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Literary Landscape

Fictions, Poems, Short stories, Satires ETC

कहानी – हे राम!

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हरिगोविंद विश्वकर्मा कोई रो रहा है। –कौन है? क्यों रो रहा है? किसके लिए रो रहा है? मैं ख़ुद से सवाल करता हूँ। अपने दिमाग़ पर...

व्यंग्य – मी पोलिस कॉन्स्टेबल न.म. पांडुरंग बोलतोय!

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हरिगोविंद विश्वकर्मा 21वीं सदी का मुंबई पुलिस का एक पुलिस स्टेशन। आधुनिक युग की नवीनत संचार सुविधाओं से सज्ज। दिन का समय। साढ़े तीन बजे का...

कहानी – एक बिगड़ी हुई लड़की

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हरिगोविंद विश्वकर्मा ये कैसी नज़र से देख रही थी तुम मुझे। इस तरह की नज़र तो तुमने कभी मुझ पर डाली ही नहीं। ये आज...

हिप-हिप हुर्रे – अब मुंबई पुलिस मुझसे पूछताछ नहीं कर सकेगी!

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हरिगोविंद विश्वकर्मा मैं पिछले दो महीने से भयानक टेंशन में था। मेरे टेंशन की वजह चीन का कोरोना वाइरस नहीं था। उसे तो मैंने चित...

कहानी – डू यू लव मी?

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हरिगोविंद विश्वकर्मा -डू यू लव मी? यही तो लिखा था तुमने काग़ज़ के उस टुकड़े पर। अपने हाथ से। और काग़ज़ को मोड़कर मुझे दे दिया। और...

नेताजी, एक इंटरव्यू दे दीजिए प्लीज!

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हरिगोविंद विश्वकर्मा हे नेताजी आप महान हैं। देशवासियों के भाग्यविधाता हैं। भारत के इतिहास में आप जैसा करिश्माई नेता न तो कभी हुआ था, न...

कहानी – अनकहा

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हरिगोविंद विश्वकर्मा अचानक नींद टूटे गई। कोई आधा घंटा पहले। कोई सपना देख रही थी मैं। बालकनी में कौवे ने आकर कांव-कांव शुरू कर दिया।...

कहानी – बेवफा

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हरिगोविंद विश्वकर्मा उस रोचक लव स्टोरी का शायद आज क्लाइमेक्स था। डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में उस बहुचर्चित प्रेम कहानी के मुक़दमे की सुनवाई चल रही थी।...

कहानी – हां वेरा तुम!

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हरिगोविंद विश्वकर्मा प्लेटफ़ॉर्म पर काफ़ी चहल-पहल थी। मैं तुम्हें तलाशता हुआ भागा जा रहा था। हर चेहरे को बग़ौर देखता हुआ। एक काया तुम्हारी जैसी...

व्यंग्य – ‘वो’ वाली दुकान

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हरिगोविंद विश्वकर्मा वह मुस्करा रहा था। मुस्करा ही नहीं रहा था, बल्कि हंस भी रहा था। बहुत ख़ुश लग रहा था। ऐसा लग रहा था,...