कुलभूषण जाधव को फांसी पर लटकाने के लिए पाकिस्तान की नई चाल, भारत का तगड़ा विरोध

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पाकिस्तान का झूठा दावा

इंडियन नेवी के पूर्व ऑफिसर कुलभूषण जाधव को फांसी के फंदे पर पर लटकाने के लिए तुले पाकिस्तान ने अब नई चाल चली है। इस्लामाबाद ने कहा कि कुलभूषण जाधव ने खुद उसे दी गई फांसी की सज़ा के ख़िलाफ़ रिव्यू पिटिशन दाखिल करने से मना कर दिया है। भारत ने एक बयान जारी करके पाकिस्तान के इस दावे को सिरे से ख़ारिज़ करते हुए कहा है कि कुलभूषण जाधव को फ़ांसी की सज़ा सुनाना है न्याय प्रक्रिया का मज़ाक़ है। पाकिस्तान सरकार खुलभूषण जाधव पर दबाव डाल कर उनसे रिव्यू पिटिशन दायर करने से मना करवाया है। पाकिस्तान दबाव डालकर कुलभूषण को न्याय पाने के उनके अधिकार से वंचित कर रहा है। यह अंतरराष्ट्रीय अदालत के फ़ैसले की अवमानना है।

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पाकिस्तान ने दावा किया है कि कुलभूषण जाधव ने उसे दी गई फांसी की सज़ा पर पुनर्विचार करने के लिए पुनर्विचार याचिका (रिव्यू पिटिशन) दायर करने से इनकार कर दिया। दावा किया गया है कि पुनर्विचार याचिका की बजाय जाधव दया याचिका के साथ आगे बढ़ना चाहता है। इस्लामाबाद ने हालांकि अब भारत को अपने नगारिक के लिए दूसरे कांसुलर एक्सेस के लिए प्रस्ताव दिया है।

दया याचिका पर जोर

पाकिस्तान के एडिशनल अटॉर्नी जनरल इरफान अहमद ने दावा किया है कि 17 जून, 2020 को कुलभूषण को अपनी मौत की सज़ा के ख़िलाफ़ रिव्यू पिटिशन दाख़िल करने और सजा पर पुनर्विचार याचिका दायर करने के लिए कहा गया। लेकिन जाधव ने पुनर्विचार याचिका करने से मना कर दिया और उस दिन उसने 17 अप्रैल 2020 को दायर की गई अपनी दया याचिका पर जोर दिया। पाकिस्तान ने अब भारत को कुलभूषण जाधव के लिए दूसरे कांसुलर एक्सेस के लिए आमंत्रित किया है।

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49 वर्षीय सेवानिवृत्त भारतीय नौसेना अधिकारी कुलभूषण जाधव को अप्रैल 2017 में एक पाकिस्तानी सैन्य अदालत ने जासूसी और आतंकवाद के आरोप में मौत की सजा सुनाई थी। बाद में भारत जाधव तक राजनयिक पहुंच प्रदान करने से इनकार करने और मौत की सज़ा को चुनौती देते हुए पाकिस्तान के ख़िलाफ़ इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस यानी आईसीजे का दरवाज़ा खटखटाया था, जहां पर जाधव के पक्ष में फैसला आया। आईसीजे ने पाकिस्तान से जाधव की दी गई सज़ी की समीक्षा करने और उन्हें जल्द से जल्द काउंसुलर एक्सेस देने का आदेश दिया था। तबसे भारत इस आदेश को लागू कराने की कोशिश में पाकिस्तान पर दबाव डाल रहा है।

सकुशल स्वदेश आ पाएंगे

अब पाकिस्तान ने पैंतरेबाज़ी करते हुए दावा कर दिया कि जाधव ने खुद फांसी की सज़ा के ख़िलाफ़ रिव्यू पिटिशन दाखिल करने से मना कर दिया है। भारतीय नौसेना अधिकारी फिलहाल वहां की जेल में बंद है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या भारत पूर्व इंडियन नेवी ऑफ़िसर कुलभूषण जाधव को सकुशल स्वदेश लाने में सफल हो सकेगा या इस भारतीय सपूत का हश्र सरबजीत सिंह की तरह ही होगा?

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दुनिया देख चुकी है कि पाकिस्तान के लाहौर की सेंट्रल जेल में कैसे सरबजीत को पीट पीटकर मार डाला गया था। सरबजीत के बारे में पाकिस्तान की बताई कहानी के अनुसार, 26 अप्रैल 2013 को सेंट्रल जेल, लाहौर में कुछ कैदियों ने ईंट, लोहे की सलाखों और रॉड से सरबजीत पर हमला कर दिया था। नाजुक हालत में सरबजीत को लाहौर के जिन्ना अस्पताल में भर्ती करवाया गया। इलाज के दौरान वह कोमा में चले गए और 1 मई 2013 को जिन्ना हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने सरबजीत को ब्रेनडेड घोषित कर दिया। लिहाज़ा उनका शव भारत वापस आया था।

बलूचिस्तान से गिरफ़्तारी का दावा

पाकिस्तान का आरोप है कि कुलभूषण जाधव भारतीय ख़ुफ़िया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के लिए काम करते थे। वह ईरान से इलियास हुसैन मुबारक़ पटेल के नकली नाम पर पाकिस्तान आया जाया करते थे। इस्लामाबाद का कहना है कि 29 मार्च 2016 को उन्हें बलूचिस्तान प्रांत के किसी जगह से गिरफ़्तार किया गया। पाकिस्तान का दावा है कि कुलभूषण बलूचिस्तान में विध्वंसक गतिविधियों में शामिल रहे हैं। इसी आरोप के लिए 11 अप्रैल 2017 को पाकिस्तान के मिलिट्री कोर्ट ने कुलभूषण को मौत की सजा सुनाई, जिसका भारत सरकार व भारतीय जनता ने भारी विरोध किया।

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भारत सारे आरोपों से इनकार करता आया है। उसका कहना है कि कुलभूषण को ईरान से किडनैप कर लिया गया। भारत हमेशा उन्हें इंडियन नेवी से रिटायर्ड ऑफ़िसर ही कहता रहा है जो ईरान में अपना बिज़नेस कर रहे थे। भारत ने साफ़ कर दिया है कि कुलभूषण जाधव का देश की सरकार से कोई लेना-देना नहीं है।भारत का दावा है कि कुलभूषण को ईरान से किडनैप किया गया। सन् 1970 में महाराष्ट्र के सांगली में जन्मे कुलभूषण के पिता सुधीर जाधव मुंबई पुलिस में वरिष्ठ अधिकारी रहे हैं। उनका बचपन दक्षिण मुंबई में गुजरा था। उम्र में बड़े उन्हें भूषण और छोटे उन्हें “भूषण दादा” कहते थे। फुटबॉल के शौक़ीन कुलभूषण ने 1987 में नेशनल डिफेन्स अकादमी में प्रवेश लिया। 1991 में नौसेना में शामिल हुए। सेवा-निवृति के बाद ईरान में व्यापार शुरू किया था। उसी सिलसिले में वह ईरान में थे, जहां से अपहृत करके उन्हें पाकिस्तान ले जाया गया था।

भारतीय जनता बेचैन

भारत में लोग कुलभूषण की गिरफ़्तारी की ख़बर आने के बाद से ही ख़ासे परेशान हैं। वॉट्सअप, फेसबुक और ट्विटर जैसे सोशल नेटवर्किंग पर कुलभूषण को बचाने के लिए कई साल से मुहिम चल रही है और उन्हें किसी भी क़ीमत पर सकुशल देश में लाने की अपील प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से की जा रही है। भारत में लोगों का मानना है कि सरकार को अपनी पूरी ताकत झोंक देनी चाहिए ताकि कुलभूषण को सही सलामत वापस स्वदेश वापस लाया जा सके।

लेखक – हरिगोविंद विश्वकर्मा

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