भारतीय गणतंत्र का इतिहास (History Of Indian Republic)

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आज समूचा भारत 73वें गणतंत्र दिवस समारोह मना रहा है। आज ही के दिन 1950 में देश का संविधान लागू हुआ था और भारत गणतंत्र बना था। इसीलिए हर साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। देश भर के सभी स्कूल, ऑफिस, कॉलेज और अन्य संस्थानों में यह दिन बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है। वहीं, रायसीना हिल यानी राष्ट्रपति भवन के सामने राजपथ पर भी भारतीय सेना के तीनों अंग- थल सेना, वायु सेना और नौसेना की विशेष झांकी निकाली जाती है।

26 जनवरी 1950 को अंग्रेजों द्वारा बनाए गए गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट 1935 की जगह भारत का संविधान लागू हुआ था। भारत का संविधान वैसे तो 26 नवंबर 1949 को ही बनकर तैयार हो गया था और इसे संविधान सभा की मंजूरी भी मिल गई थी। लेकिन इसे आज के दिन यानी 26 जनवरी को लागू किया गया था। इसीलिए आज के दिन स्कूल, संस्थानों आदि में बच्चों और शिक्षकों की ओर से कई भाषण और निबंध आदि के भी कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं।

भारत के गणतंत्र बनने की घोषणा देश के आखिरी गवर्नर-जनरल सी. राजगोपालाचारी ने की थी। भारत 26 जनवरी 1950 को सुबह 10 बजकर 18 मिनट पर गणतंत्र बना था और इसके 6 मिनट बाद 10:24 मिनट पर डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने देश के पहले राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी। पहले गणतंत्र दिवस समारोह में राजेंद्र प्रसाद बग्घी में बैठकर गणतंत्र दिवस के समारोह में पहुंचे थे और 21 तोपों की सलामी के साथ तिरंगा फहराया। उन्होंने हिंदी और इंग्लिश दोनों भाषाओं में भाषण दिया था। उसके बाद से हर साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस को राष्ट्रीय उत्सव के रूप में मनाया जाता है।

26 जनवरी 1952 को बिना विदेशी मेहमान के रिपब्लिक डे का आयोजन किया गया था। इसी साल पहली बार देश में परेड में ट्रैक्टर रैली निकाली गई थी। 1955 में 26 जनवरी को पहली बार राजपथ पर गणतंत्र दिवस की परेड का आयोजन किया गया था। अगले साल पहली बार राजपथ में होने वाली परेड में हाथी और घोड़ों को शामिल किया गया था। इसी तरह 1963 में गणतंत्र दिवस में पहली बार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की टुकड़ी शामिल हुई थी और आरएसएस के 3 हजार से अधिक कार्यकर्ताओं ने राजपथ पर परेड की थी।

पाकिस्तान के दो टुकड़े करने के दो साल बाद 1973 में 26 जनवरी को पहली बार लोगों के बीच जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल का प्रदर्शन किया गया था, क्योंकि पाकिस्तान और भारत के बीच रिश्ते बेहद तल्ख थे। इसलिए भारत ने 1973 से राजपथ पर अपना शक्ति प्रदर्शन करना शुरू किया था। 26 जनवरी 2008 को प्रथम महिला राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने सलामी ली थी। भारतीय गणतंत्र का महिला और पुरुषों दोनों को दिया गया बराबरी के अधिकार का सर्वोच्च प्रदर्शन था।

2016 में पहली बार गणतंत्र दिवस परेड में विदेशी सैनिकों की टुकड़ी ने हिस्सा लिया था। फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांकोइस होलांदे मुख्य अतिथि थे और वह अपने साथ एक सैन्य टुकड़ी भी लेकर आये थे। जिसने भारतीय सेनाओं के साथ ही राजपथ पर मार्च किया था। 26 जनवरी 2021 को देश में पहली बार राजपथ पर केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख की झांकी दिखाई गई थी। भारत सरकार द्वारा धारा 370 खत्म करने के बाद लद्दाख जम्मू कश्मीर से अलग हो गया था और उसे एक स्वतंत्र केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा मिला था। उसी के बाद उसने राजपथ पर अपने राज्य की झांकी का प्रदर्शन किया था।


देश 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ था। इससे एक साल पहले यानी 9 दिसंबर 1946 को तय हुआ कि भारत का अपना संविधान होगा और इसके लिए संविधान सभा बनाई गई थी। 2 साल 11 महीने और 18 दिन तक चली मैराथन बैठकों के बाद संविधान बना और 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा ने इसे मंजूरी दी, जो 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ।

सच पूछिए तो गणतंत्र दिवस 1930 से मनाया जा रहा है। दरअसल, सन 1929 के दिसंबर में लाहौर (अब पाकिस्तान में) में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अधिवेशन पंडित जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में हुआ जिसमें प्रस्ताव पारित कर इस बात की घोषणा की गई कि यदि अंग्रेज सरकार 26 जनवरी 1930 तक भारत को स्वायत्त उपनिवेश (डोमीनियन) का पद नहीं प्रदान करेगी, जिसके तहत भारत ब्रिटिश साम्राज्य में ही स्वशासित एकाई बन जाता, तो भारत अपने को पूर्णतः स्वतंत्र घोषित कर देगा।

26 जनवरी 1930 आकर गुज़र गया। अंग्रेज सरकार ने कुछ नहीं किया तब कांग्रेस ने उस दिन भारत पूर्ण स्वतंत्रता के संकल्प की घोषणा कर दी और अपना सक्रिय आंदोलन आरंभ कर दिया। कांग्रेस ने 26 जनवरी 1930 को पहली बार पूर्ण स्वराज या स्वतंत्रता दिवस मनाया गया था। बाद में उस दिन से 1947 में स्वतंत्रता प्राप्त होने तक 26 जनवरी गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता रहा। आजा़दी मिलने के बाद 15 अगस्त को भारत के स्वतंत्रता दिवस के रूप में स्वीकार किया गया। भारत के आज़ाद हो जाने के बाद संविधान सभा की घोषणा हुई। 9 दिसंबर 1947 को संविधान सभा का गठन किया गया, जो 2 साल 11 महीने 18 दिन में पूरा हो गया।

संविधान सभा के सदस्य भारत के राज्यों की विधान सभाओं के निर्वाचित सदस्यों के द्वारा चुने गए थे। डॉ. भीमराव आंबेडकर, जवाहरलाल नेहरू, डॉ. राजेंद्र प्रसाद, सरदार वल्लभभाई पटेल और मौलाना अबुल कलाम आजाद समेत इस सभा में कुल 308 सदस्य थे। संविधान निर्माण में कुल 22 समितियां थी जिसमें प्रारूप समिति (ड्राफ्टिंग कमेटी) सबसे प्रमुख एवं महत्त्वपूर्ण समिति थी और इस समिति का कार्य संपूर्ण ‘संविधान लिखना’ था। प्रारूप समिति के अध्यक्ष विधिवेत्ता डॉ. आंबेडकर थे। प्रारूप समिति ने और उसमें विशेष रूप से डॉ. आंबेडकर जी ने भारतीय संविधान का निर्माण किया और संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र प्रसाद को 26 नवंबर 1949 को भारत संविधान सुपूर्द किया। इसलिए 26 नवंबर दिवस को भारत में संविधान दिवस के रूप में प्रति वर्ष मनाया जाता है।

संविधान सभा ने संविधान निर्माण के समय कुल 114 दिन बैठक की। इसकी बैठकों में प्रेस और जनता को भाग लेने की स्वतन्त्रता थी। अनेक सुधारों और बदलावों के बाद सभा के कुल 308 सदस्यों ने 24 जनवरी 1950 को संविधान की दो हस्तलिखित कॉपियों पर हस्ताक्षर किए। इसके दो दिन बाद संविधान 26 जनवरी को यह देश भर में लागू हो गया। 26 जनवरी का महत्व बनाए रखने के लिए इसी दिन संविधान निर्मात्री सभा (कांस्टीट्यूएंट असेंबली) द्वारा स्वीकृत संविधान में भारत के गणतंत्र स्वरूप को मान्यता प्रदान की गई।

भारतीय संविधान के विभिन्न प्रावधान इन देशों से लिए गए हैं….
ब्रिटेन: संसदीय प्रणाली, विधि निर्माण, एकल नागरिकता
अमेरीका: न्यायिक, स्वतंत्रता का अधिकार और मौलिक अधिकार
‪जर्मनी: आपातकाल का सिद्धांत
‪फ्रांस: गणत्रंतात्मक शासन व्यवस्था
‪कनाडा: राज्यों में शक्ति का विभाजन
आयरलैंड: नीति निदेशक तत्व
‪ऑस्ट्रेलिया: समवर्ती सूची
‪दक्षिणअफ्रीका: संविधान संशोधन की प्रक्रिया
‪रूस: मूल कर्तव्य

लेखक – हरिगोविंद विश्वकर्मा