चीनी कंपनियों को भारत से निकाल बाहर करो –  मारकंडे काटजू, 20 जवानों की शहादत पर देश में रोष

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लद्दाख (Ladakh) के गेलवान घाटी (Galwan Valley) में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीन के सैनिकों के साथ हुई झड़प में 20 भारतीय जवानों की शहादत पर अपनी प्रतिक्रिया में पूर्व न्यायाधीश मारकंडे काटजू (Markandey Katju) ने कहा कि चीन ने अब सारी सीमाएं पार कर दी हैं। लिहाज़ा, यह समय साहस दिखाने, चीन के उत्पादकों पर प्रतिबंध लगाने और चीनी कंपनियों को भारत से निकाल बाहर करने का सबसे उपयुक्त समय है। अपने ट्विट में जस्टिस काटजू ने कहा,”मोदीजी, 56 इंच का सीना दिखाइए और चीन के उत्पादकों पर प्रतिबंध लगा दीजिए तथा चीनी कंपनियों को भारत से निकाल बाहर कीजिए।”

जस्टिस काटजू ने कहा कि राजनीति समझने के लिए हमें पहले अर्थशास्त्र समझना होगा, तभी हम भारत-चीन संबंधों को समझ सकते हैं। देश को यह समझना होगा कि चीन अब समाजवादी देश नहीं रह गया है और वह अब एक पूंजीवादी देश है और अपनी सरप्लस पूंजी को खपाने के लिए वह आक्रामक विस्तारवादी साम्राज्यवाद के रास्ते पर चल पड़ा है और पूरी दुनिया के लिए बड़ा खतरा है। भारत सरकार को चाहिए कि वह चीनी कंपनियों को भारत से निकालकर बाहर करे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा है कि उनकी शहादत बेकार नहीं जाएगी। हमारे लिए देश की एकता और अखंडता सर्वोपरि है। भारत शांति चाहता है, लेकिन माकूल जवाब देने का सामर्थ रखते हैं। देश को इस बात को लेकर आश्वस्त रहना चाहिए। हमारे लिए देश की एकता और अखंडता सर्वोपरि है। भारत शांति चाहता है, लेकिन माकूल जवाब देने का सामर्थ रखते हैं। हमारे वीर शहीद मारते-मारते मरे हैं।

सैनिकों की शहादत के बाद पूरे देश में लोगों का खून खौल रहा है। हर देशवासी अचानक हुई इस घटना से हतप्रद है। इसलिए इस अप्रत्याशित घटना पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की जा रही है। केंद्र सरकार की तरफ से बनने वाले दिल्ली-मेरठ सेमी हाई स्पीड रेल कॉरिडोर का ठेका एक चीनी कंपनी शंघाई टनल इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड को देने का विरोध शुरू हो गया है। बताया जा रहा है कि सरकार इस ठेके को रद करने पर विचार कर रही है।

लद्दाख में हुई झड़प पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सबसे कठोर प्रतिक्रिया दी है। ट्विटर पर ट्विट किए गए अपने संदेश में राहुल गांधी ने कहा है, “प्रधानमंत्री मोदी मौन क्यों हैं? वह क्या छिपा रहे हैं? अब यह बर्दाश्त से बाहर हो रहा है। हमें जानने की आवश्यकता है कि लद्दाख में क्या हुआ? चीन ने हमारे सैनिकों की हत्या की गुस्ताखी कैसी की? हमारी ज़मीन पर क़ब्ज़ा कैरने की हिमाक़त कैसे की?”

कांग्रेस ने भी लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ ‘हिंसक टकराव’ में भारतीय जवानों की शहादत पर बहुत कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। पार्टी ने भारतीय सेना के एक अधिकारी और 19 जवानों के शहीद होने की घटना पर मंगलवार को इसे अस्वीकार्य बताया है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने चीनी सैनिकों के साथ झड़प में शहीद हुए जवानों के परिवार के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की है।

शिवसेना प्रवक्ता संजय राऊत ने ट्विट किया है, “चीन के मुंहजोरी को कब मिलेगा करारा जबाब? बिना गोली चले हमारे 20 जवान शहीद होते हैं। हमने क्या किया? चीन के कितने जवान मारे गये? चीन हमारे जमीन पर घुस गया है क्या? प्रधानमंत्रीजी इस संघर्ष के घड़ी में देश आपके साथ है, लेकिन सच क्या है? बोलो। कुछ तो बोलो। देश सच जानना चाहता है।”

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता और पूर्व रक्षा मंत्री शरद पवार ने लद्दाख में हुए ख़ूनी संघर्ष पर बेदह सधी हुई और परिपक्व प्रतिक्रिया दी है। शहीद हुए जवानों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए कहा है कि हमारे जवान देश की सरहद की सुरक्षा करने में पूरी तरह सक्षम हैं।

पत्रकार रहे फिल्मों के मशहूर पटकथा एवं संवाद लेखक संजय मासूम ने 20 जवानों की शहादत को बहुत मुश्किल इस घड़ी में पूरे देश से एकजुट होने का आह्वान किया है। सोसल मीडिया पर अपनी पोस्ट में संजय मासूम ने लिखा है, “मुश्किल… मुश्किल… मुश्किल वक़्त! सब कुछ भूलकर हमें खड़ा रहना होगा। देश के साथ… हो कर सख़्त…!!!!! ”

चीन पर नज़र रखने वाले कई राजनीतिक टीकाकार चीनी सेना का भारतीय सैनिकों पर धोखे से किया गया हमला प्रधानमत्री के लिए व्यक्तिगत आघात मान रहे हैं। लोगों का कहना है कि मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री रहते चार बार चीन गए। इसी तरह प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी पांच बार चीन का दौरा कर चुके हैं। पिछले छह साल के दौरान विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मोदी चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से 18 बार मिले और दोस्ती का वास्ता दिया। इसके बावजूद चीन ने 1962 की तरह भारत की पीठ में छुरा भोंप दिया।

वरिष्ठ पत्रकार मिलिंद खांडेकर ने अपने ट्विट में लिखा है, “भारत के प्रधानमंत्री और चीन के राष्ट्रपति 2014 के बाद 18 बार मिले यानी औसतन साल में तीन बार। भारत के प्रधानमंत्री पांच बार चीन गए, 70 साल में इतनी चीन यात्राएँ किसी प्रधानमंत्री ने नहीं की। फिर भी चीन ने धोखा दे दिया।”

राजनीतिक समीक्षक और आम आदमी पार्टी के पूर्व नेता आशुतोष ने मोदी और शी जिनपिंग की झूला झूलने वाली फोटो के साथ ट्विट किया है, “मोदी जब CM थे तब मनमोहन सिंह से पूछा था। अब देश पूछ रहा है, चीन को लाल आंख कब दिखाओगे मोदी जी?”

वरिष्ठ पत्रकार अजित अंजुम ने ट्विट किया है, “नेहरू की जिम्मेदारी तय करने की सुनियोजित और प्रायोजित कोशिशें शुरू हो गई है। 62 में हारे तो नेहरू की जिम्मेदारी। आज चीन हमारे सैनिकों को मारे तो सिर्फ सेना की जिम्मेदारी।” पत्रकार सीमा चिश्ती ने ट्विट किया है, “वास्तिवक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ कर्नल-रैंक के अधिकारी सहित 20 भारतीय सेना के जवानों की हत्या से दक्षिण ब्लॉक में काफी बेचैनी है। मोदी ने शी जिनपिंग से 18 बार मुलाकात की है।”

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