कोरोना से उबरने के बाद मीरारोड में हुई होली स्नेह सम्मेलन की बेहतरीन शाम

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संवाददाता
मुंबई। दो साल से अधिक समय तक कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण घर में रहने के बाद रंगों के महापर्व होली के अवसर पर मीरा रोड पूर्व में लोग शनिवार को एक खुशनुमा शाम के तब गवाह बने, जब होली स्नेह सम्मेलन का आयोजन हुआ जिसमे कवि सम्मेलन एवं मुशायरा हुआ। दर्शकों से खचाखच भरे सभागृह में कवि-कवयित्रियों, शायर-शायराओं ने अपनी बेहतरीन रचनाओं से समा बांध दिया।

सामाजिक, सांस्कृतिक एवं साहित्यिक संस्था स्वर-संगम फाउंडेशन की ओर से मीरा रोड के इंदिरा गांधी अस्पताल के विरुंगला केंद्र सभागृह में आयोजित रंगारंग कार्यक्रम के पहले चरण में गीत की प्रस्तुति हुई। डॉ. रमेश गुप्त ‘मिलन’ की अध्यक्षता में यह कार्यक्रम दो सत्र में हुआ। सुप्रसिद्ध गजल गायक दीपक खेर, पूनम विश्वकर्मा, पवन शर्मा, राजू विश्वकर्मा और सूरज सिंह चौहान ने अपने गीतों और गजलों से पहले सत्र को यादगार बना दिया। लोगों की तालियां बता रहीं थीं कि उनका श्रेष्ठ गायन पसंद किया गया।

दूसरे सत्र में कवि सम्मेलन एवं मुशायरा हुआ जिसमें एनबी सिंह नादान, डॉ मृदुल तिवारी ‘महक’, हरीश शर्मा यमदूत, मुस्त हसन अज़्म, प्रमोद कुश तन्हा, सुनील ओवाल, ज़ाकिर अहमद रहबर, पूनम विश्वकर्मा, सुमन उपाध्याय, चैतन्या कुमारी, इंदिरा हिरदानी, मनोज द्विवेदी, जवाहरलाल निर्झर, त्रिभुवन जायसवाल, आनंद पांडे, सिद्धार्थ द्विवेदी और श्रीराम शर्मा समेत पंद्रह से अधिक कवियों शायरों नें काव्यपाठ किया। सभी शायरों की रचनाएं सुनकर दर्शक दीर्घा में बैठे लोग झूम उठे। इस होली स्नेह सम्मेलन के प्रणेता स्वर संगम फाउंडेशन के चेयरमैन वरिष्ठ कवि हृदयेश मयंक और सचिव डॉ. हरि प्रसाद राय थे।

कवि सम्मेलन का सिलसिला डॉ. मृदुल तिवारी ‘महक’ की गाई स्वरचित सरस्वती वंदना से हुआ। जिसमें सभी शायरों ने एक से बढ़कर एक रचनाएं पेश की। जवाहरलाल निर्झर ने तो अपने होली लोकगीतों से लोगों लेकर गांव पहुंच गए। प्रमोद कुश तन्हा ने अपनी गजल “ईमान की बातें करते हो पगला गए हो क्या… वफ़ा की उम्मीद करते हो पगला गए हो क्या…” से आज के दौर की हककीत बयानी कर दी।

एनबी सिंह नादान ने हास्यरस से भरपूर शराब और शराबी के अंतरद्वंद पर लिखी अपनी गजल पेश करके सबको हंसा दिया। इसी तरह मुस्त हसन अज़्म और ज़ाकिर अहमद रहबर ने उम्दा ग़ज़लें और नज़्मे पेश की। सुमन उपाध्याय ने ‘प्रेम’ पर अपनी बेहतरीन रचना पेश की। इंदिरा हिरदानी अपनी रचना से आज के दौर की वास्तविकता से रूबरू करवाया।

लंबे चले मुशायरे का समापन पूनम विश्वकर्मा की गजल “आइए फिर से मुझे मुझसे मिलाने के लिए, ख़ुद से मिलने को बेक़रार हो गई हूं मैं…” से हुआ। कार्यक्रम के अंत में हृदयेश मयंक ने सभी कवियो, शायरों और श्रोताओं का आभार व्यक्त किया और संचालन नवोदित कवि सिद्धार्थ द्विवेदी ने किया। देर रात तक चले इस कार्यक्रम में वरिष्ठ उत्तर भारतीय नेता धर्मेंद्र चचुर्वेदी समेत बड़ी संख्या मीरा रोड के गणमान्य लोग मौजूद थे।

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