बहुचर्चित टीआरपी घोटाले की जांच करने वाली मुंबई पुलिस की टीम का सुपरविज़न कर रहे डीसीपी नंद कुमार का तबादला ट्रैफिक विभाग में कर दिया गया है। नंदकुमार क़रीब छह महीने पहले ही क्राइम ब्रांच में नियुक्ति हुई थी। इसकी पुष्टि क़रीब तीन दशक से अपराध बीट की रिपोर्टिंग कर रहे एक वरिष्ठ पत्रकार ने की है। टीआरपी घोटाले की जांच क्राइम ब्रांच के सहायक पुलिस निरीक्षक सचिन वाजे की अगुवाई में हो रही है।
मीडिया रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि डीसीपी नंद कुमार ने कथित तौर पर कहा था कि टीआरपी घाटाले में रिपब्लिक टीवी के ख़िलाफ़ कोई ठोस सबूत नहीं है। इसके तुरंत बाद ही डीसीप का ट्रैफिक डिपार्टमेंट में ट्रांसफर कर दिया गया। मुंबई पुलिस ने यह तर्क दिया है कि नंद कुमार ने ख़ुद तबादले के लिए निवेदन किया था। लेकिन मुंबई पुलिस का यह तर्क किसी के गले नहीं उतर रहा है, क्योंकि अभी छह महीने पहले ही डीसीपी को क्राइम ब्रांच में डीसीपी बनाया गया था। इस तबादले के बाद मुंबई पुलिस ख़ासकर के पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह की भूमिका सवाल के घेरे में आ गई है, क्योंकि उन्होंने विशेष प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा था कि टीआरपी घोटाले में रिपब्लिक टीवी शामिल है।
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मुंबई पुलिस ने रिपब्लिक टीवी के रिपोर्टर प्रदीप भंडारी को गिरफ्तार करके 9 घंटे में छोड़ दिया। भंडारी ने आरोप लगया है कि उन्हें हिरासत के दौरान एक गिलास पानी भी नहीं दिया गया। मीडिया सर्कल में कहा जा रहा है कि मुंबई पुलिस खुन्नस निकलने के लिए रिपब्लिक टीवी और अर्नब गोस्वामी को टारगेट कर रही है।