यह तो हम जानते हैं और विभन्न रिपोर्ट्स में पढ़ते रहते हैं कि भारत में डायबिटीज़ दिनोंदिन बहुत भयंकर रूप लेता जा रहा है। अब नए रिसर्च में पता चला है कि पिछले 15 सालों में सबसे जटिल और कॉमन डायबिटीज़ मानी जाने वाली टाइप-2 बीमारी में उसी तरह बहुत तेज़ी से बढ़ोतरी हो रही है, जिस तरह देश में लाइलाज बीमारी कैंसर में बढ़ोतरी हो रही है। डायबिटीज़ और कैंसर में बढ़ोतरी और उससे होने वाली लोगों की मौत की ख़बर क्या है, पढ़ते हैं इस लेख में।
पिछले दस साल में डायबिटीज़ टाइप-2 बीमारी से मरने वालों की संख्या उछलकर दो गुनी हो गई है। हैरान करने वाली बात है कि कैंसर से मरने वालों की तादाद भी हर वर्ष बढ़ती जा रही है। आशंका यह जताई जा रही है कि आने वाले दिनों में डायबिटीज़ और कैंसर के चलते स्वास्थ्य जगत में हालात और बदतर होने वाले है। माना जा रहा है कि लोगों की लाइफस्टाइल दिनोंदिन ख़राब ही हो रही है और यह डायबिटीज़ के लिए खाद और पानी का काम करती है और इसका असर शरीर सेल्स पर पड़ता है, जिससे कैंसर नाम की बीमारी जन्म लेती है।
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मॉडर्न लाइफस्टाइल ही ज़िम्मेदार
रिपोर्ट यह अतिशयोक्तिपूर्ण नहीं है। यह सौ फ़ीसदी सच है कि पिछले 15 वर्षो में टाइप-2 डायबिटीज़ में अभूतपूर्व बढ़ोतरी और घातक बीमारी कैंसर की बढ़ोतरी में बहुत समानता देखने को मिल रही है। देश के स्वास्थ्य से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि हमारी दिनचर्या कुछ परिवर्तनीय कारकों और जोखिमपूर्ण तथ्यों से जुड़ी हुई है। इसमें उम्र, लिंग, मोटापा, शारीरिक सक्रियता, आहार, शराब का सेवन और धूम्रपान शामिल है। गुड़गाव के कोलंबिया एशिया अस्पताल के ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ। अनिल धर बताते हैं कि 80 से 90 फ़ीसदी कैंसर के मामलों के लिए पर्यावरणीयकारक और विशेष रूप से अनियमित जीवनशैली ज़िम्मेदार है जो डायबिटीज़ के बढ़ते मामलों के लिए भी उत्तरदायी है।”
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बढ़ते डायबिटिक व कैंसर मरीज़
दरअसल, जीवनशैली में उचित बदलाव से दोनों बीमारियों में मृत्यु दर और मरीज़ों की संख्या में कमी देखी गई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 13 सालों में डायबिटीज़ से पीड़ित लोगों की संख्या में सौ फ़ीसदी बढ़ोतरी हुई है। डायबिटीज़ मरीज़ों की संख्या सन् 2013 में 6.3 करोड़ हो गई है जो सन् 2000 के 3.2 करोड़ से दोगुनी है। डायबिटीज़ से हरेक एक लाख की आबादी में क़रीब 26 लोगों की मौत हो जाती है। डायबिटीज़ विकलांगता का भी प्रमुख कारण है और 2.4 फ़ीसदी लोग इसके कारण ही विकलांग हो जाते हैं।
भारत में कुल 6.91 करोड़ लोग डायबिटीज़ से पीड़ित हैं जो दुनिया में चीन के बाद दूसरा नंबर है। चीन में कुल 10.9 करोड़ लोग डायबिटीज़ पीड़ित हैं। अंतर्राष्ट्रीय डायबिटीज़ फेडरेशन के डायबिटीज़ एटलस के मुताबिक भारत में डायबिटीज़ से पीड़ित 3.6 करोड़ लोगों की जांच तक नहीं हुई है। देश के 20 से 79 साल की उम्र की आबादी का क़रीब 9 फ़ीसदी डायबिटीज़ से ग्रसित है। हैरान करने वाली भविष्यवाणी यह है कि अगले 13 साल यानी सन् 2030 तक डायबिटीज़ मरीज़ों की संख्या में 10।1 करोड़ की वृद्धि होने की आशंका है। यह बहुत भायनक आंकड़ा है, क्योंकि देश की एक बहुत बड़ी आबादी इसकी चपेट में है। सरकार हर साल तमाम बीमारियों पर अंकुल लगाने के लिए हज़ारों करोड़ रुपए ख़र्च करती आ रही है। इसके बावजूद ये बीमरियों दिनोंदिन बढ़ती ही जा रही हैं।
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डब्ल्यूएचओ ने जताई चिंता
सरकार की ओर से राज्यसभा में बताया गया था कि डायबिटीज़ और कैंसर को कंट्रोल में करने की तमाम कोशिशें नाकाम हो रही है, क्योंकि इनके प्रति जागरूकता के अभाव में लोग इन बीमारियों को टाटा कहने की बजाय उन्हें दावत दे रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट का हवाला देते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री के कहा कि भारत में डायबिटीज़ से मरने वाली की तादाद 10 लाख से ज़्यादा पार कर गई हैं और इस दौरान क़रीब 6 लाख 80 हज़ार से ज़्यादा लोगों की मौत कैंसर से हुई। इस पर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने गंभीर चिंता जताई है।
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डायबिटीज़, कैंसर बनी आम बीमारियां
इसी तरह नोएडा के जेपी अस्पताल की एंडोक्राइनोलॉजिस्ट डॉ। पूर्णिमा अग्रवाल कहती हैं, अपने भयानक नतीजे के साथ डायबिटीज़ और कैंसर आम बीमारियां बन गई हैं। दुनिया भर में स्वास्थ्य और महामारी विज्ञान के अध्ययन से पता चला है कि डायबिटीज़ से पीड़ित लोगों को कैंसर होने का ख़तरा ज़्यादा रहता है। हालांकि कैंसर और डायबिटीज़ के बीच की सटीक जैविक कड़ी को पूरी तरह से समझा जाना अभी बाकी है। सामान्य तंत्र और विशेष ऊतक तंत्र दोनों रोगों के बीच की संभावित कड़ी हो सकती है। डॉ। पूर्णिमा कहती हैं, “हाइपरग्लाइसेमिया या रक्त धमनियों में ग्लूकोज़ की अधिकता पुराना सूजन और मोटापा बढ़ाती हैं। साथ ही ऑक्सीडेटिव तनाव का कारण भी बनती हैं। इससे कैंसर होने का ख़तरा भी बढ़ सकता है।”
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ग़लत भोजन भी कम ज़िम्मेदार नहीं
गुड़गांव के पारस अस्पताल के ऑन्कोलॉजिस्ट सिद्धार्थ कुमार का कहना है कि टाइप-2 डायबिटीज़ का संबंध जिगर, अग्नाशय, किडनी, स्तन और गर्भाशय की भीतरी झिल्ली के कैंसर से है। वहीं डॉ। पूर्णिमा अग्रवाल का कहना है कि मोटापा डायबिटीज़ होने का एक प्रमुख कारक माना जाता है। ऐसे मामले बढ़ते ही जा रहे हैं, जिसमें मोटापा की वजह से स्तन कैंसर, पेट का कैंसर और एंडोमेट्रियल कैंसर होने की आशंका बढ़ी है। दरअसल, कैंसर के जोखिम को कम करने के लिए हम क्या खाते हैं, यह भी मायने रखता है। कम फाइबर युक्त प्रचुर मात्रा में रेड मीट यानी लाल मांस और प्रसंस्कृत मांस खाने से भी टाइप-2 डायबिटीज़ और कैंसर होने की संभावना ज़्यादा रहती है।
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तंबाकू सेवन मौत को दावत
डायबिटीज़ और कैंसर जैसी बीमारी के साथ जुड़ा हुआ दूसरा सबसे बड़ा जोखिमपूर्ण कारक है धूम्रपान। धूम्रपान को साक्षात् मौत कहा जाने लगा है। एक अनुमान के अनुसार, पूरी दुनिया में 71 फ़ीसदी फेफड़ों के कैंसर के लिए तंबाकू ज़िम्मेदार है। एक अध्ययन के मुताबिक़, धूम्रपान भी स्वतंत्र रूप से डायबिटीज़ की संभावना बढ़ाने वाला एक जोखिमपूर्ण कारक है। सीमित मात्रा में शराब के सेवन से मौखिक गुहा, घेघा, जिगर और पेट का कैंसर होने का ख़तरा बढ़ जाता है। अधिक मात्रा में शराब का सेवन भी टाइप-2 डायबिटीज़ के लिए एक जोखिमपूर्ण कारक है।
विशेषज्ञों ने सुझाव दिया कि कैंसर और डायबिटीज़ जैसी बीमारियों को जन्म देने वाले इन जोखिमपूर्ण कारकों के बीच की समानता और अंतर को समझकर इसकी मदद से घातक बीमारियों को रोक सकते हैं। बहरहाल, डॉक्टरों का मानना है कि अगर चुनौती से निपटना है तो समय रहते सरकार की ओर से क़दम उठाना होगा। ताकि इतने बड़े तादाद में हो रही मौतों को रोकने में मदद मिल सके। डॉक्टर यह भी कहते हैं कि लोगों को व्यक्तिगत स्तर पर अपनी सेहत के बारे में सचेत और सतर्क रहना चाहिए और बिना नागा किए नियमित अंतराल के बाद शरीर का चेकअप करवाते रहना चाहिए। इसका निश्चित तौर पर सकारात्मक नतीजा होगा। कई डॉक्टर यह भी मानते हैं कि लोगों को अपनी जीवनशैली पर कंट्रोल करना सीखना होगा अगर सचमुच डायबिटीज़ लड़ना और उसे हराना चाहते हैं।
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डायबिटीज़ कंट्रोल करने के आसन
डायबिटीज़ से छुटकारा दिलाने का योग और योगासन बेहद पुराना और असरदार तरीक़ा है। दरअसल, नियमित व्यायाम और योगासन ब्लड शुगर कंट्रोल करने का एक अहम हथियार है। प्राणायाम यानी गहरी सांस लेने और छोड़ने से रक्त संचार दुरुस्त करता है। इससे नर्वस सिस्टम को आराम मिलता है, जिससे अमूमन दिमाग़ शांत रहता है। इसलिए हर किसी को सुबह फ्रेश होने के बाद पद्मासन मुद्रा में बैठकर प्राणायाम करने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा सेतुबंधासन, बलासन, वज्रासन, सर्वांगासन, हलासन, धनुरासन, पश्चिमोतासन और अर्ध मत्स्येन्द्रासन भी डायबिटीज़ के मरीज़ों के लिए बहुत फ़ायदेमंद है। यह न सिर्फ़ ब्लडप्रेशर कंट्रोल करता है, बल्कि मन को शांति और सुकून देता है। इसे नियमित करने से पाचनतंत्र ठीक रहता है। गर्दन और रीढ़ की स्ट्रेचिंग के साथ-साथ यह आसन पीरियड में आराम दिलाता है।
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