फिल्म एवं म्यूजिक एलबम्स किये। वह उत्तराखंड की पहली गायिका हैं जिनके सोलो एलबम्स सर्वप्रथम मार्केट में आए। पहाड़ी संगीत को नया आयाम देते हुए इन्होंने पहाड़ी पॉप म्यूजिक को जन्म दिया। एक नया प्रयोग किया जो बहुत सफल रहा और अब कई कलाकार इनको फ़ॉलो करते नज़र आ रहे हैं। हर क्षेत्र में कई ऐतिहासिक उपलब्धियां डॉ. मेघल ने हासिल की हैं।

उनकी हिंदी, अंग्रेज़ी एवं कुमाऊँनी भाषाओं में लिखी रचनाएं विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में निरंतर प्रकाशित होती रहती हैं। अंग्रेज़ी साहित्य में पीएचडी करने के बाद डॉ. मेघल बतौर प्रोफेसर विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं। विभिन्न भाषाओं में उनके कविता संकलन एवं नारीवाद पर पुस्तकें भी प्रकाशित हुई हैं, जिन्हें अमेरिका से फाइव स्टार की रेटिंग्स प्राप्त हुई हैं। उनकी कृतियों का विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय भाषाओं में अनुवाद हो चुका है। पत्रकारिता और लेखन के क्षेत्र में भी वह कई हिंदी और अंग्रेज़ी पत्र-पत्रिकाओं को अपनी सेवाएं दे रही हैं। मेघल को “साहित्य प्रतिभा सम्मान” का ख़िताब भी हासिल है।

हिंदी, अंग्रेज़ी और कुमाऊँनी भाषा में सृजन करने वाली समर्पित समाज सेविका डॉ. मेघल ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ को अपने जीवन का मूल-मंत्र मानती हैं। समाज के उत्थान के लिए वह निरंतर रचनात्मक कार्य करती रहती हैं। वह निर्धन बच्चों एवं युवाओं को विशेष रूप से बालिकाओं को प्रशिक्षण देतीं हैं और प्रतिभा प्रदर्शन के लिए मंच भी प्रदान करती है। अपने इस अनोखे कार्य से अपने प्रशंसकों और फैंस के हृदय को छू लेती हैं। इन्हें “यूथ आइकॉन” का ख़िताब भी हासिल है। नैनीताल में जन्मी और पली बढ़ी डॉ. मेघल के प्रशंसकों को उनके आने वाले गीतों और पुस्तकों की प्रतीक्षा रहती है। अपने कार्यों से निरंतर देश का नाम विश्वपटल पर रौशन करने वाली डॉ. मेघल बधाई की पात्र हैं।

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