75 साल में पाकिस्तान में 14 फीसदी से घटकर 1.2 फीसदी रह गए हिंदू (Hindus in Pakistan reduced from 14 percent to 1.2 percent in 75 years)

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हरिगोविंद विश्वकर्मा
भारतीय होने के नाते हम अपनी ‘गंगा-जमुनी संस्कृति’ और ‘जीयो और जीने दो’ के दर्शन पर गर्व कर सकते हैं। नफ़रत की राजनीति करने वाले चंद भ्रमित लोगों को अगर छोड़ दें तो भारत ही नहीं बल्कि दुनिया में कहीं भी रहने वाले अधिकांश हिंदू इसी जीवन-दर्शन का पालन करते हैं। वे उसी के अनुसार अपना जीवन जीते हैं, लेकिन पड़ोस के इस्लामिक देश पाकिस्तान हालत बहुत दयनीय है। ख़ासकर ग़ैर-मुस्लिम लोगों के लिए तो पाकिस्तान सबसे भयावह जगह है। आज़ादी से पूर्व जनगणना में वहां हिंदुओँ आबादी 14 फ़ीसदी थी, लेकिन पिछले 75 साल में हिंदू आबादी घटती हुई केवल 19 लाख 60 हज़ार यानी देश की आबादी का 1.2 प्रतिशत रह गई है।

सन् 1947 में बंटवारे के दौरान संपन्न उच्च और मध्यम वर्ग के हिंदू भारत आ गए थे। लेकिन ग़रीब वहीं रह गए। उन्हें आज दोयम दर्जे का नागरिक बनकर जीना पड़ रहा है। आए दिन हिंदुओं लड़कियों को कट्टरपंथी उठा ले जाते हैं, जबरन धर्म-परिवर्तन करवा कर निकाह कर लेते हैं, लेकिन सरकार या पुलिस कोई एक्शन नहीं लेती। वहां हिंदुओं का शोषण और धर्म-परिवर्तन आम है। इससे वहां हिंदुओं की तादाद काफी तेज़ी से कम हो रही है।

अगर भारत पाकिस्तान की तुलना करें तो हिंदू बाहुल्य भारत में मुसलमानों को हिंदुओं की तरह ही बराबरी का अधिकार है। पर मुस्लिम बाहुल्य पाकिस्तान में हिंदुओं को कोई अधिकार नहीं हैं। भारत में मुस्लिम आबादी लगातार हिंदुओं से भी ज़्यादा प्रतिशत बढ़ रही है। पर पड़ोस में मुस्लिमों की आबादी बढ़ रही है, लेकिन हिंदुओं की आबादी लगातार घटती जा रही है। यह खुलासा दुनिया भर में अल्पसंख्यकों के अधिकारों को प्रमुखता से उठाने वाले लंदन (ब्रिटेन) के सामाजिक संगठन माइनॉरिटी राइट्स ग्रुप (MRG) ने अपनी रिपोर्ट में कहा है।

पाकिस्तान कहता है कि हिंदुओं की आबादी 2.14 फ़ीसदी है। माइनॉरिटी राइट्स ग्रुप की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान में हिंदुओं की संख्या घटकर 19.60 लाख रह गई है। यह देश की आबादी का महज 1.2 फ़ीसदी है। वैसे वहां की 2023 की जनगणना में आबादी 2017 के 20.76 करोड़ से बढ़कर 2023 में 24.15 करोड़ हो गई। पाकिस्तान में हिंदुओं की अलग जनगणना नहीं होती, सो आधिकारिक तौर पर हिंदुओं की आबादी की जानकारी किसी को नहीं, लेकिन गैर-सरकारी एजेंसियों के आकलन के अनुसार 2017 से पहले वहां हिंदू आबादी 22 लाख यानी कुल आबादी का 1.6 फ़ीसदी थी, लेकिन 2017 की जनगणना में हिंदुओं की संख्या 0.4 फ़ीसदी और गिर गई।

वैसे पाकिस्तान में जनगणना हमेशा संदिग्ध रही है। फिर भी 2017 की जनगणना में मुस्लिम आबादी 96.2 प्रतिशत थी। जबकि हिंदुओं की कुल आबादी 1.2 प्रतिशत थी। 96 फ़ीसदी हिंदू आबादी बहुत अधिक पिछड़ा वर्ग माने जाने वाले सिंध प्रांत के ग्रामीण हिस्सों में रहती है। सिंध प्रांत के उमरकोट जिले में हिंदुओं का प्रतिशत सबसे अधिक 52.2 फीसदी है, जबकि थारपारकर जिले में 7,14,698 आबादी के साथ सबसे अधिक हिंदू हैं। पाकिस्तान हिंदू काउंसिल के प्रमुख डॉ. रमेश कुमार वेंकवाणी का कहना है कि पाकिस्तान में हिंदुओं की गणना ठीक से नहीं हो पाती। अगर जनगणना सही हो तो हिंदू आबादी ज़्यादा मिलेगी।

सन् 2023 की जनगणना से पहले पाकिस्तान के राष्ट्रीय डेटाबेस और पंजीकरण प्राधिकरण के नवीनतम (सन् 2018) आंकड़ों के अनुसार, देश में 19.6 लाख हिंदू थे। स्वतंत्रता के समय पाकिस्तान में लगभग 23 फ़ीसदी हिंदू थे। पश्चिमी पाकिस्तान, मौजूदा पाकिस्तान,में 14 फ़ीसदी हिंदू थे जबकि पूर्वी पाकिस्तान जो अब बांग्लादेश है, में हिंदू जनसंख्या 28.4 फ़ीसदी थी। वहां चुनाव में अल्पसंख्यक सबसे कम मतदान करते हैं। उनके लिए सारे शासक या तो सांपनाथ है या फिर नागनाथ हैं। वहां अल्पसंख्यकों को उतना अवसर नहीं मिलता जितना बहुसंख्यकों को। इसीलिए हिंदुओं में आमतौर पर शिक्षा, रोज़गार और सामाजिक उन्नति तक समान पहुंच का अभाव है।

माइनॉरिटी राइट्स ग्रुप के मुसाबिक भारत और पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण राजनीतिक संबंधों का असर हिंदुओं पर हमले के रूप में दिखता है। इसके चलते पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान और बांग्लादेश जैसे देशों में इस्लामिक कट्टरवाद और उग्रवाद में वृद्धि हुई और हिंदू ही हिंसा और शोषण से सबसे अधिक शिकार हुए। पाकिस्तान के हिंदू अक्सर भारत में मुसलमानों के अधिकारों के उल्लंघन के परिणामस्वरूप उत्पन्न हिंदू-विरोधी भावनाओं के शिकार होते हैं।

6 दिसंबर 1992 के बाद पाकिस्तान और बांग्लादेश में भयावह परिणाम देखने को मिले थे। विवादास्पद ढांचे को विध्वंस के बाद वहां मुसलमानों ने अपना ग़ुस्सा हिंदुओं और उनकी संपत्तियों पर निकाला था। हिंदुओं पर बड़े अत्याचार किए गए। एक अनुमान के मुताबिक 6 से 8 दिसंबर 1992 के बीच लगभग 120 हिंदू मंदिरों को ज़मीदोज़ कर दिए गए थे।

पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग के अनुसार, 1998 के दौरान हिंदुओं पर अत्याचार के बेहिसाब मामले प्रकाश में आए। हिंदू महिलाओं का अपहरण किया गया। उनके साथ बलात्कार किया ग। और इतना ही नहीं जबरन उनका धर्म परिवर्तन करवा कर उन्हें मुसलमान बनाया गया। प्रकट, स्टेट-स्पॉन्सर्ड भेदभाव और दमन के कारण, पाकिस्तान के हिंदू अपने मौलिक मानवाधिकारों से वंचित हैं। हिंदू ‘अवांछित’ और भारत के जासूस माने जाते हैं। इसी का हवाला देते हुए भारत में भाजपा सरकार संविधान संशोधन क़ानून से पड़ोसी देशों के मुसलमानों को अलग रखा है।

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