अगली लोकसभा में हेमा मालिनी के साथ-साथ बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना राणावत या कंगना रनौत (Kangana Ranaut) भी दिख सकती हैं। भारतीय जनता पार्टी ने हिमाचल प्रदेश की मंडी लोकसभा सीट से बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना राणावत (Kangana Ranaut) को उम्मीदवार बनाकर चौंका दिया है। इसके साथ ही कंगना की राजनीति में औपचारिक एंट्री हो गई है। मंडी लोकसभा सीट पर फिलहाल कांग्रेस का कब्जा है और भाजपा इस सीट पर दमदार उम्मीदवार की तलाश कर रही थी। पिछले 23 मार्च को अपना 37 वां जन्मदिन मनाने वाली कंगना के लिए यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से जन्मदिन का तोहफ़ा है। सरकाघाट मंडी में जन्मी कंगना का मंडी संसदीय क्षेत्र के तहत आने वाले मनाली में भी आशियाना है।
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कंगना पिछले कई साल से अपने बयानों के लिए खासी चर्चा में रही हैं। वह अपने सियासी बयानों में भाजपा का पुरजोर पक्ष लेती रही हैं। बॉलीवुड में भी अपने बयानों से सुर्ख़ियां बटोरती रही हैं। वह अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की रहस्यमय मौत के बाद से ही बहुत ज़्यादा सक्रिय हैं। उद्धव ठाकरे के शासनकाल में मुंबई पुलिस की आलोचना करने पर उनका शिवसेना से पंगा हो गया। इसके बाद बीएमसी ने कंगना के दफ्तर को ही तहस-नहस कर दिया गया। पुरुष प्रधान समाज में पली-बढ़ी कंगना बचपन से ही बागी स्वभाव की रही है। आइए पढ़ते हैं उनका कहानी।
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हिमाचल प्रदेश के ऐतिहासिक जिले मंडी के बहुत छोटे से पहाड़ी कस्बे भाबला, जिसे आजकल सुरजपुर के नाम से जाना जाता है, में राणा ठाकुरों का परिवार रहता था। कहा जाता है लाक्षागृह से बचकर निकले पांडव कुछ समय तक यहीं रहे थे। इसी पांडवकालीन नगर में अमरदीप राणवत, उनकी पत्नी आशा रहते थे। दोनों की तीन साल की बेटी रंगोली थी। 1986 के शुरुआत की बात है। आशा फिर पेट से थीं। दंपति की पहली संतान बेटी थी। लिहाज़ा, इस परंपरावादी हिंदू परिवार को उम्मीद थी कि घर में वंश का वारिस यानी बेटा पैदा होगा। परिजनों और रिश्तेदारों ने पहले से ही भविष्यवाणी कर रखी थी कि इस बार आशा को बेटा ही होगा।
23 मार्च 1986 के दिन जब मैटरनिटी अस्पताल में शिशु के रोने की आवाज़ आई, तो सबकी धड़कनें तेज़ हो गईं। ओटी से बाहर आते ही नर्स ने जब कहा, “बधाई हो, घर में लक्ष्मी आई है।“ इससे अचानक वहां मातम पसर गया। दूसरी बेटी को ‘अनचाही संतान’ कहते हुए परिवार के लोग एक-एक करके वहां से चले गए। अमरदीप के अनुसार “लोग हमारे घर पर आते और फिर बेटी हो गई कहकर सहानुभूति जताते थे।” इतना ही नहीं आशा जब अस्पताल से घर पहुंचीं तो घर में भी मातम पसरा था। बहरहाल, भारी मन से परिवार ने घर के नए सदस्य को स्वीकार किया और उसे अरशद पुकारने लगे। बाद में लड़की काम नाम कंगना रखा गया। वही कंगना आज कंगना राणावत के रूप में सुर्खियां बटोर रही है।
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अपनी दर्द भरे किरदार को सहजता के साथ निभाने वाली कंगना इस तरह के परिवेश में पली-बढ़ी जहां लोगों की लड़कियों के बारे में लोगों की सोच बहुत पिछड़ी हुई थी। बहरहाल, जब कंगना की पीठ पर एक भाई अक्षत पैदा हआ, तब उनके प्रति लोगों का नजरिया बदलना शुरू हुआ। शुरुआती पढ़ाई के बाद कंगना 13 साल की उम्र में चंडीगढ़ चली गईं और वहीं हॉस्टल में रहते हुए डीएवी स्कूल में पढ़ाई की। यहां भी परिवार ने उन पर अपनी इच्छाएं थोपने का प्रयास किया और उन पर मेडिकल की पढ़ाई के लिए दबाव डालने लगा। लिहाज़ा, महज़ 15 साल की उम्र में ही कंगना दिल्ली पहुंच गईं और यहां थियेटर ग्रुप अस्मिता जॉइन कर लिया।
कंगना ने दिल्ली में नामचीन रंगमंच निर्देशक अरविंद गौड़ से अभिनय का हुनर सीखा और उनकी थियेटर कार्यशाला में भाग लिया। अरविंद के साथ उनका पहला नाटक गिरीश कर्नाड का रक्त कल्याण था। इससे उनका आत्मविश्वास बढ़ गया। वह कहती हैं, “अस्मिता में मैंने अभिनय के प्रतीक और बिंब सीखे। मैंने अपने पहले नाटक रक्त कल्याण में ललितांबा और दामोदर भट्ट दोनों की भूमिका एक साथ की थी और इससे मुझे अपने कैरियर के लिए जरूरी पहचान मिली।” इसके बाद कंगना ने कई नाटकों में भी सशक्त अभिनय किया।
पहले कंगना महज 16 साल की उम्र में 2002 में मुंबई आईं, लेकिन साल भर बाद यह मानकर वापस चली गई थी, कि बॉलीवुड की दुनिया उनके लिए नहीं है। वह आशा चंद्रा से अभिनय की बारीक़ियां सीखती रहीं। 2004 में दोबारा मुंबई आने के बाद वह फिल्मकार महेश भट्ट के संपर्क में आईं। उस समय भट्ट अनुराग बासू के साथ 2006 में रिलीज हुई रोमांटिक थ्रिलर फिल्म ‘गैंगेस्टर’ बनाने की तैयारी कर रहे थे। कंगना का स्क्रीनन टेस्ट लिया गया। भट्ट और बासू दोनों को उनमें अभिनय क्षमता दीखी। बस क्या था, अनुराग के निर्देशन में उन्हें गैंगेस्टर’ में लीड रोल मिल गया। इसमें उन्हें मोनिका बेदी सरीखे चरित्र के लिए चुना गया।
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पहली ही फिल्म गैंगेस्टर में कंगना के अभिनय और आकर्षण ने दर्शकों को अपने मोह-पाश में बांध लिया। इस फिल्म में अपने सशक्त अभिनय से उन्हें हर किसी की प्रशंसा मिली। उनको इस फिल्म के लिए फीमेल डेब्यू का बेस्ट फिल्मफेयर पुरस्कार मिला। पहली फिल्म में ही उन्होंने दिखा दिया कि समर्थ अभिनेत्री हैं। उसके बाद फिल्म ‘वो लम्हे’ में उनके अभिनय ने एक बार फिर नई ऊंचाई को स्पर्श किया। इन दोनों ही फिल्मों में कंगना में दर्द की मल्लिका मीना कुमारी की छवि को दर्शकों ने महसूस किया।
2008 में आई मधुर भंडारकर की ‘फ़ैशन’ में भी कंगना ने असाधारण अभिनय किया। इसके लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री का फ़िल्म फ़ेयर पुरस्कार मिला। यह उनका दूसरी फिल्मफेयर पुरस्कार था। 2014 में आई फिल्म ‘क्वीन’ में अपने जबरदस्त अभिनय के कारण कंगना को बॉलीवुड की क्वीन भी कहा जाने लगा और उन्हें तीसरी बार फिल्मफेयर पुरस्कार दिया गया। तनु वेड्स मनु रिटर्न्स’में शानदार अभिनय के लिए कंगना को क्रिटिक फ़िल्मफेयर के साथ राष्ट्रीय पुरस्कार भी दिया गया। फिल्म ‘मणिकर्णिका: झांसी की रानी’ में उनके अभिनय की हर किसी ने तारीफ की। इस फिल्म में उनका अभिनय अद्वितीय है। समीक्षकों का मानना है कि रंगमच से आई और अपने संवादों को फुसफुसाहट के साथ बोलने वाली कंगना की अभिनय प्रतिभा को केवल पुरस्कारों की नज़र से नहीं देखा जाना चाहिए।
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जब कंगना पैदा हुई थीं, तब किसी ने कल्पना भी नहीं की थी, कि जिस बेटी की लोग उपेक्षा कर रहे हैं, वही कभी राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में आएगी। तब किसी ने नहीं सोचा था कि मुंबई में शिवसेना को कोई और नहीं बल्कि उनकी बेटी ही चुनौती देगी, मुंबई पुलिस की आलोचना करेगी और डंके की चोट पर टीवी न्यूज के कैमरे की चकाचौंध में मुंबई पहुंचेगी। लेकिन पिछले कुछ दिनों से यही हो रहा है। यह कहने में गुरजे नहीं कि जन्म से ही विरोध और नाराजगी का सामना करते-करते कंगना लड़ाकू नेचर की हो गईं। उन्होंने वह कहने का साहस किया, जिसे आज तक किसी फिल्मी व्यक्ति ने कहने की हिम्मन नहीं जुटाई। कंगना से पहले किसी कलाकार ने बॉलीवुड में नेपोटिज्म या भाई-भतीजावाद का मुद्दा नहीं उठाया था। इससे पहले इस बीमार परंपरा का इतना मुखर विरोध किसी ने नहीं किया था।
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रूपहले पर्दे पर अपने दमदार अभिनय की बदौलत अनगिनत पुरस्कार जीतने वाली कंगना राणावत इस दौर की सबसे समर्थ भारतीय अभिनेत्री मानी जाती हैं। उनका फिल्मी सफर अब उस मुकाम तक पहुंच चुका है जहां उन्हें स्वयं को सिद्ध करने की कोई ज़रूरत नहीं है। वह देश की उन चंद अग्रणी अभिनेत्रियों की शुमार में हैं, जिन्हें सिनेमा में सबसे ज्यादा फीस पाने वाली अभिनेत्री के तौर पर भी पहचाना जाता है। उनको पांच बार फोर्ब्स इंडिया की टॉप 100 सेलीब्रिटीज की लिस्ट में जगह मिल चुकी है।
कंगना को फ़ैशन, क्वीन और तनु वेड्स मनु रिटर्न्स के लिए तीन बार राष्ट्रीय पुरस्कार मिला। इसी तरह गैंगस्टर, फ़ैशन, क्वीन और तनु वेड्स मनु रिटर्न्स के लिए चार बार फ़िल्मफेयर पुरस्कार जीतने में सफल रही। इसके अलावा उन्हें पद्मश्री, तीन अंतर्राष्ट्रीय भारतीय फ़िल्म अकादमी पुरस्कार, और प्रत्येक स्क्रीन, जी सिने और प्रोड्यूसर्स गिल्ड पुरस्कार भी मिल चुके हैं।
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बचपन से ही फिल्मों की चकाचौंध आकर्षित रहीं कंगना ने अपनी सफलता से एक नई इबारत लिखी है। बेहतरीन अभिनय के साथ-साथ परिधान और हावभाव के मामले में कंगना का बिंदास अंदाज युवा दर्शकों को भी आकर्षित करता हैं। गैरफिल्मी पृष्ठभूमि के बावजूद अपनी प्रतिभा की बदौलत चार वर्षो के अंतराल में ही कंगना शीर्ष अभिनेत्रियों की सूची में दस्तक देने लगीं। यह सब उनकी मेहनत और लगन के कारण संभव हो पाया। कुछ साल पहले उनकी बड़ी बहन रंगोली पर एसिड अटैक हुआ था। रंगोली अब कंगना की प्रबंधक के रूप में काम करती हैं।
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बॉलीवुड में कंगना के नाम के साथ हमेशा कोई न कोई विवाद जुड़ता रहा। उनकी बिंदास पर्सनालिटी भी अखबारों की सुर्खियां बनता रहा। जहां एक ओर कंगना ने फिल्मों अपने ज़बरदस्त अभिनय से सुर्खियां बटोरीं तो वहीं समय समय पर उनका नाम कई अभिनेताओं से जुड़ता रहा। कंगना बॉलीवुड में अपने रोमांस और बोल्डनेस के लिए भी चर्चा में रही हैं। 2004 के संघर्ष के दौर में वह अपनी उम्र से दोगुने उम्र के अभिनेता आदित्य पंचोली से मिलीं और उनके साथ रिलेशनशिप में रहीं। 2007 में आदित्य पंचोली के बेहद हिंसक व्यवहार से परेशान होकर कंगना ने उनसे ब्रेकअप कर लिया।
बहरहाल, उसके बाद कंगना का रिश्ता शेखर सुमन के बेटे अध्ययन सुमन से जुड़ा। वह रिश्ता भी बहुत अधिक लंबा नहीं चल सका। इसके अलावा कई बार वह शाहिद कपूर और रितिक रोशन के साथ क़रीबी संबंधों को लेकर सुर्खियों में रहीं। कभी कंगना के बॉयफ्रेंड रहे उनके अध्ययन सुमन ने तो उन पर यूज एंड थ्रो का भी आरोप लगाया। 2016 में उन्होंने एक इंटरव्यू में कंगना पर आरोप लगाया कि उन्होंने उन पर कोकीन लेने के लिए दबाव डाला। हालांकि कंगना ने इसका खंडन कर दिया था। अब महाराष्ट्र सरकार ने इंसी इंटरव्यू के आधार पर कंगना की ड्रग जांच कराने की घोषणा की है। अब जबकि शिवसेना ने कंगना के मुंबई पहुंचने से पहले उनके ऑफिस पर बुलडोजर चलवा दिया है। देखना है, दोनों की लड़ाई कहां तक चलती है।
लेखक – हरिगोविंद विश्वकर्मा
(Note – Updated on 25 Match 2024)