Home Poem

Poem

All poems, ghazal etc.

ग़ज़ल- गुज़र ही गया वो लम्हा ख़्वाब सा

0
ग़ज़ल गुज़र ही गया वो लम्हा ख़्वाब सा फिर लगता है क्यों मुझे पास सा। बड़ा गुलज़ार था आशियाना यहां अब लगता है दिन भी उदास सा। तू क्या...

ग़ज़ल – कैसी है ज़िंदगी…

0
बेतरतीब सा सफ़र है टुकड़ों में ज़िंदगी देखना अभी कितनी बंटती है ज़िदगी। लाख कोशिश की पर समेट नहीं पाया हर क़दम पर देखो बिखरी है ज़िंदगी। सोचा...

वक्त नहीं है

0
वक़्त नहीं है आपस में लड़ने का वक़्त नहीं है, ग़लतियां गिनाने का वक़्त नहीं है। मोहब्बत बांटें जब तक है जीवन नफ़रत फैलाने का वक़्त नहीं है। वो...

वक्त मुश्किल है जरूर मगर गुजर जाएगा

0
वक़्त मुश्किल है ज़रूर मगर गुज़र जाएगा, मनहूस सा ये रोग हो कर बेअसर आएगा। मुस्कराहट भरे दिन आएंगे फिर से वापस, मातम-रूदन का ये सिलसिला ठहर...

श्मशान बन जाएगा बड़ी जल्दी

0
श्मशान बन जाएगा बड़ी जल्दी चीखना-चिल्लाना थम जाएगा बड़ी जल्दी अभी तड़प रहा है मर जाएगा बड़ी जल्दी। किसी काम की भी नहीं थी उसकी ज़िंदगी इलाज नहीं...

कुर्सी से उतर क्यों नहीं जाते!

0
कुर्सी से उतर क्यों नहीं जाते! लाशों का अंबार देखकर, तुम सिहर क्यों नहीं जाते, कुछ हो नहीं रहा तो कुर्सी से उतर क्यों नहीं जाते। यहां...

इकबालिया बयान

0
इक़बालिया बयान हां, माई लार्ड कबूल करता हूं मैं भरी अदालत में मैंने की है हत्या एक निहत्थे वृद्ध की ऐसे इंसान की जो था घनघोर विरोधी हर तरह की हिंसा का जो...

रघुकुल की मर्यादा

0
रघुकुल की मर्यादा चिंतित मुद्रा में बैठे थे अयोध्या के राजा राम उनके पास थीं अयोध्या की पटरानी सीता सहसा सीता से मुखातिब हुए राम धीरे से बोले- सीते! एक धोबी ने मारा...

कविता – अवांछित संतान!

0
अवांछित संतान! अपने माता-पिता की मैं दूसरी संतान हूं लेकिन लड़की हूं लड़की उत्तराधिकारी नहीं होती उससे वंश नहीं चलता इसलिए, मैं अवांछित संतान हूं! मेरे माता-पिता की पहली संतान भी लड़की है और अब दूसरी...

ओम जय जगदीश हरे!

0
ओम जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे। भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥ ओम जय जगदीश हरे॥ जो ध्यावे फल पावे, दुःख बिनसे मन...