चार साल बाद विश्वकर्मा समिति में एक यादगार शाम

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कृष्ण-रुक्मिणी-सुदामा के मिलन ने किया भाव-विह्वल

मुंबई, क़रीब चार साल बाद बुधवार की शाम विश्वकर्मा समिति, मुंबई (Vishwakarma Samiti Mumbai) के लिए बहुत यादगार शाम रही। समिति के एकीकरण के बाद संस्था का यह पहला कार्यक्रम था। विश्वकर्मा समाज की इस सबसे प्रतिष्ठित संस्था के कालीना, मुंबई के परिसर में भगवान श्री विश्वकर्मा मंदिर की मूर्ति स्थापना दिवस बड़े धूमधाम से मनाई गई, जिसमें बड़ी संख्या में मुंबई, ठाणे और नवी मुंबई के कोने-कोने से समाज के लोगों ने शिरकत की।

विश्वकर्मा मंदिर स्थापना दिवस समारोह मानने की सिलसिला सुबह 11 बजे से पूजा के साथ शुरू हुआ। शाम को मशहूर गायिका और गीतकार पूनम विश्वकर्मा (Poonam Vishwakarma) ने अपनी टीम सिंगर सोनू सिंह सुरीला, सिंगर सुमित यादव, तबलवादक प्रकाश तिवारी, कीबोर्ड प्लेयर देवेश पाठक के साथ शानदार परफॉर्मेंस दिया। पूनम ने अपने गायन की सिलसिला देवीगीत पचरा ‘निमिया की डरिया मइया’ से शुरू किया। इस गीत को पूनम ने दिल की गहराई से गया जिससे लोगों की गांवकी याद ताजा हो गई। इसके अलावा पूरम ने स्वरचित विश्वकर्मा भजन, कजरी एवं लोकगीत प्रस्तुत किया। इसके अलावा पूनम ने संस्था के पदाधिकारी रहे विजय शंकर विश्वकर्मा के साथ ‘कौन दिसा में ले के चला रे पटोहिया, गीत भी गाया।

इस अवसर पर कुछ कलाकारों ने भगवान विश्वकर्मा, राधा-कृष्ण, कृष्ण-रुक्मिणी-सुदामा और शंकर महादेव-काली की बेहतरीन झांकी प्रस्तुत की। विश्वकर्मा मंदिर स्थापना दिवस समारोह का यह आयोजन पूर्व चेयरमैन राम नरेश विश्वकर्मा की अगुवाई में हुआ। विश्वकर्मा समिति की एडवोकेट जेपी शर्मा, सुनील राणा और राजेंद्र विश्वकर्मा की अगवाई वाली टास्क टीम की पहल पर हुई यह पहला कार्यक्रम रहा, जिसकी सभी लोगों ने प्रशंसा की।

पहली झांकी भगवान श्री विश्वकर्मा की थी, जिसमें भगवान विश्वकर्मा आकर स्टेज पर विराजमान होते हैं। उन्हें देखकर वहां उपस्थित जम समुदाय उनकी पूजा अर्चना करता है और लोगों में भगवान विश्वकर्मा के साथ फोटो खिंचवाने की होड़ सी मच जाती है। दूसरी झांकी राधा और कृष्ण की है, जिसमें राधा और कृष्ण रासलीला नृत्य करते हुए आते हैं। तीसरी झांकी तो अद्भुत है। जिसमें भगवान श्री कृष्ण अपनी रानी रुक्मिणी के साथ राज दरबार में बैठे हैं। उसी समय उन्हें सूचना मिलती है कि उनके बाल सखा महल के बाहर आए हैं। भगवान कृष्ण रुक्मिणी के साथ महल के व्वार पर आते हैं और अपने बाल सखा को लेकर महल में आते हैं और उनके पांव धोते हैं। चौथी झांकी भगवान शिव और मां काली की है। जिसमें काली अपना रौद्र रूप दिखाती हैं और त्रिशूल से दुष्टों का नरसंहार करती है।

इससे पहले दिन में भगवान श्री विश्वकर्मा की पूजा हुई, जिसमें भी लोगों ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया। कार्यक्रम में पूर्व अध्यक्ष मेवा लाल विश्वकर्मा, लल्लू विश्वकर्मा और सेवानिवृत्त प्रोफेसर लाल बिहारी शर्मा अनंत ने अपने विचार व्यक्त किए। सभी वक्ताओं ने टास्क टीम के सदस्य एडवोकेट जेपी शर्मा, सुनील राणा और राजेंद्र विश्वकर्मा के नेतृत्व में किए जा रहे कार्य की सराहना की। कार्यक्रम की विशेषता यह रही कि सभी वक्ताओं ने संस्था को आगे ले जाने का आह्वान किया। कार्यक्रम का संचालन बाबूलाल विश्वकर्मा ने किया।

दिनेश शर्मा, राम शबद विश्वकर्मा, प्रकाश प्यारेलाल विश्वकर्मा, रामजी विश्वकर्मा, सुभाष विश्वकर्मा, रमेश शिवी, अनिल विश्वकर्मा, शोभनाथ विश्वकर्मा, महेंद्र विश्वकर्मा, राजेश विश्वकर्मा, संजय विश्वकर्मा, राजन विश्वकर्मा, वीरेंद्र विश्वकर्मा, ओमप्रकाश विश्वकर्मा, संतोष विश्वकर्मा, परविंदर विश्वकर्मा, रमेश विश्वकर्मा, मदन शर्मा, राधेश्याम विश्वकर्मा, संतलाल विश्वकर्मा और लक्ष्मी चंद विश्वकर्मा समेत बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे। इस कार्यक्रम में सम्मिलित होने के लिए पूर्व अध्यक्ष भगवती शर्मा विशेष रूप से प्रतापगढ़ से मुंबई आए थे। सभी उपस्थित लोगों ने शाम को प्रसाद ग्रहण किया और 17 सितंबर को विश्वकर्मा महापूजा को और व्यापक पैमाने पर करने का आह्वान किया।

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