कौन है सचिन वजे?
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) के ‘ब्लू आई परसन’ कहे जाने वाले एनकाउंटर स्पेशलिस्ट सचिन वजे (Sachin Vaze) को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने एंटीलिया केस में 12 घंटे से अधिक समय तक पूछताछ करने के बाद शनिवार (13 मार्च 2021) देर रात गिरफ़्तार कर लिया। वजे दक्षिण मुंबई में कंबाला हिल स्थित एनआईए के दफ़्तर में सुबह क़रीब साढ़े 11 बजे अपना बयान दर्ज कराने के लिए पहुंचे थे।
एनआईए के प्रवक्ता ने कहा कि सचिन वाजे को रात 11 बजकर 50 मिनट पर एनआईए ने केस आरसी/01/2021/एनआईए/एमयूएम के तहत मामला दर्ज करते हुए आईपीसी की धाराओं 286, 465, 473, 506 (2), 120 बी और विस्फोटक सामग्री अधिनियम की धारा 4 (ए)(बी)(आई) के तहत गिरफ़्तार कर लिया गया। कार्माइकल रोड स्थित अंबानी के आवास के पास खड़ी एक एसयूवी (स्कॉर्पियो) में 25 फरवरी को जिलेटिन की कुछ छड़ें और एक धमकी भरा पत्र मिला था। इससे पहले सचिन वजे ने गिरफ़्तारी के डर से अदालत से अग्रिम ज़मानत की अपील की थी, लेकिन उन्हें अग्रिम ज़मानत नहीं मिल सकी थी।
इस बीच सचिन वजे ने अपने वॉट्सऐप पर बेहद इमोशनल मेसेज लिखा है। वजे ने लिखा, “इतिहास एक बार फिर से दोहराया जाएगा। मेरे सहयोगी अधिकारी मुझे ग़लत तरीके से फंसाने में जुटे हैं। हालांकि पहले की अपेक्षा इस बार हालात अलग हैं। तब मेरे पास 17 साल की आशा थी, संयम, ज़िंदगी और नौकरी भी थी। लेकिन अब मेरे पास ना तो 17 साल की ज़िंदगी है और ना ही नौकरी और धीरज। मुझे लगता है कि दुनिया से दूर जाने का वक़्त पास आ गया है।”
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ठाणे के कारोबारी मनसुख हिरेन हत्याकांड ((Mansukh Hiren Murder Case) में फंसे मुंबई पुलिस के विवादास्पद एनकाउंटर स्पेशलिस्ट सचिन वजे ने ख्वाजा यूनुस (Khwaza Yunus Case) मामले में हुई अपनी गिरफ्तारी का जिक्र किया है। उन्होंने कहा कि इस मामले में अभी तक कोई नतीजा नहीं आया है। आपको बता इस मामले में फंसने की वजह से उन्हें 16 साल तक पुलिस फ़ोर्स से बाहर रहना पड़ा था। अब दोबारा वापसी के बाद वो विवादों में फंसते हुए नज़र आ रहे हैं।
पिछले कई दिनों से चर्चा में चल रहे वजे इससे पहले रिपब्लिक टीवी के हेड पत्रकार अर्णब गोस्वामी की गिरफ़्तारी के जुड़े बहुचर्चित मामले को लेकर भी काफी चर्चा में थे। 9 मार्च को महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के पुणे के कारोबारी मनसुख हिरेन की संदिग्ध मौत के लिए उन्हें ज़िम्मेदार ठहराए जाने के बाद महाराष्ट्र सरकार ने क्राइम ब्रांच से उनको हटा दिया गया था।
जन्म 22 फरवरी 1972 को कोल्हापुर में जन्मे सहायक पुलिस इंस्पेक्टर सचिन वजे 1990 में बतौर पुलिस अधिकारी महाराष्ट्र पुलिस में शामिल हुए। उनके पुलिस करियर की शुरुआत गढ़चिरौली जैसे नक्सल प्रभावित इलाके से हुई। वह मुंबई पुलिस के क्राइम इंटेलीजेंस यूनिट (सीआईयू) में एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा, प्रफुल्ल भोसले, रवींद्रे आंग्रे, विजय सालास्कर और दयानंद नायक जैसे तेजतर्रार पुलिस अधिकारियों के साथ एनकाउंटर स्क्वॉड का हिस्सा रहे। 1990 के दशक में टाइम मैगज़ीन ने एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा, प्रफुल्ल भोसले, रवींद्रे आंग्रे, विजय सालास्कर और दयानंद नायक को ‘मुंबईज़ डर्टी हैरीज़’ कहा था।
साल 1990 बैच के पुलिस अधिकारी वजे अपने कार्यकाल के दौरान लगभग 63 मुठभेड़ों में शामिल रहे, जिसमें अंडरवर्ल्ड से जुड़े कई कुख्यात बदमाशों को मुठभेड़ में मारा गया। सचिन बजे ने मुंबई आतंकवादी हमले में पकड़े गए पाकिस्तानी आतंकी मोहम्मद आमिर अजमल कसाब का पूछताछ करने वाला बहुचर्चित वीडियो न्यूज़ टैनल टीवी9 को दिया था। कसाब से पूछताछ का वह वीडियो टीवी9 पर दिखाए जाने के बाद वायरल हो गया था। इतना ही नहीं सचिन ने लेखन में भी हाथ आजमाया।
सचिन वजे ने 26/11 के मुंबई हमले पर मराठी में ‘जिंकून हरलेली लड़ाई’ (हिंदा में ‘हारी हुई लड़ाई जीतना’) नामक किताब भी लिखी थी। उन्होंने मुंबई आतंकी हमले के सूत्राधार आतंकवादी डेविड कोलमैन हेडली पर भी ‘द स्कॉउट – द डिफिनिटिव अकाउंट ऑफ़ डेविड हेडली’ नाम से एक किताब लिखी। इसके बाद उन्होंने 2012 में बहुचर्चित शीना बोरा हत्याकांड पर भी ‘शीना बोरा – द मर्डर दैड शॉक्ड इंडिया’ शीर्षक वाली एक पुस्तक लिखी। कहा जाता है कि सचिन वजे ने मुंबई के अंडरवर्ल्ड इतिहास पर कई किताबें लिखने वाले हुसैन जैदी, जैसन बुर्के और अड्रियन लेवी को बहुत सारी जानकारियां दीं।
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दिसंबर 2002 में घाटकोपर इलाके में बम विस्फोट की घटना हुई थी। बम विस्फोट मामले में महाराष्ट्र के परभणी के रहने वाले 27 वर्षीय सॉफ्टवेयर इंजीनियर ख्वाजा यूनुस को हिरासत में लिया गया था। ख्वाजा यूनुस दुबई में काम करता था। 2003 में पुलिस ने कहा कि औरंगाबाद ले जाते समय यूनुस पुलिस हिरास से फरार हो गया। इस घटना की सीआईडी जांच की गई, जिसमें खुलासा हुआ कि ख्वाजा की मौत तो पुलिस हिरासत में ही हो गई थी। इसके बाद 2004 में सचिन वजे को 17 अन्य पुलिसकर्मियों के साथ निलंबित कर दिया गया था। फिर 2004 में सबूत मिटाने के आरोप में उनकी गिरफ्तारी भी हुई।
सचिन वजे ने साइबर क्राइम और जाली नोटों से भी जुड़े कई बड़े केस डिटेक्ट किए। उनको उनके तकनीकी ज्ञान के लिए भी जाना जाता है। तकनीक पर अच्छी पकड़ होने के कारण उन्होंने लालबिहारी नामक नेटवर्किंग साइट भी शुरू की। उन्होंने एक ऐप भी बनाया था। वह एक एनजीओ सपोर्ट से भी जुड़े रहे। इस एनजीओ का काम जरूरतमंद लोगों को कानूनी मदद करना है। सचिन वजे ने 2008 में पुलिस की नौकरी से इस्तीफा दे दिया था। वजे का इस्तीफा 12 साल गुजर जाने पर भी अब तक स्वीकार नहीं किया गया था। वर्ष 2008 में सचिन वजे शिवसेना में शामिल हो गए। तभी से उन्हें मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का बहुत क़रीबी माना जाता रहा है।
उद्धव ठाकरे के कार्यकाल में 2020 में एक बार फिर सचिन वजे को महाराष्ट्र पुलिस में शामिल करने की कवायद शुरू हुई। जून 2020 में उन्हें पुलिस सेवा में बहाल कर दिया गया और बताया गया कि उनका इस्तीफ़ा मंजूर नहीं किया गया ता। वर्दी पहनते ही वे एक बार फिर एक्शन में दिखे। महाराष्ट्र सरकार ने उन्हें टीआरपी घोटाले की जांच टीम का प्रमुख बना दिया। कारोबारी अनवय नाईक की आत्महत्या के मामले की जांच करने वाली रायगड़ पुलिस की टीम के साथ सचिन वजे भी अर्नब गोस्वामी के घर गए थे और उन्हें घसीटते हुए पुलिस स्टेशन ले गए थे। उन्होंने न सिर्फ अर्णब गोस्वामी की गिरफ्तारी की थी, बल्कि जांच की ज़िम्मेदारी भी उन्हीं को सौंपी गई थी।
बहरहाल इनकाउंटर स्पेशलिस्ट इंस्पेक्टर सचिन वजे एक बार फिर चर्चा में हैं। उन पर एक बार फिर सबूत मिटाने के साथ ही एक ‘संदिग्ध हत्या’ में शामिल होने का आरोप लगा है। यह मामला उस स्कॉर्पियो कार के ठाणे में रहने वाले मालिक मनसुख हिरेन से जुड़ा हुआ है, जो भारत के शीर्ष उद्योगपति मुकेश अंबानी के आवास ‘एंटीलिया’ के बाहर मिली विस्फोटकों वाली कार से जुड़ा हुआ है।
हिरेन ने अपनी कार की चोरी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। हिरेन की पत्नी विमला एम हिरेन का आरोप है कि वजे उनके पति के खून में शामिल हैं। उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया में 25 फरवरी को मिले विस्फोटक के साथ एक स्कॉर्पियो कार भी मिली थी। जिसकी जांचराष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की टीम कर रही है। इस दौरान सीसीटीवी फुटेज भी सामने आया था। जो स्कॉर्पियो पुलिस को मिली थी, वह ठाणे के ऑटोमोबाइल स्पेयर पार्ट्स डीलर मनसुख हिरेन की थी और 17 फरवरी को चोरी हो गई थी।
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