ग़ज़ल
हैरतअंगेज़ अल्फ़ाज़ पुस्तक मा लिखा था,
कहीं कनक को धतूरा कहीं सोना लिखा था।
चर्चा कहीं थी लाखों-करोड़ों के बजट की,
कहीं पे बच्चों को भूख से मरना लिखा था।
ज़िक्र था बुद्ध, सुकरात महान आदमी थे,
कहीं आदमी को केवल खिलौना लिखा था।
स्वास्थ के लिए हंसना है बहुत ही ज़रूरी,
कहीं किसी को ज़िंदगी भर रोना लिखा था।
द्रौपदी को दुशासन ने बेहया करना चाहा,
कहीं लाज को औरत का गहना लिखा था।
-हरिगोविंद विश्वकर्मा