अलविदा-अलविदा, अलविदा ट्वेंटी-ट्वेंटी,
कोरोना लेके आया, कर दिया सेंटी-सेंटी।
करोड़ों हुए बीमार, लाखों को मार डाला,
संपूर्ण साल करता रहा, बबली बंटी-बंटी।
कोई क्वारंटीन रहा, कोई रहा घर में क़ैद,
खांसना-छीकना तक, हो गया एंटी-एंटी।
तुम जैसा ख़लनायक, कोई साल ना रहा,
कोई थाली पीटा, कोई बजाया घंटी-घंटी।
रोज़ी-रोटी काम-काज, सब किया चौपट,
कोई भी ना याद करेगा, तुझे ट्वेंटी-ट्वेंटी।
-हरिगोविंद विश्वकर्मा
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