रामदेव का कोरोना की दवा बनाने का दावा, जांच करेगा आयुष मंत्रालय, बिक्री पर भी रोक

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चीन के वुहान से निकली वैश्विक महामारी कोरोना वायरस यानी कोविड 19 की वैक्सीन और दवा बनाने के लिए दुनिया भर के डॉक्टर अभी रिसर्च ही कर रहे हैं, लेकिन अभी तक किसी भी देश को कोरोना को ठीक करने विश्वसनीय दवा बनाने में सफलता नहीं मिली है, लेकिन योग गुरु बाबा रामदेव को कोरोना की दवा बनाने में सफलता मिल गई।

बाबा रामदेव ने कोरोना का इलाज करने वाली दवा खोजने का दावा किया और अपनी दवा का नाम कोरोनिल रखा है। इस दवा को योग गुरु ने 23 जून को विधिवत लॉन्च भी कर दिया। उन्होंने दवा की क़ीमत छह सौ रुपए तय की है। हालांकि आयुष मंत्रालय और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने उनके दावे से पल्ला झाड़ लिया है। आयुष मंत्रालय ने तो दवा का मेडिकल परीक्षण होने तक कोरोनिल के विज्ञापन और बिक्री पर  रोक लगा दी है।

योग गुरु का कहना है कि उनकी दवा ‘कोरोनिल’ से सात दिन के अंदर सौ फीसदी रोगी कोरोना निगेटिव हो गए। उन्होंने यह भई दावा किया कि कोरोनिल दवा का सौ फीसदी रिकवरी रेट है और डेथ रेट शून्य फीसदी है। बहरहाल, कोरोना वैश्विक महामारी के खिलाफ चल रही जंग को जीतने के रामदेव के दावे की आयुष मंत्रालय ने जांच करने का फ़ैसला किया है। रामदेव ने कहा कि जिस कोरोना की औषधि पूरा दुनिया खोज रही है। लेकिन कोरोना का इलाज करने वाले तत्व हमारे आसपास मौजूद आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों में अकूत मात्रा में उपलब्ध है। बस लोगों को इसकी पहचान करने की क्षमता नहीं है। यह औषधि कोरोना संक्रमण से बचाव तथा इसके उपचार दोनों में लाभकारी है। योग गुरु ने कहा, “दिव्य श्वासारि वटी, पतंजलि गिलोय घनवटी, पतंजलि तुलसी घनवटी एवं पतंजलि अश्वगंधा कैप्सूल की संयुक्त एवं उचित मात्रा तथा दिव्य अणु तेल के सहयोग से कोरोना को परास्त कर दिया है। इन्हीं गुणकारी औषधियों के आनुपातिक मिश्रण से कोरोना महामारी की औषधि ‘कोरोनिल’ और ‘श्वासारि वटी’ तैयार की गई है।”

स्वामी ने कहा, “हमनें इस दवा का रेंडमाइज्ड प्लेसिबो कंट्रोल्ड क्लिनिकल ट्रायल 100 कोरोना संक्रमित रोगियों पर किया जिसमें 3 दिन में 69 प्रतिशत मरीज़ कोरोना नेगेटिव पाए गए, जबकि 7 दिन में ही 100 प्रतिशत मरीज़ नेगेटिव हो गए। इसकी खुराक से एक भी मरीज़ की मृत्यु नहीं हुई। यह कोरोना के उपचार के लिए विश्व में आयुर्वेदिक औषधियों का पहला सफल क्लिनिकल ट्रायल है। 100 प्रतिशत रिकवरी तथा 0 प्रतिशत मृत्यु दर प्रमाणित करती है कि कोरोना का उपचार आयुर्वेद में ही संभव है।” कोरोनिल प्रत्येक जिले, तहसील व ब्लॉक में पतंजलि स्टोर पर शीघ्र ही उपलब्ध कराई जाएगी। रामदेव ने देशवासियों से अपील की कि कोरोना से बिल्कुल न डरें, 7 दिन धीरज धरें। कोरोना भाग जाएगा।

इस अवसर पर आचार्य बालकृष्ण जी महाराज ने कहा “संपूर्ण देशवासियों के भरोसे से पतंजलि नित नए इतिहास गढ़ रहा है। हमने ऋषियों के प्राचीन ज्ञान को विज्ञान-सम्मत बनाने में सफलता हासिल की है। क्योंकि जब तक औषधि की प्रामाणिकता सर्वमान्य नहीं होती तब तक उसका आंकलन सही प्रकार से नहीं किया जाता। इनमें, अश्वगंधा में निहित शक्तिशाली कंपाउंड विथेनॉन, गिलोय के मुख्य कंपोनेंट टिनोकॉर्डिसाइड, तुलसी में पाए जाने वाले स्कूटेलेरिन, तथा दिव्य श्वासारि वटी की अत्यंत प्रभावशाली जड़ी-बूटियों जैसे- काकड़ाशृंगी (Pistacia integerrima), रुदंती (Cressa cretica), अकरकरा (Anacyclus pyrethrum) के साथ-साथ सैकड़ों फाइटोकैमिकल्स या फाइटो मेटाबोलाइट्स तथा अनेक प्रभावशाली खनिजों का वैज्ञानिक सम्मिश्रण है, जो कोरोना के लाक्षणिक एवं संस्थानिक चिकित्सा से लेकर रोगी की इम्युनिटी बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।”

बालकृष्ण ने बताया कि इन औषधियों की क्लिनिकल केस स्टडी दिल्ली, अहमदाबाद और मेरठ समेत पूरे देश में की गई ओऔर रेंडमाइज्ड प्लेसिबो कंट्रोल्ड क्लिनिकल ट्रायल (RCT) को नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंस एंड रिसर्च के प्रो. (डॉ.) बलवीर एस. तोमर के नेतृत्व में किया गया। इसके लिए इंस्टीट्यूश्नल एथिक्स कमेटी के अप्रूवल से लेकर सीटीआरआई (क्लिनिकल ट्रायल रजिस्ट्री ऑफ़ इंडिया) के रजिस्ट्रेशन आदि और क्लिनिकल कंट्रोल ट्रायल की सभी अर्हताएं पूर्ण की गईं।

प्रो. (डॉ.) बलवीर तोमर ने कहा कि आयुर्वेद हमारे पूर्वज ऋषियों की अमूल्य देन है। हमारे वेद, पुराण, महर्षि चरक तथा महर्षि सुश्रुत की संहिताएं पूर्णतः वैज्ञानिक हैं। किंतु प्रमाण उपलब्ध न होने के कारण आयुर्वेद एलोपैथ से पिछड़ गया। पतंजलि आयुर्वेद को पूर्ण प्रामाणिकता उपलब्ध कराने हेतु कृतसंकल्प है।

उधर कोरोनिल के प्रचार पर सरकार ने तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। आयुष मंत्रालय ने पतंजलि को आदेश दिया है कि कोरोना की इस दवा का तब तक प्रचार नहीं करें जब तक कि इसे लेकर किए गए मेडिकल दावे की जांच पूरी नहीं हो जाती है। मंत्रालय ने पतंजलि से दवा की डीटेल मांगी है ताकि पतंजलि के दावे की जांच की सके। मंत्रालय ने कहा कि पतंजलि की कथित दवा, औषधि एवं चमत्कारिक उपचार (आपत्तिजनक विज्ञापन) कानून, 1954 के तहत विनियमित है।