यकीन मानिए, यह सच है, जिस बृहन्मुंबई महानगरपालिका ने पद्मश्री अभिनेत्री कंगना राणावत के दफ़्तर को महज 24 घंटे की नोटिस के बाद बुलडोजर से ढहा दिया, उसी बीएमसी ने सदी के महानायक अमिताभ बच्चन के गोरेगांव स्थित बंगले में हुए निर्माण कार्य को लीगल कर दिया।
कंगना के दफ़्तर को तोड़ने एक दिन बाद आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने सूचना के अधिकार के तहत मिली जानाकीर के आधार पर यह सनसनीख़ेज़ खुलासा किया है। बीएमसी ने अमिताभ बच्चन के अलावा फिल्मकार राजकुमार हिरानी, बिल्डर ओबेरॉय रिएलिटी, पंकज बालाजी, संजय व्यास, हरेश खंडेलवाल और हरेश जगतानी के बंगले में अवैध रूप से किए गए निर्माण कार्य को वैध कर दिया है।
सूचना के अधिकार के तहत आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को बीएमसी के असिस्टेंट इंजीनियर, पी-दक्षिण वार्ड की तरफ से दी गई एक लिखित जानकारी में बताया गया है कि गोरेगांव पूर्व स्थित अमिताभ बच्चन, राजकुमार हीरानी, ओबेरॉय रियलिटी, पंकज बालाजी, संजय व्यास, हरेश खंडेलवाल और हरेश जगतानी के बंगलों को सात दिसंबर, 2016 को एमआरटीपी एक्ट की धारा 53(1) के तहत नोटिस दिए गए थे।
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जानाकारी के अनुसार इन सभी बंगलों में बीएमसी से मान्यता प्राप्त प्लान के अतिरिक्त अवैध रूप से निर्माण किए गए थे। छह मई, 2017 को इन सभी को एक और नोटिस देकर अवैध निर्माणों को नियमित करने की चेतावनी भी दी गई थी। बीएमसी ने दी गई जानकारी में बताया कि ओनर/रेजिडेंट्स/डेवलपर के प्रतिनिधि के रूप में आर्किटेक्ट शशांक कोकिल और एसोसिएट्स ने कहा कि इन निर्माण कार्य को वैध कर दिया जाना चाहिए। इस सुझाव को बीएमसी ने मान लिया और अमिताभ बच्चन समेत सात लोगों के निर्माण कार्य को वैध यानी नियमित कर दिया गया।
अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री को संबोधित एक पत्र में मांग की थी कि अमिताभ बच्चन समेत इन सातों बंगलों में अवैध रूप से किए गए निर्माण कार्य करने के खिलाफ एमआरटीपी अधिनियम के तहत सख्त और तत्काल कार्रवाई की जाए, लेकिन उनके पत्र को डस्टबिन में डाल दिया गया। अभिनेत्री कंगना राणावत के ऑफिस में तोड़फोड़ करने वाली बीएमसी ऐसे निर्माणों को जुर्माना लगाकर नियमित भी करती रही है।
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इस बीच कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि कंगना ने साबित कर दिया कि निर्माण कार्य वैध थे तब बीएमसी को कंगना के पाली हिल ऑफिस के ढहाए गए हिस्से का पुनर्निर्माण करना पड़ सकता है। कानून के जानकारों का कहना है कि अगर ढहाने की कार्रवाई अवैध पाई गई तो पुनर्निर्माण के साथ-साथ बीएमसी को हर्जाना भी देना पड़ सकता है। यह राजनीतिक बदले की कार्रवाई है। संपत्ति मामलों के जानकारों ने भी ऐसी ही राय जाहिर की है।
बीएमसी की इस त्वरित कार्रवाई पर हैरानी जताई जा रही है, क्योंकि ऐसा कई बार होता है कि नोटिस जारी किए जाते हैं और वर्षों तक उन पर अमल नहीं होता। इससे साफ़ ज़ाहिर है कि यह कार्रवाई राजनीतिक दबाव में की गई है। इस बीच महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने कंगना के ऑफिस में बीएमसी की तोड़फोड़ पर नाराजगी जाहिर करते हुए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के विशेष सलाहकार अजोय मेहता को तलब किया और अपनी नाराजगी जताई।