नई जीन थेरिपी से कम होगा कैंसर का खतरा

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कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी से जूझ रहे लोगों के लिए राहत देने वाली ख़बर अमेरिका से आई है। ‘जर्नल साइंसटिफिक रिपोर्ट्स’ में छपी रिपोर्ट के मुताबिक़, अमेरिकी वैज्ञानिकों ने एक नई जीन थेरेपी विकसित की है जिसकी मदद से कैंसर सेल्स के विकास को कम करने में मदद मिलेगी। यह अनोखी विधि है लेकिन इसमें जीन थेरेपी के दूसरे प्रभावों का ख़तरा है। जीन थेरेपी में जेनेटिक बीमारियों से लड़ने की क्षमता है। इसमें खराब जीनों को मरम्मत वाले जीनों से बदला जाता है।

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इसके नैदानिक परीक्षणों में यह संकेत मिलता है, लेकिन इससे जीन की लंबी समय तक काम करने और सुरक्षा के मुद्दे पर क्रियाविधि में कठिनाई आती है। निष्कर्षो को एक स्टेम सेल जीन थेरेपी के लिए प्रयोग किया गया, जिसका लक्ष्य नवजात बच्चों में जीवन के लिए खतरनाक प्रतिरक्षा की कमी के उपचार में करना था। इसे सीवीयर कंबाइंड इम्यूनोडिफिसियंसी (एससीआईडी-एक्स1) के नाम से जानते है। इसे ‘बॉय इन द बबल सिंड्रोम’ भी कहा जाता है, यह एक तरह का आनुवांशिक विकृति है जिसकी वजह से संक्रमण वाली बीमारियों का खतरा होता है।

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वाशिंगटन स्टेट विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफे सर ग्रांट ट्रोबिज ने कहा, “हमारा लक्ष्य एससीआईडी-एक्स मरीजों और उनके परिवार के लिए एक सुरक्षित और प्रभावी थेरेपी विकसित करना है।” शोधकर्ताओं ने एक फोमी रिट्रोवायरस से एक वेक्टर विकसित किया। यह जीन थेरेपी की एक प्राकृतिक पसंद है, क्योंकि वे एक मेजबान जीनोम में जीन को प्रवेश कराने से कार्य करती है। शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि यह थेरेपी नैदानिक परीक्षण के लिए पांच सालों के भीतर तैयार हो जाएगी। इसके नतीजे पत्रिका ‘जर्नल साइंसटिफिक रिपोर्ट्स’ में प्रकाशित किए गए है।

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दरअसल, सेल्स और टिश्यूज़ में किसी जीन की प्रवेश कराकर किसी बीमारी का उपचार करना जीन थेरेपी है, जैसे कि जेनेटिक डिसीज़ ठीक करने के लिए उसका कारण बनने वाले किसी घातक उत्परिवर्ती एलील को किसी क्रियाशील जीन से रिप्लेस करना। हालांकि यह विवादास्पद है, लेकिन जीन थेरेपी से किसी व्यक्ति का जीन इक्वैशन और वर्क बदल कर उसमें वांछित लक्ष्य की दिशा में मनचाहे बदलाव लाए जा सकते और इससे मानव का जेनेटिक विकास किया जा सकता है। यद्यपि यह तकनीक अपनी प्रारंभिक अवस्था में है, इसके प्रयोग में कुछ सफलता प्राप्त हुई है और विज्ञान के क्षेत्र में इसने समस्याओं के कुछ नए और प्रभावी समाधान दिए हैं, जिनकी वजह से जीन थेरेपी मुख्यधारा की चिकित्सा बनती जा रही है। प्रतिसंवेदी उपचार सिर्फ़ और सिर्फ़ जीन थेरेपी नहीं है, बल्कि ये जेनेटिक-मध्यस्थता से चिकित्सा की पद्धति है जिसे अक्सर दूसरे तरीक़ों के साथ प्रयोग किया जाता है।

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