रघुकुल की मर्यादा

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रघुकुल की मर्यादा

चिंतित मुद्रा में बैठे थे
अयोध्या के राजा राम
उनके पास थीं
अयोध्या की पटरानी सीता
सहसा सीता से
मुखातिब हुए राम
धीरे से बोले-
सीते!
एक धोबी ने मारा है ताना हमें
उछाला है कीचड़
रघुकुल की मर्यादा पर
हमारे कुल की मर्यादा की रक्षा
अब है तुम्हारे हाथ में
सीता तुरंत बोलीं-
आर्यपुत्र!
क्या करूं मैं
ताकि बची रहे मर्यादा
आपकी, आपके पूर्वजों की
राम ने बहुत राहत महसूस की
बड़ी झिझक के साथ बोले-
हे जनकनंदनी!
कठोर फ़ैसला लेना होगा हमें
मुझे करना होगा तुम्हारा परित्याग
अयोध्या छोड़कर तुम्हें
जाना होगा वन में
इसी से बचेंगी रघुकुल की मर्यादा
यही है हमारे पास एकमात्र विकल्प
सीता हंसने लगीं,
दृढ़तापूर्वक बोली-
हे रघुवंशी!
मेरे पास है एक और विकल्प
रघुकुल की मर्यादा की रक्षा का
मैं नारी हूं, वह भी गर्भवती
जंगल में होता है ख़तरा
नरभक्षी जानवरों का
वहशियों का
बलात्करियों का
अगर मेरे साथ हो गया कुछ अनर्थ
तब और मटियामेट हो जाएगी
रघुकुल की मर्यादा
मर्यादा पुरुषोत्तम राम की इज़्ज़त
मगर मुझे है प्यारी
अपने पति के कुल की मर्यादा
इसलिए, हे पति परमेश्वर!
करती हूं मैं,
आपका परित्याग
लांछन लगा है आप पर
सो छोड़ दीजिए
अयोध्या का सिंहासन
चले जाइए, वन में वापस
इस बार हमेशा के लिए
अयोध्या का राजपाट
संभाल लूंगी मैं
भरत, लक्ष्मण या शत्रुघ्न के साथ
मेरे शासन में भी
सुरक्षित रहेगी
अयोध्या की जनता
इससे केवल बची ही नहीं रहेगी
बल्कि
और बढ़ेगी रघुकुल की मर्यादा
और आने पाली पीढ़ियां
लेंगी आपसे प्रेरणा
सीखेंगी करना
महिलाओं का सम्मान

-हरिगोविंद विश्वकर्मा

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