‘100 करोड़ की वसूली’ का फैसला शरद पवार का?

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हरिगोविंद विश्वकर्मा
मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह के महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लिखे विस्फोटक पत्र के बाद राजनीतिक विश्लेषकों को अब मराठा क्षत्रप शरद पवार की ओर उंगली उठने लगी है। राजनीतिक गलियारे में पूछा जा रहा है कि क्या गृह मंत्री अनिल देखमुख ने ‘100 करोड़ रुपए की वसूली’ के अपने फैसले की जानकारी शरद पवार को नहीं दी थी? अगर दी थी तो क्या इसे शरद पवार की मौन स्वीकृति थी? लोग यह भी कह रहे हैं कि हाईकमान कल्चर वाली एनसीपी में शरद पवार की जानकारी के उनका कोई मंत्री पुलिसवालों को 100 करोड़ रुपए वसूल करने का टारगेट दे सकता है?

परमबीर सिंह ने ‘लेटर बम’ में सनसनीखेज़ आरोप लगाया है कि अनिल देशमुख ने शीर्ष पुलिस अधिकारियों को हर महीने सौ करोड़ रुपए की वसूली करने का टारगेट दिया था। अनिल देशमुख राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी प्रमुख शरद पवार के बेहद क़रीबी माने जाते हैं और वह पवार से बिना पूछे कोई भी निर्णय नही लेते हैं। इसीलिए इस विस्फोटक खुलासे ने राज्य की राजनीति में तूफान सा ला दिया है और उद्धव ठाकरे और शरद पवार के बीच की कड़ी रहे शिवसेना सांसद संजय राऊत ने शायराना ट्विट ‘हमको तो बस तलाश नए रास्‍तों की है, हम हैं मुसाफिर ऐसे जो मंजिल से आए हैं’ किया है।

वस्तुतः 2019 में जब कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के साथ महागठबंधन कर शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने महाविकास अघाड़ी की सरकार बनाई तो गृह मंत्रालय पर वर्चस्व बनाए रखने के लिए शरद पवार ने एनसीपी के लिए गृह मंत्रालय मांगा। उस समय एनसीपी के कई धाकड़ नेता गृहमंत्रालय चाहते थे। उपमुख्यमंत्री अजित पवार ख़ुद उपमुख्यमंत्री के साथ साथ गृह मंत्री भी बनना चाहते थे। इतना ही नहीं जयंत पाटिल भी गृह मंत्रालय चाहते थे, लेकिन शरद पवार ने अपने विशेषाधिकार का प्रयोग करते हुए अनिल देशमुख को गृह मंत्री बनाया।

इसके बाद बतौर गृह मंत्री अनिल देशमुख नियमित रूप से शरद पवार से मिलते थे और हर छोटा बड़ा फ़ैसला पवार से पूछे बिना नहीं लेते थे। महाराष्ट्र पुलिस और मुंबई पुलिस के बारे में कोई भी निर्णय या आदेश जारी करने से पहले अनिल देखमुख अपने बॉस से सलाह-मशविरा ज़रूर करते थे। इसीलिए दबी ज़बान कहा जा रहा है कि विवादास्पद सचिन वाजे को 100 करोड़ रुपए की वसूली का टारगेट देना, जैसा कि परमबीर सिंह ने अपने पत्र में आरोप लगाया है, केवल अनिल देशमुख का फ़ैसला नहीं हो सकता।

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विदर्भ से कई बार विधायक चुने जा चुके 70 साल के अनिल देशमुख इतना अपरिपक्व नहीं हैं कि सचिन वाजे जैसे शिवसैनिक पुलिस अफ़सर को 100 करोड़ वसूलने का निर्देश देते हुए ये नहीं सोचा होगा कि झूठ बोलने के लिए कुख्यात सचिन वाजे इसकी चर्चा किसी अफसर से नहीं करेंगे। वे यह भी जानते थे कि सचिन वाजे अपने सुप्रीम बॉस परमबीर सिंह से भी इसकी चर्चा ज़रूर करेंगे। अनिल देशमुख यहां ओवरकॉन्फिडेंट थे कि विवादास्पद परमबीर सिंह को पुलिस कमिश्नर की कुर्सी एनसीपी ने दिलवाई है, इसलिए परमबीर सिंह शरद पवार के प्रति वफ़ादार बने रहेंगे।

उधर परमबीर सिंह ने अनिल देशमुख पर लगाए अपने आरोप को सही साबित करने के लिए कुछ चैट जारी किए हैं। इस चैट में परमबीर सिंह और सोशल सर्विस ब्रांच के एसीपी संजय पाटिल की बातचीत है। जिसमें दोनों अनिल देशमुख और वाजे की मुलाक़ात का ज़िक्र कर रहे हैं। परमबीर सिंह ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में चैट भी जारी किया है। परमबीर और पाटिल के बीच की चैट हाल ही में यानी 16 मार्च से 19 मार्च के बीच का है जिसमें पाटिल द्वारा पिछले महीने की घटनाओं को जिक्र किया गया है, जिससे साबित होता है कि गृहमंत्री और उनके सचिव संजीव पलांडे द्वारा पुलिस अधिकारी सचिन वाजे से 100 करोड़ रुपए की वसूली करने के लिए कहा गया था।

चैट के परमबीर संजय पाटिल से कह रहे हैं कि जब तुम (पाटिल) गृहमंत्री और संजीव पलांडे (गृहमंत्री के सचिव) से फरवरी महीने में मिले थे, तब उन्होंने तुम्हें कितने बार और अन्य संस्थानों के बारे में बताया था, और उनसे आने वाला कुल अनुमानित कलेक्शन कितना था? इसके जवाब में एसीपी पाटिल ने कहा कि उनकी सूचना के मुताबिक मुंबई में कुल 1750 बार और अन्य संस्थान हैं, प्रत्येक से हर महीने तीन लाख रुपए लिए जाने थे, जिनसे लगभग 50 करोड़ रुपए का कलेक्शन अनुमानित था। पलांडे ने डीसीपी (इंफोर्समेंट) राजू भुजबल के सामने 4 मार्च को यह बताया था।

इसके बाद परमबीर कहते हैं कि इससे पहले तुम गृह मंत्री सर से कब मिले थे? एसीपी पाटिल ने कहा, हुक्का पॉर्लर ब्रीफिंग से 4 दिन पहले। फिर परमबीर ने पूछा, सचिन वाजे और गृहमंत्री के बीच मीटिंग की तारीख कौन सी थी? इस पर पाटिल ने कहा, सर मुझे फिक्स तारीख याद नहीं है। फिर परमबीर ने कहा, तुमने कहा था कि ये मीटिंग, तुम्हारी मीटिंग से कुछ दिन पहले हुई थी? पाटिल ने कहा, हां सर।

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इसके बाद परमबीर 19 मार्च को संजय पाटिल को दोबारा मैसेज करते हैं। तब परमबीर पाटिल से कहते हैं कि मुझे थोड़ी और जानकारी चाहिए। क्या वाजे गृहमंत्री से मिलने के बाद तुमसे मिला था? एसीपी पाटिल ने कहा, हां सर, वाजे गृहमंत्री से मिलने के बाद मुझसे भी मिले थे। परमबीर ने पूछा, क्या उसने (सचिन वाजे) तुम्हें कुछ बताया था कि गृहमंत्री ने उसे क्यों बुलाया था। एसीपी ने कहा, उन्होंने मुझे मीटिंग का उद्देश्य बताया था कि मुंबई में 1750 संस्थान हैं, उन्हें (वाजे को) प्रत्येक संस्थान से 3 लाख रुपए हर महीने कलेक्ट करके उन्हें (गृहमंत्री) देने चाहिए।

बहरहाल, परमबीर ने पत्र में यह भी कहा कि अपने ग़लत कार्यों को छुपाने के लिए अनिल देशमुख ने उन्हें बलि का बकरा बनाया है। चिट्ठी में परमबीर सिंह ने कहा, “आपको बताना चाहता हूं कि महाराष्ट्र सरकार के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने सचिन वाजे को कई बार अपने आधिकारिक बंगले में बुलाते थे और उगाही करने का आदेश देते थे। उन्होंने यह पैसे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के नाम पर जमा करने के लिए कहा था। इस दौरान उनके पर्सनल सेक्रेटरी मिस्टर संजीव पलांडे भी वहां पर मौजूद रहते थे। परमबीर ने आगे लिखा, ”मैंने इस मामले को एनसीपी प्रमुख शरद पवार को भी बताया था। मेरे साथ जो भी घटित हुआ या ग़लत हुआ इसकी जानकारी मैंने शरद पवार को भी दी है।”

परमबीर सिंह ने चिट्ठी में लिखा, गृहमंत्री ने सचिन वाजे से कहा था कि मुंबई के 1750 बार रेस्टोरेंट और अन्य प्रतिष्ठानों से ढाई से तीन लाख रुपए वसूली करके सौ करोड़ आसानी से हासिल किया जा सकता है। परमबीर ने लिखा, सचिन वाजे उसी दिन मेरे पास आए और यह चौंकाने वाला खुलासा किया। परमबीर ने कहा, “कुछ दिन बाद गृह मंत्री देशमुख ने एसीपी सोशल सर्विस ब्रांच संजय पाटिल को भी अपने सरकारी आवास पर बुलाया और हुक्का पार्लर को लेकर बात की। अनिल देशमुख के पर्सनल सेक्रेटरी संजीव पलांडे ने एसीपी संजय पाटिल को 40 से 50 करोड़ रुपए जमा करने के लिए कहा था। इस बारे में पाटिल ने मुझे भी जानकारी दी थी। उन्होंने कहा कि देशमुख द्वारा दिए गए निर्देशों के बाद वाजे और पाटिल ने आपस में बातचीत की और दोनों मेरे पास इस मामले को लेकर आए। गृह मंत्री अनिल देशमुख लगातार इस तरह के मामलों में लिप्त रहे हैं और वे कई बार मेरे अधिकारियों को बुलाकर बिना मेरी जानकारी के इस तरह के काम उनसे करवाते हैं।”

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इस बीच गृहमंत्री अनिल देशमुख ने परमबीर सिंह के आरोपों को झूठा करार दिया है। देशमुख का कहना है, “परमबीर कार्रवाई से बचने के लिए झूठा आरोप लगा रहे हैं। वह सचिन वाजे मामले में खुद को क़ानूनी करवाई से बचाने के लिए झूठा आरोप लगा रहे हैं। मनसुख हिरेन केस में भी सचिन वाजे की संलिप्‍तता स्‍पष्‍ट हो रही है और जांच की आंच परमबीर तक भी पहुंच सकती है। इसी डर के कारण परमबीर मुझ पर ग़लत आरोप लगा रहे हैं।”

बहरहाल, अब इस चिट्ठी और चैट के सार्वजिनक होने के बाद महाराष्ट्र की राजनिति में भूचाल सा आ गया है। भारतीय जनता पार्टी ने महाविकास अघाड़ी सरकार को महा वसूली अघाड़ी सरकार करार देते हुए उद्धव ठाकरे को तुरंत इस्तीफ़ा देने को कहा है। चूंकि अनिल देशमुख शरद पवार के ‘ब्लूआई बॉय’ रहे हैं। लिहाज़ा, 100 करोड़ रुपए की कथित वसूली की जानकारी होने से बच नहीं सकते है। इसलिए अपने आदमी पर लगे इस सनसनीखेज़ आरोप से वह पल्ला नहीं झाड़ सकते हैं। यह कहना होगा कि इस मुद्दे को अनिल देशमुख तक सीमित करना नासमझी होगी। परमबीर खुद कह रहे हैं, कि उन्होंने वसूली की जानकारी शरद पवार को दे दी थी, लेकिन शरद पवार ख़ोमाश क्यों रहे, यह भी जांच का विषय है।इसीलिए, अंटालिया के पास विस्फोटक रखने से शुरू हुई कहानी की बहुत गहन जांच की ज़रूरत है।