कविता – ब्रम्हास्त्र
ब्रम्हास्त्र
आजकल
सफलता के
कुल चार मंत्र
प्रचलित हैं।
मेहनत
प्रतिभा
बैकग्राउंड
और
सरनेम।
निःसंदेह
इन चारों में
सरनेम तो
सफलता का
ब्रम्हास्त्र है!
-हरिगोविंद विश्वकर्मा
पुस्तक समीक्षा – क्या है जो मेरा है
देवमणि पांडेय
#क्या_है_जो_मेरा_है : #राजेश_का_काव्य_संग्रह
कवि राजेश ऋतुपर्ण के काव्य संग्रह का नाम है - 'क्या है जो मेरा है'। संग्रह की पहली कविता में ही...
अमिताभ मिश्र की एक कविता
सतगुरु पारस रूप
अपनी लोहा जात
पारस परस भई मति
कंचन
बैठी गुनि जन पांत,
मति कंचन जब कसी कसौटी
सोन लकीर लजात
सतगुरु पारस रूप...
गुरु कृपा की महिमा ऐसी
शब्दन नाहीं...
गजल – हैरतअंगेज अल्फाज
ग़ज़ल
हैरतअंगेज़ अल्फ़ाज़ पुस्तक मा लिखा था,
कहीं कनक को धतूरा कहीं सोना लिखा था।
चर्चा कहीं थी लाखों-करोड़ों के बजट की,
कहीं पे बच्चों को भूख से...
गीत- गुज़र ही गया वो लम्हा ख़्वाब सा
गीत
गुज़र ही गया वो लम्हा ख़्वाब सा
फिर लगता है क्यों मुझे पास सा।
बड़ा गुलज़ार था आशियाना यहां
अब लगता है दिन भी उदास सा।
तू क्या...
गीत – कैसी है ज़िंदगी…
बेतरतीब सा सफ़र है टुकड़ों में ज़िंदगी
देखना अभी कितनी बंटती है ज़िदगी।
लाख कोशिश की पर समेट नहीं पाया
हर क़दम पर देखो बिखरी है ज़िंदगी।
सोचा...
वक्त नहीं है
वक़्त नहीं है
आपस में लड़ने का वक़्त नहीं है,
ग़लतियां गिनाने का वक़्त नहीं है।
मोहब्बत बांटें जब तक है जीवन
नफ़रत फैलाने का वक़्त नहीं है।
वो...
वक्त मुश्किल है जरूर मगर गुजर जाएगा
वक़्त मुश्किल है ज़रूर मगर गुज़र जाएगा,
मनहूस सा ये रोग हो कर बेअसर आएगा।
मुस्कराहट भरे दिन आएंगे फिर से वापस,
मातम-रूदन का ये सिलसिला ठहर...
श्मशान बन जाएगा बड़ी जल्दी
श्मशान बन जाएगा बड़ी जल्दी
चीखना-चिल्लाना थम जाएगा बड़ी जल्दी
अभी तड़प रहा है मर जाएगा बड़ी जल्दी।
किसी काम की भी नहीं थी उसकी ज़िंदगी
इलाज नहीं...
कुर्सी से उतर क्यों नहीं जाते!
कुर्सी से उतर क्यों नहीं जाते!
लाशों का अंबार देखकर, तुम सिहर क्यों नहीं जाते,
कुछ हो नहीं रहा तो कुर्सी से उतर क्यों नहीं जाते।
यहां...